लखनऊ : लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड ने पहले इलेक्ट्रिक बसों का किराया साधारण बसों के किराए के बराबर ही रखा था. एक साल पूरा होने के बाद 27 दिसंबर 2022 को इलेक्ट्रिक बसों का किराया बढ़ा दिया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि पहले जहां इलेक्ट्रिक बसों से यात्री सफर करना पसंद करते थे, उन्होंने अब सिटी बस से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है. यात्रियों की संख्या कम हुई है, लेकिन किराया बढ़ाने से लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के खजाने में बढ़ोतरी जरूर हुई है.
लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड ने इलेक्ट्रिक बसों में सस्ते सफर की सुविधा पिछले साल 27 दिसंबर को खत्म कर दी. दोनों प्रकार की बसों का किराया एक साल के लिए सामान्य किया गया था, जिसका समय पूरा होने के बाद किराए की दरें अलग कर दी गईं. अब साधारण (सीएनजी) सिटी व इलेक्ट्रिक बसों का किराया अलग-अलग है. साल 2019 में लखनऊ सिटी बस ट्रांसपोर्ट के बस बेड़े में 40 इलेक्ट्रिक बसें शामिल की गई थीं. उस दौरान न्यूनतम किराया 10 रुपए निर्धारित किया गया था. जुलाई 2021 में सिटी बस बेड़े में 100 इलेक्ट्रिक बसों को और जोड़ा गया. इस दौरान इलेक्ट्रिक बसों का किराया पुरानी इलेक्ट्रिक बसों के समान रखने की यात्रियों ने मांग की. इसके बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री ने इलेक्ट्रिक बसों के किराए को साधारण सिटी बसों के बराबर करने का फैसला लिया, हालांकि दोनों तरह की बसों का किराया एक साल के लिए ही समान रखने का निर्णय हुआ. दिसंबर 2022 में ये समय पूरा हो गया. इसके बाद 27 दिसंबर 2022 को इलेक्ट्रिक बसों का किराया साधारण सीएनजी बसों से अलग कर दिया गया. किराए में बढ़ोतरी कर दी गई.
लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट के एमडी आरके त्रिपाठी ने बताया कि "जुलाई 2021 के पूर्व एसी बसों का किराया सामान्य किराए से पांच रुपये अधिक था, जिसे एक वर्ष के लिए सामान्य किराए के बराबर किया गया था. अवधि समाप्त होने के बाद शासन के निर्देश पर पूर्व की तरह निर्धारित किया गया है."
कम हुए यात्री : 27 दिसंबर 2022 को जब इलेक्ट्रिक बसों का बढ़ा हुआ किराया लागू हुआ तो जब 1 दिन पहले 26 दिसंबर को इलेक्ट्रिक बसों में यात्रियों की संख्या सामने आई वह 26,758 थी, वहीं 16 जनवरी को यात्रियों की संख्या 26,490 रह गई है. यानि यात्रियों की संख्या में गिरावट आई है. यात्रियों की संख्या में कमी को लेकर सिटी बस प्रबंधन का कहना है कि "अभी तक कोहरे और ठंड के चलते स्कूल-कॉलेजों में छुट्टियां चल रही थीं, जिससे सवारियां नहीं निकल रही थीं, लेकिन अब स्कूल खुल गए हैं तो फिर से इलेक्ट्रिक बसों में पहले की तरह यात्री सफर करेंगे. हालांकि सिटी बस एमडी का मानना है कि किराया बढ़ने से कुछ यात्री तो जरूर कम हुए हैं.
सिटी बस की बढ़ी आय :किराया बढ़ने से सिटी बस खासकर इलेक्ट्रिक बसों में यात्रियों की संख्या में कमी आई है, वहीं इससे घाटे में चल रहे लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड को कुछ राहत मिल रही है. सिटी बस की आय में किराया बढ़ने से बढ़ोतरी हुई है. पहले जहां 26 दिसंबर तक पुराना किराया लागू होने पर सिटी बस की 6,77,308 लाख की आय होती थी, वहीं किराया बढ़ने के बाद ये आय बढ़ गई है. 16 जनवरी का जो आय का आंकड़ा 8,50,659 लाख रुपए है.
बढ़ी ई बसों की दूरी :पहले की तुलना में अब इलेक्ट्रिक बसों की दूरी भी काफी बढ़ गई है. पहले जहां कम दूरी के लिए यह बसें संचालित होती थीं, वहीं अब यह ज्यादा दूरी तक यात्रियों को यात्रा करा रही हैं, जिससे आवागमन में यात्रियों को सहूलियत मिल रही है. पहले 25 किलोमीटर से अधिक दूरी का न्यूनतम किराया 35 रुपए था, जबकि अब दायरा 65 किलोमीटर तक का हो गया है. अब इन बसों का न्यूनतम किराया 80 रुपए हो गया है.
क्या कहते हैं सिटी बस एमडी :लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आरके त्रिपाठी का कहना है कि "27 दिसंबर से इलेक्ट्रिक बसों के लिए अलग किराया लागू किया गया, उसे भले ही बढ़ा हुआ किराया माना जाए, लेकिन असलियत यही है कि पहले जो इलेक्ट्रिक एसी बसों का किराया था, वही किराया है. यह किराया लागू होने से पहले यात्रियों की संख्या इलेक्ट्रिक बसों में ज्यादा थी, उस पर कुछ असर जरूर पड़ा है, लेकिन यह बहुत ज्यादा नहीं है. अभी छुट्टियां चल रही थीं इसलिए यात्रियों की संख्या कम हुई, लेकिन अब उम्मीद है फिर से इलेक्ट्रिक बसों में पहले की तरह यात्री सफर करेंगे. यह किराया लागू होने से सिटी बस प्रबंधन की आय में इजाफा हुआ है.
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