लखनऊः लगातार बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवन शैली से तमाम ऐसी बीमारियां हमारे शरीर में घर कर रही हैं. जिनके लिए दवाइयां भी बेअसर साबित होती हैं. इन्हीं में से एक बीमारी का नाम है सीओपीडी. इस बीमारी से दुनिया भर में 70 लाख लोगों की हर साल मौत हो जा रही हैं. सीओपीडी से बचने के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में एक आयोजन किया गया.
लखनऊः दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों में तीसरे नंबर पर है सीओपीडी - chronic obstructive pulmonary disease
वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और उन्हीं में से एक है सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज. यह बीमारी अस्थमा से भी ज्यादा खतरनाक है, लिहाजा लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है.
29% तक बढ़े सीओपीडी के मरीज
सीओपीडी कोई बीमारी नहीं है. सीओपीडी के तहत कई ऐसी बीमारियां होती हैं, जो वायु प्रदूषण की वजह से शरीर में घर कर जाती हैं जैसे कि एमफाईसीमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस इत्यादि. डॉ वेद ने बताया कि सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. अगर भारत की बात की जाए तो भारत में 4.2% लोग सीओपीडी से ग्रसित हैं. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 1990 से लेकर 2016 तक के बीच सीओपीडी के मरीजों में 29% तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
सांस संबंधी बीमारी में ले डॉक्टर से परामर्श
डॉ वेद बताते हैं कि यदि सांस संबंधी किसी भी तरह की बीमारी लंबे समय तक चले तो डॉक्टर को जरूर परामर्श करना चाहिए. इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक अस्थमा की परेशानी हो, तो वह भी सीओपीडी का कारण हो सकता है. एक खास बात यह है कि बुजुर्गों में होने वाली यह बीमारी अब वयस्कों में भी काफी संख्या में पाई जाने लगी है. जिसका इलाज समय पर होना बेहद जरूरी है.