कैथेड्रल चर्च के फादर डोनाल्ड डी डिसूजा ने दी जानकारी लखनऊ : क्रिसमस का इंतजार लोगों को बेसब्री से होता है. 25 दिसंबर सभी के लिए बहुत ही खास दिन होता है. क्योंकि, इस दिन प्रभु यीशु मसीह का हुआ था. इसलिए हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जाता है, उन्हें याद किया जाता है. क्रिसमस को लेकर राजधानी लखनऊ के चर्च में तमाम तैयारियां चल रही हैं. हर साल की तरह इस बार भी चर्च से झांकियां निकाली जाएंगी. बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. हजरतगंज स्थित कैथेड्रल चर्च में हर साल दो लाख से अधिक लोग घूमने फिरने के लिए पहुंचते हैं.
क्रिसमस के जश्न की तैयारी शुरू
हजरतगंज स्थित कैथेड्रल चर्च के फादर डोनाल्ड डी डिसूजा ने बताया कि 'चर्च में सबसे पहले 24 दिसंबर की शाम को प्रार्थना की जाएगी. उसके बाद से क्रिसमस दिवस शुरू हो जाएगा. क्रिसमस के मौके पर हर तरफ खुशहाली का माहौल रहता है. प्रभु यीशु भी हमेशा ही चाहते थे कि लोग हमेशा खुश रहें और लोगों का विश्वास ईश्वर पर हमेशा बना रहे. उन्होंने कहा कि देखा जाए तो पहले आध्यात्मिक तरीके से क्रिसमस मनाया जाता था. लोगों ने तमाम तरह से क्रिसमस को मनाने की कवायदें शुरू कर दी हैं. जिसमें क्रिसमस ट्री, स्टार, गिफ्ट्स, केक, कुकीज और सांता क्लॉस इत्यादि शामिल हो गए हैं.'
क्रिसमस के जश्न की तैयारी शुरू सज रहे हैं चर्च :बता दें कि क्रिसमस को अब अधिक दिन नहीं रह गए हैं. सिर्फ तीन दिन ही बचे हैं. ऐसे में राजधानी लखनऊ में सेंट जोसेफ कैथेड्रल, क्राइस्ट चर्च, ऑल सेंट्स गैरीसन चर्च, चर्च ऑफ द एपिफेनी, लालबाग इंग्लिश मेथोडिस्ट चर्च, सेंट पॉल चर्च और पीटर्स द रेलवेमेन्स चर्च में सजावट का काम शुरू हो गया है. 24 तारीख तक झालरों से चर्च को सजा दिया जाएगा.
क्रिसमस के जश्न की तैयारी शुरू यह कार्यक्रम होंगे :उन्होंने बताया कि 'चर्च में क्रिसमस डे को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. सबसे पहले प्रभु यीशु की प्रार्थना होगी. उसके बाद 25 दिसंबर को 5:30 बजे से चर्च में कार्यक्रम होने शुरू हो जाएंगे. सबसे पहले छोटे-छोटे बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. एक कार्यक्रम को तीन बार प्रस्तुत करेंगे. ताकि, अधिक से अधिक लोग प्रभु यीशु के बारे में समझ सकें. उसके बाद चर्च से प्रभु यीशु की झांकियां भी निकाल जाएंगी. क्रिसमस डे के दिन छोटे-छोटे बच्चों को सांता क्लास गिफ्ट देंगे. इसके अलावा सभी को केक दिया जाएगा.'
क्रिसमस के जश्न की तैयारी शुरू
फिलिस्तीन के शहर बेथलेहेम में हुआ था जन्म : हजरतगंज स्थित कैथेड्रल चर्च के फादर डोनाल्ड डी डिसूजा ने बताया कि 'प्रभु यीशु हमेशा प्रेम से रहने के लिए उपदेश देते थे. प्रभु यीशु का जन्म 4-6 ई. पू. फिलिस्तीन के शहर बेथलेहेम में हुआ था. इनके माता मरियम और पिता युसूफ दोनों नाजेरथ से आकर बेथलेहेम में बस गए थे. प्रभु यीशु 33 वर्ष तक जीवित थे. शुरुआती समय में वह कभी भी लोगों के सामने नहीं आए, ना किसी को कोई उपदेश दिया, न ही कोई संदेश दिया. आखिरी के तीन साल में उन्होंने उपदेश देना शुरू किया. ऐसे में उस समय के जो बाकी धर्मगुरु थे, उन्हें यह बात हजम नहीं हुई. प्रभु यीशु के पास बहुत से श्रद्धालु उनके उपदेश सुनने के लिए जाते थे, जिसके चलते बाकी धर्म गुरुओं के पास लोग नहीं जाते थे. उन्होंने बताया कि बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि प्रभु यीशु को सूली पर किसी और ने नहीं बल्कि धर्मगुरुओं ने चढ़ाया था. 25 दिसंबर को यीशु का जन्म मनाया जाता है.'
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