लखनऊः राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है, फिर भी पुलिस प्रशासन की आंखों के सामने शहर के तमाम वीवीआइपी चौराहों पर मासूम बच्चों का बचपन डूबता दिखाई पड़ रहा है. इन बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है. हालांकि भीख मांगने का अंदाजा थोड़ा बदल दिया गया है. अगर आप बाजार या फिर कहीं जाते हैं, तो आपकी गाड़ी रेड लाइट पर कुछ सेकंड के लिए रुक जाती है, तब अचानक छोटे-छोटे बच्चे हाथों में कपड़ा लिए उनकी गाड़ी साफ करने लगते हैं.
ट्रैफिक के बीच दौड़ते नजर आते हैं बच्चे
बता दें कि राजधानी के विभिन्न चौराहों पर बच्चे अपनी जान को जोखिम में डालकर दौड़ते नजर आते हैं. यही नहीं ट्रैफिक के बीच गाड़ी साफ करने के बहाने पैसा मांगते हैं. असल में इनके पीछे भी मंगवाने वाले गिरोह काम करते हैं, जो उनके हिस्से की कमाई भी हजम कर लेते हैं. जबकि शहर को बाल मजदूरी से मुक्त कराने का दावा करने वाले अधिकारियों की गाड़ी भी इन्हीं चौराहों से गुजरती है, तो वह बेबसी को दरकिनार कर देते हैं.
गाड़ी साफ करते हैें छोटे बच्चे
दरअसल राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है, फिर भी शहर के तमाम चौराहों पर मासूमों का बचपन दम तोड़ता हुआ दिखाई दे रहा है, अचानक छोटे-छोटे बच्चे हाथ में कपड़ा लिए आपकी गाड़ी साफ करने लगते हैं, खासतौर पर आलमबाग चौराहा, तेलीबाग चौराहा और शहर के विभिन्न चौराहों पर यह बच्चे देखे जा सकते हैं.
बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन जुर्म है
बाल श्रम कल्याण विभाग के मुताबिक किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 (1) के तहत बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन जुर्म है. यदि कोई भी मंगवाने के लिए बच्चों को नियोजित करता है, या किसी बच्चे से भी मंगवाता है तो पांच साल की कैद और एक लाख रुपये दंड का प्रावधान है.
पुलिस महानिदेशक को भेजा पत्र
इस संबंध में जब ईटीवी संवाददाता ने, सदस्य राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग उत्तर प्रदेश कि सदस्य ( डॉक्टर सुचिता चतुर्वेदी ) से, बात की तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में एक पत्र पुलिस महानिदेशक को लिख कर भेजा गया है. यह पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है ताकि जितनी भी एजेंसियां इस से जुड़ी हैं, उसके तहत अभियान चलाया जाए 26/12/202 से लेकर 10/1/2021 तक अभियान चलाया जा रहा है., इस कार्य में बहुत सारी एजेंसियां साथ में जुड़ी हैं.