लखनऊः डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. श्रीकेश सिंह ने बताया कि एक समय तक वायरस का प्रकोप अधिक होता है. फिर धीरे-धीरे वायरस कमजोर पड़ने लगता है. जैसा कि कोरोना वायरस की पहली लहर और दूसरी लहर में वायरस अन्ततः कमजोर पड़ गया था. क्योंकि ह्यूमन की इम्यूनिटी स्ट्रांग हो गई. हर किसी में एंटी बॉडी बन गई थी. अब आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर प्रभाव डालेगी. वायरस ज्यादातर उन छोटे बच्चों को प्रभावित करेगा, जिन्हें अब तक कोई सामान्य टीका नहीं लगाया गया है.
डॉ. श्रीकेश बताते हैं कि संक्रमण का खतरा बड़ों से बच्चों की तरफ शिफ्ट होगा. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वयस्क आबादी ने या तो टीका लगवा लिया है या फिर वायरस के संपर्क में आकर खुद के अंदर इम्यूनिटी विकसित कर ली है. ऐसे में घर के वयस्कों को चाहिए कि अगर वह बाहर निकल रहे हैं तो कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें. घर आकर हाथ धोकर ही बच्चे को गोद में लें. जितनी भी सावधानी बरती जा सकती है, सावधानी बरतें.
डॉक्टर श्रीकेश बताते हैं कि नवजात से लेकर 17 वर्षीय बच्चों के लिए सामान्य टीका अत्यंत आवश्यक है. जिसमें पोलियो, हेपेटाइटिस, हेपेटाइटिस-बी और इम्यूनिटी बूस्टर के लिए टीका लगाया जाता है. ताकि वायरल बीमारियों से बच्चा लड़ सके. शहरी क्षेत्र में पेरेंट्स बच्चों को टीका लगवाने हर महीने जाते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है.
उन्होंने कहा कि दो सालों से सिर्फ कुछ ही महीने ही बच्चों के सामान्य टीकाकरण का अभियान सीएचसी, पीएचसी और सरकारी अस्पतालों में चला है. कोरोना वायरस को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों, सीएचसी, पीएससी में चल रही ओपीडी और बच्चों के सामान्य टीकाकरण बंद करवा दिए थे. जिसकी वजह से बहुत सारे नवजात बच्चे जरूरी टीकाकरण से वंचित रह गए हैं. उन्होंने कहा कि अभी भी लोगों के पास समय है. इस समय हर सरकारी अस्पतालों में बच्चों को सामान्य टीका लगाया जा रहा है. सभी लोग अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर बच्चों को सामान्य जरूरी टीका अवश्य लगवाएं.
बच्चों के जरूरी टीके
जन्म पर: बीसीजी, ओपीवी-0, हेपेटाइटिस-बी
6 हफ्ते या सवा महीने: ओपीवी-1, रोटा-1, एफआईपीवी-1, पेंटावेलेंट-1