लखनऊः राज्य सरकार के अंतर्गत तमाम मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है. जिला अदालतों के साथ-साथ उच्च न्यायालय में भी लाखों की संख्या में मुकदमे लंबित हैं. इन लंबित मुकदमों के निस्तारण में अफसरों की लापरवाही भारी पड़ रही है. इन अफसरों के स्तर पर लगाए जाने वाले शपथ पत्र में तमाम तरह की कमियां सामने आ रही हैं. इसको लेकर चीफ सेक्रेट्री ने सख्त रुख अख्तियार किया है.
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने जारी शासनादेश में कहा है कि 'सरकारी मुकदमों को निपटाने में छोटे अधिकारी ही नहीं बल्कि शासन के अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्ष स्तर के अधिकारियों की तरफ से गलत तथ्य अदालतों में पेश किए जा रहे हैं. अलग-अलग तथ्य पेश किए जाने से मुकदमों की प्रक्रिया में विरोधाभासी बातें सामने आती हैं. इससे मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पाता है. ऐसे में तालमेल न होने से अदालत के सामने भी सरकार की स्थिति भी असहज होती है. ऐसे में अब अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विभागाध्यक्ष के स्तर पर प्रति शपथ पत्र लगाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए. जिससे मुकदमों का निस्तारण तेजी से हो सके.'
शासनादेश में आगे कहा है कि 'मुकदमों के जल्द निस्तारण में पत्रावलियों की स्थिति ठीक नहीं है. जिससे यह स्थिति शासन स्तर पर चिंतनीय है. मुकदमों के निस्तारण में अधिकारियों को प्रति शपथ पत्र खुद संबंधित विभागीय स्तर पर देखना होगा. जिसमें अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्ष के स्तर पर प्रति शपथ पत्र देखने और दस्तावेजों के सही होने के बाद ही अदालत में दस्तावेज पेश किए जाएंगे. जिससे मुकदमों का निस्तारण ठीक ढंग से कराया जा सके. इसके अलावा तय किया गया है. कि मुकदमों के जल्द निस्तारण के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी बनाया जाएगा.'
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मुख्य सचिव ने जारी शासनादेश में कहा है कि 'यह काम 9 अगस्त तक हर हाल में पूरा कर लिया जाए. इससे संबंधित मुकदमों का ब्यौरा जिले व विभाग का नाम दर्ज होगा. इसके साथ ही मुकदमे की कॉपी भी ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज कराई जाएगी. जिससे प्रतिदिन मुकदमों के निस्तारण का अपडेट देखा जा सके. इस तरह सरकार द्वारा नियुक्त अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता, स्थाई अधिवक्ताओं में विभागों का बंटवारा किया जाए. इससे पैरोकारों को पहले से पता रहेगा कि मुकदमों को कैसे देखना है. एक ही तरह के मुकदमों को एक साथ करके सुनवाई कराई जाए. जिसमें अदालत से अनुरोध किया जाए. कि जल्द से जल्द मुकदमों का निस्तारण कराया जाए. न्याय विभाग वित्त विभाग से कहा गया है. कि मुकदमों के निस्तारण में वह अपना परामर्श जल्द से जल्द अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें. जिससे निस्तारण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाई जा सके. और सरकार पर मुकदमों का भार कम हो जाए. '
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