लखनऊ : मैं सभी का ह्रदय से आभार करता हूं. जिन्होंने बाढ़ और सूखे को लेकर अपने विचार व्यक्त किए. सीएम योगी ने कहा कि पिछले एक घंटे से हम नेता विरोधी दल अखिलेश यादव के विचार हम सुन रहे थे. एक घंटे में उन्हें किसानों के मुद्दे पर सिर्फ गोरखपुर का जल जमाव दिखा. मुझे नेता विरोधी दल के वक्तव्य को देखकर यही लगा कि 2014, 2019 और 2022 का जनादेश सही ही मिला था.
महोदय दुश्यंत कुमार ने कुछ अच्छी लाइनें लिखी थीं.
तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल यह है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं....उन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है. तुलसीदास ने भी कहा है कि 'समरथ को नहिं दोष गोसाईं'. ऐसे लोग किसी गरीब किसान और दलित की पीड़ा को क्या समझेंगे. पिछड़ों और अति पिछड़ों के साथ इन्होंने कैसा बर्ताव किया था, सब जानते हैं.
जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच में खाने के आदी हैं, वह गरीब की पीड़ा को क्या समझेंगे. महान किसान नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि देश की प्रगति का मार्ग इस देश के गांव, गलियों, खेत और खलिहानों से होकर जाता है. चौधरी चरण सिंह जी की बातों को वास्तव में सपा ने अपने कालखंड में थोड़ा भी ध्यान रखा होता तो इनके कार्यकाल में प्रदेश के सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या न की होती. मुझे चौधरी चरण सिंह जी की बातों के साथ ही महान साहित्यकार रामकुमार वर्मा जी की कुछ पंक्तियां याद आती हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है. वह देश के किसानों को ही समर्पित पंक्तियां थीं कि 'हे ग्राम देवता नमस्कार, सोने-चांदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार. हे ग्राम देवता नमस्कार'.
सोने-चांदी से प्यार करने वाले लोग किसान के महत्व को नहीं समझेंगे. इसीलिए बाढ़ और सूखे का जब मुद्दा आया, तो उसे विषयांतर करने की कोशिश की गई. यदि भारत की खेती की बात होती है, तो नेता विरोधी दल उसके साथ बाड़ी शब्द भी जुड़ता है. पशुपालन भी उसका पार्ट है. जिस सांड की आप बात कर रहे हैं, वह सांड भी उसी का हिस्सा है. आपके समय में यह बूचड़खानों में होते थे, हमारे समय में यही पशुधन हैं. इसीलिए आपको इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए कि अपनी विफलता को छिपाने के लिए आप कुछ पेपर की कटिंग थी. लगता है शिवपाल जी ने कुछ पुरानी कटिंग भी बीच-बीच में रखवा दी हैं. क्योंकि इतिहास गवाह है कि परिवार में जब सत्ता का संघर्ष आगे बढ़ता है, तो कुछ न कुछ चीजें तो सामने आएंगी. शिवपाल जी पुराने नेता हैं. उनके प्रति हमारी सहानुभूति है. आपके साथ अन्याय हुआ है, हम जानते हैं. इसीलिए आपके साथ यह न्याय करेंगे नहीं, हम जानते हैं.
नेता विरोधी दल ने जो विषय रखे हैं, मैं उन सब पर आऊंगा. बाढ़ और सूखे की जो स्थिति है, उन पर भी हम एक-एक कर चर्चा करेंगे. प्रदेश के अंदर आज के दिन यदि हम देखेंगे तो 15 जून से 20 जून तक मानसून प्रदेश में प्रवेश कर जाता था और किसान इसी के अनुरूप अपनी तैयारी भी करते रहे हैं. हालांकि इस वर्ष प्रारंभिक मानसून की बारिश को यदि हम छोड़ दें, तो वह बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है. आधे प्रदेश में काफी कम वर्षा हुई है. यह सामान्य से भी कम है. पश्चिम के कुछ जिलों में अधित जल की बात आई है, लेकिन वहां की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. इसलिए हमने पहले ही रणनीति बना ली थी.
सोने-चांदी से प्यार करने वाले लोग किसान के महत्व को नहीं समझेंगे. इसीलिए बाढ़ और सूखे का जब मुद्दा आया तो उसे विषयांतर करने की कोशिश की गई. यदि भारत की खेती की बात होती है तो नेता विरोधी दल उसके साथ बाड़ी शब्द भी जुड़ता है. पशुपालन भी उसका पार्ट है. जिस सांड की आप बात कर रहे हैं, वह सांड भी उसी का हिस्सा है. आपके समय में यह बूचड़खानों में होते थे, हमारे समय में यही पशुधन हैं. इसीलिए आपको इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए कि अपनी विफलता को छिपाने के लिए आप कुछ पेपर की कटिंग थी. लगता है शिवपाल जी ने कुछ पुरानी कटिंग भी बीच-बीच में रखवा दी हैं. क्योंकि इतिहास गवाह है कि परिवार में जब सत्ता का संघर्ष आगे बढ़ता है तो कुछ न कुछ चीजें तो सामने आएंगी. शिवपाल जी पुराने नेता हैं. उनके प्रति हमारी सहानुभूति है. आपके साथ अन्याय हुआ है, हम जानते हैं. इसीलिए आपके साथ यह न्याय करेंगे नहीं, हम जानते हैं.