लखनऊ : बनारस को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ माना जाने लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस से ही दो बार लगातार सांसद बने हैं. उन्हें पटखनी देने के लिए विपक्षी दलों ने गठबंधन कर जोर लगाया, लेकिन विरोधी दलों को मुंह की खानी पड़ी. साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले साल 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बनारस के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से रैली का आगाज किया था. एक बार फिर करीब साढ़े सात साल बाद लोकसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को ही रैली के लिए चुना है. इस बार पिंडरा की जगह उन्होंने रोहनिया से चुनावी रैली का आगाज करने का निर्णय लिया है. नीतीश कुमार की नजर उत्तर प्रदेश के कुर्मी वोटरों पर है. पार्टी का मानना है कि अगर नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में जनसभाएं करेंगे तो कुर्मी वोटर जनता दल यूनाइटेड की तरफ आकर्षित होंगे. इसका लाभ आगामी लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को मिलेगा. नीतीश कुमार की रैली को लेकर जनता दल यूनाइटेड की प्रदेश इकाई लगातार बनारस में मेहनत कर रही है.
लोकसभा चुनावों का काउंटडाउन :देश में लोकसभा चुनावों का काउंटडाउन शुरू हो गया है. विपक्षी दल एकजुट होकर इंडिया गठबंधन के सहारे चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. लोकसभा सीटों की दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के हर जाति और वर्ग के नेता की नजर उत्तर प्रदेश पर ही टिकी हुई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जनता दल यूनाइटेड इंडिया गठबंधन का सबसे बड़ा चेहरा मानती है और पार्टी का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अगर देश में कोई नेता टक्कर ले सकता है तो वह नीतीश कुमार ही हो सकते हैं, क्योंकि उनका अनुभव इंडिया गठबंधन के किसी भी नेता से कहीं ज्यादा है. वह कई साल तक केंद्रीय मंत्री रहे हैं. दशकों तक उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में बिहार की सेवा की है. ऐसे में उनके राजनीतिक अनुभव के आगे इंडिया गठबंधन का शायद ही कोई नेता टिकता हो. लिहाजा, नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को ही चुना है. यहीं से चुनावी बिगुल फूकेंगे. बनारस जिला बिहार से लगा हुआ है और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं तो इसका असर पूर्वांचल के कई क्षेत्रों में देखने को मिल सकता है, यही सोचकर जनता दल यूनाइटेड पूर्वांचल पर फोकस कर रही है. पार्टी के नेताओं का मानना है कि पूर्वांचल में अच्छी खासी तादाद में कुर्मी वोटर हैं, जिन्हें नीतीश कुमार के बल पर अपनी तरफ लाया जा सकता है.
विधानसभा चुनाव से पहले की थीं जनसभाएं :जनता दल यूनाइटेड की तरफ से 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मई 2016 में नीतीश कुमार को बनारस में जनसभा के लिए बुलाया गया था. उस समय बनारस की पिंडरा विधानसभा से नीतीश कुमार ने जनसभाओं की शुरुआत की थी. नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश में कुल पांच जनसभाएं की थीं. हालांकि इनका फायदा जनता दल यूनाइटेड को नहीं मिला था. उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई थी. इस बार लोकसभा चुनाव से पहले देश में विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन बनकर तैयार हुआ है, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अहम योगदान है. वैसे तो तमाम पार्टियों के नेता अपने-अपने नेता को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानते हैं, लेकिन नीतीश कुमार के नाम पर ज्यादातर विपक्षी दलों के नेताओं की सहमति है. ऐसे में नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को जनसभा के लिए चुनकर विपक्षी दलों के नेताओं को भी यह समझा देना चाहते हैं कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टक्कर लेने के लिए तैयार हैं. बिहार की नीतीश कुमार सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार लगातार बनारस में जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश के पदाधिकारी से संपर्क में हैं और खुद यहां पर भारी भीड़ जुटाने के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं. मंगलवार को भी बनारस में जनता दल यूनाइटेड के पदाधिकारियों ने बड़ी बैठक की है.