लखनऊः 118 साल पहले देश की सरजमीं पर एक ऐसा मसीहा पैदा हुआ, जो जीवन भर किसानों के लिए संघर्षरत रहा. किसानों की आवाज बनने वाले इस नेता ने देश की राजनीति के शिखर पर भी नाम रोशन किया. किसानों के सम्मान के लिए हमेशा संघर्ष करने वाले इस नेता को किसानों ने ही 'किसान मसीहा' की उपाधि दी थी. इस शख्सियत का नाम है चौधरी चरण सिंह. आज देश पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की जयंती किसान सम्मान दिवस के रूप में मना रहा है.
किसानों के मसीहा को याद कर रहा देश किसानों को याद आए चौधरी चरण सिंह
हालांकि जिन किसानों के लिए जीवन भर चौधरी चरण सिंह ने संघर्ष किया. आज वहीं किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में जमीन पर संघर्ष कर रहे हैं. वर्तमान में किसानों को लेकर देश में सियासत गरमा गई है. ऐसे मौके पर किसानों को अपने मसीहा चौधरी चरण सिंह बहुत याद आ रहे हैं.
किसानों के मसीहा को किया गया याद सीएम ने प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इस अवसर पर किसानों को सम्मानित करने के साथ ही उन्हें ट्रैक्टर वितरित किया गया. जहां प्रदेश सरकार किसानों के सम्मान की बात कर रही है. वहीं विपक्ष सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप मड़ रहा है. इस मौके पर ईटीवी भारत संवाददाता ने पक्ष और विपक्ष से किसान सम्मान दिवस के अवसर पर बात की.
सीएम ने किसानों का किया सम्मान चौधरी चरण सिंह की जीवन यात्राकिसान मसीहा चौधरी चरण सिंह का जन्म मेरठ कमिश्नरी के नूरपुर गांव में हुआ था. 23 दिसंबर 1902 को पैदा हुए चौधरी चरण सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. जीवन भर उन्होंने किसानों के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया. भारतीय राजनीति में भी चौधरी चरण सिंह ने अहम योगदान दिया है. उन्होंने अपनी योग्यता और कार्यकुशलता के बल पर उत्तर प्रदेश के मंत्री, मुख्यमंत्री और भारत सरकार के गृहमंत्री, वित्त मंत्री, उप प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया.
सीएम योगी ने किया माल्यार्पण कई अहम योजनाओं को भी किया था शुभारंभ
चौधरी चरण सिंह ने जमीदारी उन्मूलन विधेयक, भूमि संरक्षण कानून, चकबंदी कानून, ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना, काम के बदले अनाज और अंत्योदय जैसी योजनाओं का शुभारंभ किया था. उन्हें जातिवाद का घोर विरोधी माना जाता था और राष्ट्रहित को उन्होंने हमेशा सर्वोपरि रखा. किसानों, मजदूरों और गरीबों के उत्थान के लिए उन्होंने जिंदगी भर संघर्ष किया. किसानों के लिए वे कहा करते थे कि 'जो जमीन को जोते बोए वो जमीन का मालिक है. 29 मई 1987 को यह सितारा पंचतत्व में विलीन हो गया. लेकिन देश अपने इस मसीहा को हृदय से याद कर रहा है.
इस तरह संघर्ष कर पहुंचे सत्ता के शिखर पर
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ था. उससे प्रभावित होकर चौधरी चरण सिंह ने राजनीति में कदम रखा. 1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया, तो उन्होंने हिंडन नदी पर नमक बनाकर बापू का साथ दिया. इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा. जमीदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था, उसे तैयार किया. 1952 को जमीदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला. लेखपाल का पद भी चौधरी चरण सिंह ने ही बनाया. उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून पारित किया. 1967 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने 1968 में इस्तीफा दे दिया, लेकिन 1970 में फिर मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद सरकार में गृह मंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की. 1979 में वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की. 1979 में वे देश के प्रधानमंत्री बने.
किसान मसीहा के जन्मदिन पर हक मांग रहे अन्नदाता
किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर हजारों की तादाद में देशभर के किसान दिल्ली बॉर्डर पर अपना हक मांग रहे हैं. केंद्र सरकार ने जो कृषि कानून पारित किए, उसे रद्द किये जाने की मांग की जा रही है. इन कानूनों को वे किसानों के साथ अन्याय बता रहे हैं. सरकार की तरफ से अब तक कोई सुनवाई न होने से किसानों को चौधरी चरण सिंह की जयंती पर अपने किसान मसीहा की याद आ रही है.
'किसानों की हितैषी है बीजेपी सरकार'
कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने कहा चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस पर भी विपक्षी दल किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं. उन्हें राजनीति नहीं करनी चाहिए. मंत्री पाठक ने कहा बीजेपी सरकार किसानों का सम्मान करती है. उन्होंने दावा किया कि जल्द से जल्द इस मूवमेंट का हल सरकार जरूर निकालेगी.