लखनऊ:राजधानी स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय ने बीबीए टूरिज्म पाठ्यक्रम में बदलाव करने का फैसला ले लिया है. अब यह पाठ्यक्रम 4 वर्ष का होगा. प्रत्येक वर्ष के बाद प्रवेश/निकास प्रणाली की सुविधा के साथ, छात्र अब एक क्रेडिट बैंक बनाने में सक्षम होंगे. जो पहले वर्ष के बाद एक प्रमाण पत्र, दूसरे में डिप्लोमा, तीसरे में डिग्री और चौथे वर्ष में शोध के साथ डिग्री प्राप्त कर सकेंगे. इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म स्टडीज की ऑनलाइन गवर्निंग बोर्ड की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई.
लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म स्टडीज में 14 साल बाद गवर्निंग बोर्ड का गठन किया गया. इस बोर्ड की पहली बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने की. इस बैठक में तय हुआ कि नई शिक्षा नीति के अनुसार बीबीए टूरिज्म कोर्स अब तीन की जगह चार साल का होगा. इसमें पहले साल से चौथे साल के बीच किसी भी समय कोर्स छोड़ने की अनुमति रहेगी. उसी के अनुसार छात्र को सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री या फिर डिग्री विथ रिसर्च मैथेडोलाजी दी जाएगी.
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि पाठ्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता पर्यटन व्यवसाय में नई वितरण प्रौद्योगिकी पर एक पेपर का परिचय है. पूरे भारत में इस विषय को पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने वाला पहला विश्वविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय है.
यह बदलाव किए गए
- प्रत्येक वर्ष के बाद प्रवेश/निकास प्रणाली की सुविधा के साथ, छात्र अब एक क्रेडिट बैंक बनाने में सक्षम होंगे.
- पहले वर्ष के बाद एक प्रमाण पत्र, दूसरे में डिप्लोमा, तीसरे में डिग्री और चौथे वर्ष में शोध के साथ डिग्री प्राप्त कर सकेंगे.
- प्रत्येक सेमेस्टर में 24 क्रेडिट, 8 सेमेस्टर में विभाजित पाठ्यक्रम मैं भी बदलाव किए गए हैं.
- प्रत्येक सेमेस्टर दो प्रमुख पेपरों का मिश्रण होता है और चौथे सेमेस्टर तक पर्यटन का ज्ञान प्राप्त होता है.
- पांचवें सेमेस्टर के बाद वैकल्पिक विषयों को शामिल किया गया है, जिसमें इनबाउंड/घरेलू टूर संचालन शामिल हैं.
- आउटबाउंड टूर संचालन, एयरलाइन/कार्गो संचालन, एमआईसीई पर्यटन, एडवेंचर और वन्यजीव पर्यटन; वेलनेस एंड मेडिकल टूरिज्म एंड स्पेशल इंटरेस्ट टूरिज्म (एसआईटी) जो पूरे कार्यक्रम की यूएसपी होगी.
- सातवां सेमेस्टर छात्रों को शोध के साथ साथ खुद को पर्यटन के शिक्षा क्षेत्र में बेहतर करने के लिए तैयार करेगा.
- आठवें सेमेस्टर में 24 क्रेडिट शामिल होंगे जो छात्र द्वारा तैयार की गई एक शोध परियोजना पर आधारित होंगे.