जानकारी देतीं मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह लखनऊ :अगर बच्चे के माता-पिता दोनों जाॅब में हैं तो बच्चा किसी तरह अपना दिन काटता है. बहुत सारे केस ऐसे काउंसलिंग के लिए रोजाना अस्पताल में आते हैं, जिसमें बच्चे का व्यवहार काफी ज्यादा गुस्सैल हो गया है. इससे परेशान होकर अभिभावक मनोरोग विभाग में पहुंच रहे हैं. मनोरोग विशेषज्ञ के मुताबिक, माता-पिता पहले बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं जब बात हाथ से निकल जाती है तब यह एहसास होता है कि बच्चा बिगड़ रहा है.
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह (Psychiatrist Dr Deepti Singh) बताती हैं कि कोरोना काल में स्कूल बंद होने की वजह से पिछले डेढ़ साल से ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं, जिसकी वजह से सभी बच्चों के हाथ में मोबाइल, लैपटॉप आ गए हैं, लेकिन अब इसका साइड इफेक्ट भी दिख रहा है. बच्चे मोबाइल पर पढ़ाई करने के साथ-साथ गेम खेल रहे हैं. दरअसल, बहुत से अभिभावकों को इस बात का पता ही नहीं चल रहा कि उनके बच्चे ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं या मोबाइल पर कुछ और देख रहे हैं. जिसका असर उनके व्यवहार पर पड़ रहा है. मनोवैज्ञानिकों के पास इसकी प्रतिदिन 5 से 7 शिकायतें आ रही हैं कि बच्चे घंटों मोबाइल पर लगे रहते हैं.
उन्होंने कहा कि दिनभर मोबाइल की लत से बच्चों के व्यवहार पर सबसे बुरा असर पड़ रहा है. बच्चे हिंसक व्यवहार करने लगे हैं. मनोवैज्ञानिक इसे मोबाइल के अधिक प्रयोग से होने वाला बिहेवियर कंडक्ट डिसऑर्डर बताते हैं, जिसमें बच्चे बात न मानने पर हिंसक हो जाते हैं. मोबाइल के साथ-साथ घर की चीजों को तोड़ने-फोड़ने लगते हैं. वो देर रात भी चुपके-चुपके मोबाइल पर नजरें गड़ाए गेम खेल रहे होते हैं, जिससे आंखों पर बुरा असर तो पड़ता है ही नींद ना आने की बीमारी भी लग जाती है, जिससे वो चिड़चिड़े रहने लगते हैं. साथ ही बहुत जल्द डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं.
उन्होंने बताया कि कई बार बच्चे मोबाइल के आदी हो जाते हैं और जब फिर उनसे मोबाइल छोड़ने के लिए कहा जाता है तो उनके व्यवहार में बदलाव आता है. कई बार यह बदलाव बच्चों में गुस्सा ले आता है. गुस्से में बच्चे वही काम करते हैं जो काम उन्हें करने से मना किया जाता है. ज्यादा डांट फटकार न लगाकर बच्चे को प्यार से अपनी तरफ आकर्षित करने कोशिश करें ताकि बच्चा आपके साथ बैठे, बोले व बात करे. रोजाना अस्पताल में तीन से चार बच्चे ऐसे आते हैं जो माता-पिता से ज्यादा नाराज हो जाते हैं. उनके व्यवहार में काफी गुस्सैलापन होता है. गुस्से में बच्चे माता-पिता से बात करना छोड़ देते हैं और जब हम काउंसलिंग करते हैं तो इस दौरान वह अपनी बातें बताते हैं.
बचाव
- कोशिश करें कि बच्चे के साथ समय बिताएं.
- बच्चों को दादा-दादी व नाना-नानी के संपर्क में भी रहने दें.
- बच्चों के हाथ में मोबाइल न पकड़ाएं.
- अगर आप दोनों वर्किंग हैं तो कोशिश करें कि वापस लौटने पर बच्चों से बात करें.
- बच्चों के साथ इतना नजदीक रहें कि बच्चा अपनी दिनचर्या आपसे जरूर साझा करे.
- मोबाइल गेम खेलने की वजह बच्चे को बाहर खेलने दें.
- परिवार के साथ बच्चे को बाहर घुमाने फिराने लेकर जाएं.
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