लखनऊ: लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सेंटर रिसर्च लैब का प्रस्ताव शासन में फंसा हुआ है. ऐसे में शोध को बढ़ावा देने की योजना 2 साल में भी परवान नहीं चढ़ सकी है. यदि स्वीकृति मिल गई होती तो यह प्रदेश की पहली हाईटेक लैब होती.
वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोहिया संस्थान के एकेडमिक ब्लॉक का उद्घाटन किया था. इस दौरान संस्थान के निदेशक रहे डॉ. एके त्रिपाठी ने एकेडमिक ब्लॉक में सेंट्रल रिसर्च लैब बनाने का दावा किया था. भवन का आठवां फ्लोर लैब के लिए तय किया गया था. यहां हाईटेक मशीनों व उपकरणों से लैस 8 लैब बनाई जानी हैं. इसमें हाईलेवल टेस्ट की सुविधा विकसित होनी है. इसका मकसद डॉक्टर और विद्यार्थियों में शोध के साथ-साथ उनके प्रशिक्षण की सुविधा विकसित करना है. इसी बीच निदेशक का बदलाव हो गया. वहीं शासन में भेजा गया प्रस्ताव भी डंप हो गया है.
इस लैब के लिए आठवें तल पर 8 हाल तैयार हैं. इनमें नई लैब की स्थापना की जानी है, लेकिन संस्थान में पहले से संचालित बायोकैमिस्ट्री, पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी की मशीनें ही स्थापित की गई हैं. इसके अलावा कुछ मशीनें एनॉटमी की हैं. नई लैब की स्थापना नहीं हो सकी.
सेंट्रल रिसर्च लैब में हाईलेवल टेस्टिंग लैब बननी हैं. इसमें मॉलीक्यूलर लैब, जीन सीक्वेंसिंग लैब, एनालिटिकल टॉक्सीकोलॉजी लैब, ड्रग लेवल टेस्टिंग लैब, साइटोजेनेटिक लैब, नैना टेक्नोलॉजी लैब, स्टेम सेल कल्चर लैब के निर्माण की योजना बनाई गई. सेंट्रल रिसर्च लैब को संस्थान में संचालित 40 विभागों की आवश्यकता के अनुसार विकसित करना था. वहीं संस्थान के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह ने कहा कि शासन से मंजूरी मिलते ही लैब स्थापना का काम तेजी से किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें -लोहिया संस्थान में बनेगा का 500 बेड का नया अस्पताल, शिफ्ट होगी ओपीडी