उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

Centenary Year में लखनऊ विश्वविद्यालय के सोशियोलॉजी विभाग को मिली यह उपलब्धि

लखनऊ विश्वविद्यालय का सोशियोलॉजी विभाग अपने स्थापना के 100वें साल में प्रवेश कर गया है. सोशियोलॉजी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के सबसे समृद्ध विभागों में से एक साबित हो रहा है. विभाग जॉब दिलाने वाले विभागों में पहले नंबर पर है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Mar 4, 2023, 8:13 PM IST

Centenary Year में लखनऊ विश्वविद्यालय के सोशियोलॉजी विभाग को मिली यह उपलब्धि.

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय अपना शताब्दी वर्ष साल 2020 में मनाया था. इसी के साथ विश्वविद्यालय के 2 सबसे पुराने विभाग भी अपना शताब्दी वर्ष पूरे कर रहे हैं. सबसे पहले समाज कार्य विभाग ने बीते साल अपना शताब्दी वर्ष पूरा किया. इस साल सोशियोलॉजी विभाग 100 साल में प्रवेश कर रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के समय इन दोनों विभागों का स्थापना हुआ था. सोशियोलॉजी विभाग का शुरुआती नाम इकोनॉमिक्स व सोशियोलॉजी हुआ करता था. वर्ष 1921 में इकोनॉमिक्स विभाग को अलग कर दिया गया और सोशियोलॉजी विभाग पूर्ण रूप से एकल व्यवस्था के तहत काम करने लगा. बीते 100 साल के इतिहास में सोशियोलॉजी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के सबसे समृद्ध विभागों में से एक रहा है. यह विभाग मौजूदा समय में लखनऊ विश्वविद्यालय के सबसे अधिक लोकप्रिय हुआ जॉब दिलाने वाले विभागों में पहले नंबर पर है.

2017 से अब तक सबसे अधिक प्लसमेन्ट दिलाने में रहा कामयाब :सोशियोलॉजी विभाग अपने स्थापना के समय से ही विश्व प्रसिद्ध रहा है. यहां पर डॉ. राधा कमल मुखर्जी जैसे बड़े साइकोलॉजिस्ट हुए हैं. इस विभाग के मौजूदा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दीप्ति रंजन साहू ने बताया कि यह विभाग 100 वर्ष के होने के साथ ही नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. नैक ग्रेडिंग के समय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने सभी विभागाध्यक्षों की मीटिंग में कहा था कि सोशियोलॉजी विभाग सबसे अधिक प्लेसमेंट दिलाने में कामयाब रहा है जो आज भी कायम है. बीते तीन साल में इस डिपार्टमेंट ने 50 से अधिक छात्रों का अस्सिटेंट प्रोफेसर की नियुक्ति उच्च शिक्षा विभाग व गवर्नमेंट इंटर कॉलेज लोक सेवा आयोग में हुआ है. बीते पांच साल में 16 छात्र ब्यूरोक्रेट्स बने. 35 छात्र रिसर्च आर्गेनाईजेशन में नौकरी पाने में सफल रहे. 75 छात्र उच्च शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा में नौकरी पाने में सफल रहे.

विभाग तैयार करेगा देश के लिए सोशियोलॉजी का कॉमन सिलेबस : प्रो. डीआर साहू ने बताया कि सोशियोलॉजी की पढ़ाई का इतिहास काफी पुराना है. वर्ष 1914 में सबसे पहले बंबई विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में पढ़ाने की शुरुआत हुई. इसके बाद वर्ष 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग बनाया गया. इसके बाद तीसरे नंबर पर लविवि ने वर्ष 1921 से इसकी पढ़ाई शुरू की. भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है. हर प्रदेश अपने आप में अलग संस्कृति रखता है. उत्तर प्रदेश भी विभिन्न क्षेत्रों के हिसाब से तमाम संस्कृतियां समेटे हुए है. अभी तक सोशियोलॉजी में सिर्फ भारतीय समाज की बात होती है. जबकि यह क्षेत्रीय विषय है. प्रो. राधाकामल मुखर्जी ने क्षेत्र के हिसाब से समाज में परिवर्तन होते हैं. नई शिक्षा नीति में यही बात कही गई है. इसी के तहत अब चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है.

एकेटीयू तीन गांवों के सरकारी स्कूलों को बनाएगा स्मार्ट

एकेटीयू तीन गांवों के सरकारी स्कूलों को बनाएगा स्मार्ट : लखनऊ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) अब इंजीनियर तैयार करने के साथ ही कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर गांव के सरकारी स्कूलों स्मार्ट बनाएगा. सामाजिक सहभागिता के दायित्व को पूरा करने के क्रम में एकेटीयू लखनऊ के रैथा, दुर्जनपुर और रसूलपुर गांव को गोद लेगा. एकेटीयू के प्रवक्ता डॉ. पवन त्रिपाठी के अनुसार गोद लिए गांव के सरकारी स्कूलों के बच्चे जल्द ही कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तरह डेस्क पर बैठकर पढ़ाई करेंगे. इसके लिए विश्वविद्यालय ने इन गांव के सरकारी स्कूलों में दो सीट वाली 10 क्लासरूम डेस्क देगा.


वाई-फाई प्रोजेक्टर भी लगेगा : यही नहीं विश्वविद्यालय की ओर से इन विद्यालयों में एक प्रोजेक्टर और एक प्रोजेक्टर स्क्रीन भी लगवाया जाएगा. जिससे कि बच्चों को पढऩे में आसानी हो. साथ ही एक इंटरएक्टिव यूपीएस, दो अत्याधुनिक एग्जीक्यूटिव टेबल सहित दो कंप्यूटर या डेक्सटॉप विश्वविद्यालय की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा. जिससे कि गांव के बच्चे भी आधुनिक अध्ययन सुविधाओं से पढ़ाई कर सकें. शुक्रवार को कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने इन तीनों गांव के ग्राम प्रधानों से मुलाकात कर विश्वविद्यालय की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी. प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि शिक्षा के साथ ही विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी सामाजिक सहभागिता की भी है.

यह भी पढ़ें : Sambhal Video Viral: जमीनी विवाद में चले लाठी-डंडे, झोपड़ी में आग लगाने का वीडयो वायरल

ABOUT THE AUTHOR

...view details