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ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में आईपीआर की भूमिका महत्वपूर्ण : डॉ. कौशल्या

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Published : Jul 29, 2023, 4:37 PM IST

नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना, सहयोग को बढ़ावा देना और आईपीआर की समझ को बढ़ाना सामूहिक रूप से ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. यह बातें डॉ. कौशल्या संथानम ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव के दौरान साझा कीं.

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लखनऊ : राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने और बौद्धिक सम्पदा की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है. बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, व्यक्तियों और संगठनों को अपने आविष्कारों, कृतियों और अद्वितीय पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा के लिए सशक्त बनाया जा सकता है. यह बातें शुक्रवार को सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव कार्यक्रम के दौरान कहीं. उन्होंने बौद्धिक संपदा को समय पर सुरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया. डॉ. राधा रंगराजन ने इस महोत्सव के प्रति अपना उत्साह व्यक्त किया.

राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव.

साइविस्टा आईपी एंड कम्युनिकेशन की संस्थापक, भारतीय पेटेंट कार्यालय तथा यूएस पेटेंट एवं ट्रेडमार्क कार्यालय में पेटेंट एटोर्नी (वकील) और कार्यक्रम की अतिथि वक्ता डॉ. कौशल्या संथानम ने नवाचार को बढ़ावा देने और मूल्यवान बौद्धिक सम्पदा की सुरक्षा में आईपीआर द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने अपने सम्बोधन में विभिन्न पेटेंट-संबंधित कानूनों और केस स्टडीज़ की जानकारी के माध्यम से भारत में पेटेंट आवेदन दाखिल करने की प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया. डॉ. कौशल्या संथानम ने इस बात पर जोर दिया कि नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना, सहयोग को बढ़ावा देना और आईपीआर की समझ को बढ़ाना सामूहिक रूप से ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.

राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव.

कार्यक्रम से 200 से अधिक प्रतिभागी, आविष्कारों को पेटेंट कराने से मिलने वाले लाभों के बारे में जानकारी से लाभान्वित हुए. कार्यक्रम के समापन पर डॉ. संजीव यादव ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और कहा सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव एक अत्यधिक जानकारीपूर्ण और प्रभावशाली कार्यक्रम साबित हुआ. इसने नवाचार को बढ़ावा देने, आविष्कारकों की रक्षा करने और भारत के आत्मनिर्भरता के उद्देश्यों के अनुरूप आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया.

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