लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी, वरिष्ठ आईएएस और आयुष विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी के साथ-साथ कई अन्य अधिकारियों द्वारा आयुष कॉलेजों में एडमिशन घोटाला मामले और रिश्वत लेने के आरोपों की जांच का आदेश सीबीआई दिया है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त नियत की है. साथ ही सीबीआई को अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने इस मामले की अभियुक्त डॉ. रितु गर्ग की ओर से दाखिल जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया. सुनवाई के दौरान कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह के साथ महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह व एसटीएफ के डिप्टी एसपी संजीव दीक्षित उपस्थित थे.
सुनवाई के दौरान मामले के अन्य अभियुक्त व आयुर्वेद निदेशालय के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी डॉ. उमाकांत सिंह द्वारा विवेचनाधिकारी को दिया गया बयान पढ़ा गया. जिसमें उसका कहना था कि यूजी और पीजी 2019 में आयुष विभाग में विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी, तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी सहित अन्य आला अफसरों द्वारा रिश्वत ली गई. जिसमें कहा गया कि मंत्री ने अपने बंगले पर एक करोड़ 5 लाख रुपये लिए. वहीं प्रशांत त्रिवेदी ने भी 25 लाख रुपये लिए थे. रिश्वत का बंटवारा अपर मुख्य सचिव से लेकर सेक्शन अफसर तक हुआ.
सुनवाई के दौरान न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर विवेचनाधिकारी ने बताया कि अभियुक्त डॉ. उमाकांत के बयान में ये उक्त आरोपों को किसी वरिष्ठ अधिकारी से सत्यापित नहीं कराया गया. इस पर न्यायालय ने कहा कि आरोप बहुत ही गंभीर है. ऐसा सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुपालन के नाम पर भी किया गया है. इन तथ्यों के सामने आने के बाद न्यायालय आंख नहीं बंद कर सकती है. हालांकि न्यायालय ने अभियुक्त डॉ. रितु गर्ग की जमानत याचिका स्वीकार कर ली है. इस पर अपने कॉलेज में फर्जी दाखिले कराने की साजिश में शामिल होने का आरोप है.
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