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बाबरी विध्वंस केस में 30 सितंबर को 28 साल बाद आएगा फैसला

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Published : Sep 17, 2020, 12:02 AM IST

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को फैसला सुनाएगी. सीबीआई की कोर्ट ने आदेश जारी कर सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. कोर्ट की तरफ से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य आरोपियों को नोटिस भेजा गया है.

28 साल बाद आएगा फैसला.
28 साल बाद आएगा फैसला.

लखनऊ:अयोध्या के विवादित बाबरी विध्वंस केस में लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में 30 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज सुरेंद्र यादव ने बुधवार को पिछले लंबे समय से चल रहे इस हाई प्रोफाइल केस के फैसले की तारीख मुकर्रर कर दी है. कोर्ट ने इस केस के सभी 32 आरोपियों को फैसले के समय कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है.

28 साल बाद आएगा फैसला.

कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों के बयान दर्ज करने की पूरी कार्यवाही पिछले दिनों पूरी कर ली थी, जिसके बाद अब फैसला सुनाया जाएगा. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायधीश सुरेंद्र यादव ने कहा था कि वह 2 सितंबर से फैसला लिखवाना आरंभ करेंगे.

आडवाणी-जोशी समेत कुल 32 लोग हैं आरोपी
दशकों पुराने इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, साक्षी महाराज, साध्वी रितंभरा, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतरायसहित 32 आरोपी हैं.

इस केस में 49 लोग थे आरोपी
अयोध्या के विवादित बाबरी विध्वंस मामले में 49 आरोपी बनाए गए थे, जिनमें से अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है. इस समय 32 आरोपी जीवित हैं और इन सबकी गवाही पिछले महीने लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में कराई गई थी. कोर्ट में सभी आरोपियों की गवाही और पेशी का काम 1 सितंबर को पूरा हो गया था, जिसके बाद अब फैसला सुनाया जाएगा.

351 गवाहों की पेशी
सीबीआई की तरफ से इस केस में 351 गवाहों की पेशी कराई गई थी. इसके साथ ही सीबीआई की तरफ से कोर्ट में 600 से अधिक दस्तावेज पेश किए गए थे. खास बात यह भी है कि सीबीआई की तरफ से तमाम गवाहों को पेश नहीं किया जा सका. ये वे गवाह थे, जिनकी मौत हो चुकी या फिर उनके पत्ते आदि बदल गए थे. तमाम ऐसे गवाह भी सीबीआई ने पेश किए थे, जिन्होंने अदालत में इस घटनाक्रम के बारे में कुछ भी जानकारी होने से इंकार कर दिया था. उन्होंने अयोध्या में विवादित ढांचे को कार सेवकों द्वारा 6 दिसंबर 1992 के दिन ढहाए जाने में किसी भी प्रकार की जानकारी से साफ-साफ इंकार किया था. उन गवाहों का कहना था कि अपनी गवाही के दौरान सीबीआई ने उन्हें अनावश्यक रूप से गवाही के लिए बुलाया है.

30 सितंबर को आएगा फैसला
बचाव पक्ष के अधिवक्ता केके मिश्र ने कहा है कि यह मामला बहुत समय से चल रहा था. पहले इस मामले की सुनवाई रायबरेली में हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लखनऊ ट्रांसफर कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुनाने की अंतिम तारीख 31 अगस्त निर्धारित की थी, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से आरोपियों की पेशी आदि में लगे समय के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई और फैसला देने की तारीख 30 सितंबर तक बढ़ा दी थी. अब सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज सुरेंद्र यादव ने 30 सितंबर को फैसला सुनाए जाने की तारीख तय कर दी है. 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत को इस केस की सुनवाई प्रतिदिन करने का आदेश दिया था, जिसके बाद इस केस की सुनवाई लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में प्रतिदिन होती रही है.

ये आरोपी हैं जिंदा
जीवित आरोपियों में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, साध्वी रितंभरा, राम विलास वेदांती, विनय कटियार, प्रकाश शर्मा, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन शुक्ला, महंत धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, पवन पाण्डेय, ओम प्रकाश पाण्डेय, आरएम श्रीवास्तव, विजय बहादुर सिंह, विनय कुमार राय, रामजी गुप्ता, ब्रजभूषण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, लल्लू सिंह, जय भान सिंह व सतीश प्रधान शामिल हैं.

इनकी हो चुकी मौत
रामचंद्र परमहंस दास, विनोद कुमार वत्स, राम नारायण दास, डीबी रॉय, लक्ष्मी नारायण दास, हरगोविंद सिंह, रमेश प्रताप सिंह, देवेंद्र बहादुर राय, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हर डालमिया, मोरेश्वर सावे, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, सतीश कुमार नागर व बाला साहब ठाकरे.

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