लखनऊ: बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. यह फैसला सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र यादव ने सुनाया. सुनवाई के दौरान चंपत राय, साध्वी ऋतंभरा सहित 26 आरोपी अदालत में मौजूद रहे, जबकि चार आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े. 12 बजकर 12 मिनट पर जज सुरेंद्र यादव कोर्ट रूम में पहुंचे. 12 बजकर 15 मिनट पर कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई. कोर्ट की कार्यवाही शुरू होते ही जज ने अदालत में बैठे अभियुक्तों को पानी पिलाने का आदेश दिया. फैसला पढ़ते हुए जज ने कहा कि घटना अचानक हुई थी. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.
अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में आज 28 साल बाद फैसला आया. सभी 32 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. सीबीआई ने जो आरोप दाखिल किए थे, कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. अदालत ने 2300 पन्नों के आदेश में कहा कि फोटो के आधार पर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता.
एक नजर में... कोर्ट ने किस आधार पर आरोपियों को किया बरी
- कोर्ट ने कहा- बाबरी विध्वंश की घटना कोई पू्र्व नियोजित नहीं थी, मस्जिद गिराने की घटना आकस्मिक थी.
- 6 दिसंबर 1992 की घटना के पूरे सबूत मौजूद नहीं हैं.
- आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले, बल्कि भीड़ को रोकने के लिए आरोपियों ने कोशिश की थी.
- कोर्ट ने अखबारों के साक्ष्य को नहीं माना. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ तस्वीरों के आधार पर हम किसो को दोषी नहीं बना सकते.
- कोर्ट ने कहा- विवादित ढांचे के पीछे से हुआ था पथराव, अभियुक्तों ने रोकने की कोशिश की थी, क्योंकि ढांचे के अंदर मूर्तियां थीं.
- कोर्ट ने कहा- जो वीडियो कैसेट हैं, उसके दृश्य भी स्पष्ट नहीं हैं.
- दूसरी ओर, कैसेट को सील नहीं किया गया और फोटोज की निगेटिव भी नहीं पेश की गई.
फैसला आने के बाद किसने क्या कहा?