लखनऊ: UPPCL पीएफ घोटाले में सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज की है. बीते दिनों उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में उजागर हुए 2267.90 करोड़ रुपये के पीएफ घोटाले को लेकर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. लंबे समय से इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की जा रही थी. घोटाले के उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच कराने की बात भी कही थी.
जब तक सीबीआई इस पूरे मामले को टेकओवर नहीं कर रही थी, तब तक इस पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू की टीम को दी गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संस्तुति के तहत सीबीआई ने इस मामले को टेकओवर कर लिया है. अब इस पूरे मामले की जांच सीबीआई करेगी. जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है.
UPPCL पीएफ घोटाले को CBI ने किया टेकओवर. EOW लंबे समय से कर रही थी जांच
ईओडब्ल्यू लंबे समय से इस पूरे मामले की जांच कर रही थी और इओडब्ल्यू ने अपनी जांच के दौरान उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व अधिकारियों से पूछताछ भी की थी. पूछताछ के दौरान ईओडब्ल्यू की टीम को कई तात्कालिक अधिकारियों के खिलाफ सबूत मिले थे, जिसके आधार पर तात्कालिक एमडी एपी मिश्रा, तात्कालिक वित्त सचिव सुधांशु सहित 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, ईओडब्ल्यू ने इस पूरे घोटाले की जांच के दौरान पाया था कि घोटाले को अंजाम देने में कई अवैध कंपनियों का भी सहारा लिया गया था. जिसके तहत कई फर्मों के मालिक व चार्टर्ड अकाउंटेंट से ईओडब्ल्यू की टीम ने पूछताछ की थी.
क्या है पीएफ घोटाला
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों के पीएफ फंड को नियम विरुद्ध (डीएचएलएफ) दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में निवेश किया गया. इसके बाद यह रकम डूब गई. नियंता कर्मचारियों के भविष्य निधि के पैसे को बैंकों में एफडी के तौर पर निवेश किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी मनमानी करते हुए नियम विरुद्ध प्राइवेट संस्था DHFL में निवेश किया.
ईओडब्ल्यू की पड़ताल में इस बात का भी खुलासा हुआ कि जहां एक ओर नियम विरुद्ध कर्मचारियों की भविष्य निधि के पैसे को DHFL में निवेश किया गया, वहीं बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी को व्हाइट करने का भी काम किया गया. जिसके लिए कई फर्जी कंपनियों का सहारा लिया गया. इनमें से 14 कंपनियों को चिन्हित किया गया, जिनके खिलाफ ईओडब्ल्यू की टीम ने कार्रवाई की.