लखनऊ: राजधानी समेत रिटायर्ड आईएएस सत्येंद्र सिंह यादव के 9 ठिकानों पर सीबीआई ने मंगलवार को छापेमारी की थी. इस छापेमारी के दौरान 44 ऐसी संपत्तियों का पता चला था जो 100 करोड़ से अधिक मूल्य की है. अब सीबीआई इस मामले में सपा शासनकाल में मुख्यमंत्री के करीबी रहे सत्येंद्र सिंह यादव के फैसलों को पलट सकती है. क्योंकि उन्होंने निजी लाभ और बिल्डरों को मनमाने तरीके से लाभ देने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहते हुए कई बदलाव किए थे और फाइलों को भी मनमाने तरीके से निपटाया था.
सत्येंद्र और उनके परिवार के नाम हैं 36 बैंक खाते और छह लॉकर सीबीआई प्राधिकरण में उन फाइलों को तलब कर सकती है जो शासन स्तर से कराई गई है. वहीं बिल्डरों को लाभ देने के लिए लैंड यूज में परिवर्तन किए गए हैं. इस तरह के 100 से अधिक भूखंडों की चर्चा है. सुल्तानपुर रोड के किनारे निजी टाउनशिप में पत्नी के नाम से संपत्ति खरीदने और लैंड यूज बदलने के मामले में भी सीबीआई की पड़ताल जारी है.
रिटायर्ड आईएएस कि पुराने फैसलों को बदल सकती है सीबीआई
छापेमारी के दौरान सीबीआई को 100 करोड़ से अधिक संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं. सेवानिवृत्त आइएएस अफसर के परिसरों से छापेमारी के दौरान 10 लाख रुपये नकद, करीब 51 लाख रुपये की एफडी, करीब 36 बैक खाते मिले. इसके अलावा छह लॉकरों का पता चला, 2.11 करोड़ के सोने और चांदी के जेवर, एक लाख रुपये की पुरानी करंसी भी मिली. सतेंद्र सिंह सपा शासनकाल में सत्येंद्र सिंह लखनऊ विकास प्राधिकरण के दो बार उपाध्यक्ष रहे हैं. इस दौरान उन्होंने बड़े बड़े प्रोजेक्टों जिनमें गोमती रिवर फ्रंट और जयप्रकाश नारायण कन्वेंशन सेंटर के निर्माण में भी भूमिका निभाई है.
क्या-क्या लगे हैं आरोप
लखनऊ के डीएम रहे सत्येंद्र सिंह अपनी तैनाती के दौरान दिए गए फैसलों के कारण काफी ज्यादा चर्चित रहे हैं. 27 जुलाई 2016 से 21 जनवरी 2017 तक वह लखनऊ के जिलाधिकारी रहे. इस दौरान वह लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी रहे. 2015 में सुलतानपुर पुर रोड पर अंसल टाउनशिप के अंदर ही खुद की जमीन पर 186 फ्लैट बनाने का नक्शा पास करा दिया था. वहीं उन्होंने खरीदी गई जमीन का लैंड यूज भी बदल डाला था. इसके लिए उन्हें मास्टर प्लान में बदलाव करना पड़ा था और मास्टर प्लान 2031 तैयार कराया गया था, जिससे कि अपनी इस ग्रीन बेल्ट की कृषि योग्य भूमि को आवासी भू उपयोग में बदलाव कर सकें. इस दौरान उन्होंने दिलीप सिंह बाफिला जैसे भूमाफिया को भी लैंड यूज बदलकर फायदा पहुंचाया.
कैसे बढ़ी मुश्किलें
2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार सत्ता में आई तो पूर्व में उनके किए गए कारनामों को लेकर जांच शुरू हो गई. उस समय तत्कालीन उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण प्रभु नारायण सिंह ने सत्येंद्र सिंह के 186 फ्लाइट के नक्शे की फाइल को निरस्त कर दिया था. सत्येंद्र सिंह एडीए ने उपाध्यक्ष रहते हुए अपने गोमती नगर की आलीशान कोठी के पीछे के हिस्से में दो मोबाइल टावर और बैंक भी खुलवा दिया था जो नियमानुसार गलत था.
जेपी इंटरनेशनल सेंटर और जनेश्वर मिश्रा पार्क के निर्माण में भूमिका
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहते हुए सत्येंद्र सिंह यादव के समय ही जनेश्वर मिश्रा पार्क का निर्माण हुआ, जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया था. जेपी इंटरनेशनल सेंटर के निर्माण में भी बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई, जिसकी जांच जारी है. इसके साथ ही एलडीए के 3000 से ज्यादा फ्लैटों का निर्माण किया गया था जिसमें घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया और कमीशन खोरी के चलते इनके दाम काफी ज्यादा थे, जिसके चलते इनमें से ज्यादातर फ्लैट आज तक नहीं बिक सके हैं.