लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित मेडिकल कॉलेज घोटाला मामले में शुक्रवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस एसएन शुक्ला सहित आठ लोगों के यहां ताबड़तोड़ छापेमारी की. जांच-पड़ताल की खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी मौजूदा जज के यहां भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई जैसी जांच एजेंसी ने छापा मारा और दस्तावेज इकट्ठा किए. इसके बाद अब न्यायपालिका के कामकाज पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
सीबीआई को मिले अहम दस्तावेज
सीबीआई की टीम ने आज लखनऊ सहित कई अन्य जगहों पर मेडिकल कॉलेज घोटाले को लेकर छापेमारी की. हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस एसएन शुक्ला और पूर्व जज जस्टिस आयुषी के आवास पर सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने छापेमारी की. कई घंटों की छापेमारी के दौरान सीबीआई को महत्वपूर्ण दस्तावेज और घोटाले से संबंधित जानकारी हाथ लगी है.
प्रसाद मेडिकल कॉलेज का मामला
सीबीआई सूत्रों के अनुसार राजधानी लखनऊ के कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को लेकर घोटाला हुआ था, जिसको लेकर अब सीबीआई की जांच टीम सक्रिय हुई है और छापेमारी शुरू कर दी. यह मेडिकल कॉलेज समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता डीपी यादव और पलाश यादव का है.
मेडिकल कॉलेज में मिली भारी अनियमितताएं
साल 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया. उस दौरान मेडिकल कॉलेज में तमाम तरह की अनियमितता प्रकाश में आईं. पढ़ाई-लिखाई को लेकर मेडिकल कॉलेज के मानक पूरे नहीं पाए गए थे, जिसके बाद कॉलेज में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका
मेडिकल कॉलेज के नए प्रवेश पर रोक लगाए जाने के बाद प्रसाद मेडिकल कॉलेज की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच ने मेडिकल कॉलेजों को राहत देने से इनकार कर दिया था. खास बात यह थी कि उस दौरान प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक दूसरी याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने सुनवाई की और उन्होंने मेडिकल कॉलेज को नए प्रवेश लेने की अनुमति दे दी.
...जब हाईकोर्ट ने दी कॉलेज को राहत
यह उस समय हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की तरफ से मेडिकल कॉलेज को राहत नहीं दी गई थी, इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने प्रवेश की अनुमति दी, तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव को लेकर भी सवाल उठे.
...और जस्टिस एसएन शुक्ला पर लगे गंभीर आरोप
यही वह समय था, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला की तरफ से प्रसाद मेडिकल कॉलेज को नए प्रवेश की अनुमति दी गई तो दूसरे मेडिकल कॉलेजों में हड़कंप मच गया. जस्टिस एसएन शुक्ला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे और यहीं से मेडिकल कॉलेज के घोटाले की नींव पड़ गई. प्रसाद इंस्टिट्यूट को लेकर जो नए प्रवेश हुए, उसमें भी तमाम तरह की अनियमितताएं प्रकाश में आईं.
ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज का नाम भी आया सामने
खास बात यह है कि जस्टिस शुक्ला ने जिस दिन प्रसाद मेडिकल कॉलेज के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था, उससे ठीक 2 दिन पहले सीबीआई की टीमों ने लखनऊ और अन्य कई स्थानों पर छापेमारी की. ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज आइएम कुद्दुसी का नाम भी उस दौरान सामने आया. उनके यहां भी छापेमारी की. इसके साथ ही सीबीआई ने आईएम कुद्दुसी समेत प्रसाद मेडिकल एजुकेशन ट्रस्ट के मालिक बीपी यादव, पलाश यादव, विश्वनाथ अग्रवाल, भावना पांडे, मेरठ के मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक सुधीर गिरि समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था.
जांच-पड़ताल के बाद सीबीआई की टीम ने इस मामले में जस्टिस आइएम कुद्दुसी के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की. सीबीआई की चार्जशीट में छह अन्य आरोपियों को नामजद किया गया, जिनमें बीपी यादव, पलाश यादव, विश्वनाथ अग्रवाल, हवाला संचालक रामदेव सारस्वत, भावना पांडे और सुधीर गिरि के नाम भी शामिल रहे.
सीबीआई ने बीपी यादव पर लगाए थे गंभीर आरोप
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि बीपी यादव ने अपने कॉलेज प्रसाद मेडिकल कॉलेज पर साल 2017-18 और फिर 2018-19 के लिए छात्रों के दाखिले पर राज्य सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने वाली थी, तब यादव ने उच्च स्तर के अधिकारियों से साठगांठ कर मामले को सुलझाने के लिए कथित तौर पर संपर्क किया था.
तीन जजों की बनी थी बेंच
गंभीर बात यह थी कि उस समय जब आरोप लगे तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन वरिष्ठ जजों की एक जांच कमेटी भी बनाई थी. जांच जब हुई तो उस रिपोर्ट में यह सामने आया कि जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत होने की बात कही गई थी. इसके बाद साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सामने यह जांच रिपोर्ट पेश की गई. उस समय मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एसएन शुक्ला को इस्तीफा देने या अनिवार्य सेवानिवृत्त लेने की बात कही, लेकिन जस्टिस एसएन शुक्ला छुट्टी पर चले गए.
अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया और जस्टिस एसएन शुक्ला सहित अन्य 8 लोगों के यहां छापा मारा और अपनी जांच-पड़ताल को आगे बढ़ा दिया.
पूर्व जजों ने बयान देने से किया मना
ईटीवी भारत ने जब उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट के किसी मौजूदा जज के यहां सीबीआई के छापे पड़ने को लेकर पूर्व जजों से बात की तो उन्होंने कहा कि यह मामला वाकई बहुत महत्वपूर्ण, चिंतनीय और सोचनीय भी है. ऐसे में वह लोग अभी इस पूरे मामले में कुछ भी नहीं कहेंगे. सीबीआई की छापेमारी को गंभीर बताते हुए न्यायपालिका के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे समाज में ठीक संदेश नहीं जाएगा.