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अवैध लकड़ी कटान में पूर्व IAS, IFS समेत 4 अफसरों के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश

लोकायुक्त ने बलरामपुर के सोहलवा वन्यजीव प्रभाग में वर्ष 2017 में करोड़ों रुपये की खैर की लकड़ी के अवैध कटान के मामले में प्रदेश के एक पूर्व आईएएस व एक पूर्व आईएफएस सहित चार अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई

CBI जांच.
CBI जांच.

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Published : Mar 4, 2021, 3:07 AM IST

Updated : Mar 4, 2021, 7:50 AM IST

लखनऊ:लोकायुक्त ने बलरामपुर के सोहलवा वन्यजीव प्रभाग में वर्ष 2017 में करोड़ों रुपये की खैर की लकड़ी के अवैध कटान के मामले में प्रदेश के एक पूर्व आईएएस व एक पूर्व आईएफएस सहित चार अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की है.

पूर्व आईएएस संजीव सरन तत्कालीन प्रमुख सचिव वन के पद पर तैनात थे. जबकि, पूर्व आईएफएस डॉ. रूपक डे उस समय प्रमुख वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष के पद पर तैनात थे. अब दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं. साथ ही एक अन्य आईएफएस अधिकारी कुरुविला थॉमस जो वर्तमान में मुख्य वन संरक्षक हैं और पीएफएस अधिकारी जो अभी प्रभागीय वनाधिकारी हैं. उनके विरुद्ध भी सीबीआई जांच की संस्तुति की गई है.

लोकायुक्त ने प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की जांच से जुड़ी करीब 535 पृष्ठ की दो खण्ड की रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा और विधान परिषद में पटल पर रखी गई. जांच रिपोर्ट में लोकायुक्त ने लिखा है कि व्यापक स्तर पर वन क्षेत्र से वृक्षों के अवैध कटान के आरोपी लोक सेवक संजीव सरन, तत्कालीन प्रमुख सचिव वन डॉ. रूपक डे, तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक कुरुविला थामस, वन्यजीव पूर्वी गोण्डा तथा करन सिंह गौतम तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी, सोहलवा वन्यजीव प्रभाग, बलरामपुर व वन विभाग के अन्य अधिकारियों की संलिप्तता गंभीर मामला है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए किसी स्वतंत्र एजेन्सी जैसे सतर्कता अधिष्ठान या सीबीआई से प्रकरण की जांच कराई जाए. यह भी संस्तुति की है कि जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही करते हुए सख्त दंड दिया जाए.

ये था मामला
5 मार्च 2017 को पश्चिमी व पूर्वी सोहलवा रेंज के जंगल से अवैध रूप से काटी गई 12 करोड़ से ज्यादा की 1800 कुंतल खैर की लकड़ी को 16 ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर जंगल के बाहर गांव में छुपा दिया गया था. तभी पुलिस व एसएसबी की संयुक्त टीम ने इसे पकड़ लिया था. जांच में श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि इतनी भारी मात्रा में प्रतिबंधित खैर की लकड़ी को जंगल से काटकर गांव में छुपाकर रखना बगैर वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के संभव ही नहीं हो सकता. इसमें वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है. यह क्षेत्र ही नहीं पूरे प्रदेश में अवैध लकड़ियों की सबसे बड़ी बरामदगी है. वह भी जिसका कटान पूरी तरह से प्रतिबंधित है.

मामले को ठंडे बस्ते में डालने की हुई थी कोशिश
पुलिस जांच में विभागीय अधिकारियों पर ऊंगली उठने के बाद वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने विभागीय जांच कराकर उसकी रिपोर्ट के आधार पर छोटे कर्मचारियों मसलन एक उप प्रभागीय वनाधिकारी, दो क्षेत्रीय वनाधिकारी, एक उपक्षेत्रीय वनाधिकारी, एक वन दारोगा और दो वनरक्षक कुल सात अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की, लेकिन गोरखपुर के पिपराइच थाना क्षेत्र के दीनानाथ साहनी की शिकायत पर लोकायुक्त संगठन ने जांच की.

स्पष्टीकरण में आरोपी सभी अधिकारियों ने अपने को बताया निर्दोष
लोकायुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी आरोपियों से उनके ऊपर लगे आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया. इनमें सभी ने अपने को निर्दोष साबित करने की कोशिश की. साथ ही तकनीकी कारणों को आधार बताकर बरामद खैर की अवैध लकड़ियों का मूल्य काफी कम बताया है. लोकायुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी आरोपियों से उनके ऊपर लगे आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है.

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Last Updated : Mar 4, 2021, 7:50 AM IST

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