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Vinay Pathak Case : सीबीआई की नजर उन पर जिन्हें पहुंचाया गया लाभ - कानपुर विश्वविद्यालय के वीसी विनय पाठक

कानपुर के छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक प्रकरण (Vinay Pathak Case) में सीबीआई ने जांच करना शुरू कर दिया है. सीबीआई नियुक्तियों में खेल, घोटाले व अन्य बिंदुओं पर भी जांच बढ़ाएगी.

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Published : Jan 16, 2023, 2:00 PM IST

लखनऊ : कानपुर विश्वविद्यालय के वीसी विनय पाठक प्रकरण में जांच कर रही सीबीआई दिल्ली के एसीपी शिवा सुब्रमणि ने केस से जुड़े सभी दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, सीबीआई को दस्तावेजों में कुछ ऐसे बिंदु मिले हैं, जिन्हें यूपी एसटीएफ ने अपनी जांच रिपोर्ट में तो लिखा है, लेकिन उन पर गहराई से तफ्तीश नहीं की गई थी. एजेंसी अब उन्हीं बिंदुओं पर अपनी जांच आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है.

बीते दिनों सीबीआई ने यूपी सरकार की सिफारिश पर विनय पाठक प्रकरण की जांच अपने हाथों में लेते हुए दिल्ली में एफआईआर दर्ज की थी. अब एजेंसी ने जांच में तेजी लाते हुए एसटीएफ से विनय पाठक के करीबी व जेल में बंद अजय मिश्रा की नौ फर्मों से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं. एसटीएफ ने अपनी जांच में अजय मिश्रा की इन 9 फर्मों का जिक्र किया था, ये सभी फर्म अजय मिश्रा के रिश्तेदारों और नौकरों के नाम पर बनाई गई और इन्हें विनय पाठक के कार्यकाल के दौरान अधिकतम कार्य मिला था. एसटीएफ ने अपनी जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि अजय मिश्रा की इंदिरा नगर स्थित प्रिन्टिंग प्रेस में कई विश्वविद्यालयों के पेपर छपे थे. इसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के भी पेपर शामिल थे, हालांकि इसका ठेका हरियाणा की कंपनी को था.


सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई उन लोगों की सूची पर भी काम कर रही है, जो विनय पाठक की कृपा पाकर विश्वविद्यालय के कुलपति, निदेशक, डिप्टी रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार की कुर्सी पर बैठे हैं. इनमें कुछ अन्य बिंदु पर भी सीबीआई जांच बढ़ाएगी. जिसमें 100 करोड़ से ज्यादा का नियुक्तियों में खेल, विभिन्न विश्वविद्यालयों में कई तरह के निर्माण के नाम पर घोटाला, प्रमोशन देने में नियमों को ताक पर रखा, प्री और पोस्ट परीक्षा के संचालन का जिम्मा देने में खेल, ट्रांसपोर्ट से करोड़ों के माल की डिलीवरी को लेकर हुआ फर्जीवाड़ा शामिल है.



दरअसल, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है. इसके बाद योगी सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश की और 6 जनवरी को एजेंसी ने दिल्ली में विनय पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की.

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