लखनऊ: 17 मई 2017 की सुबह मीराबाई गेस्ट हाउस के सामने वाली सड़क पर संदिग्ध अवस्था में पाए गए आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. इस मामले में सीबीआई ने जून 2019 में क्लोजर रिपोर्ट लगाई थी. अब सीबीआई की विशेष अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसके बाद सीबीआई, अनुराग तिवारी के मौत मामले की नए सिरे से जांच शुरू करेगी.
जानकारी देती अधिवक्ता, नूतन ठाकुर कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी के संदिग्ध परिस्थिति में मौत के बाद उनके भाई मयंक तिवारी ने हजरतगंज थाने में साजिश व हत्या के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके बाद यह जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.
सीबीआई ने इस मामले में जून 2019 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, जिसके बाद मृतक आईएएस अनुराग तिवारी के भाई मयंक तिवारी द्वारा दायर प्रोटेस्ट याचिका को स्वीकार करते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए अग्रिम विवेचना के आदेश दिए गए हैं. यह आदेश विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई सुब्रत पाठक द्वारा जारी किए गए हैं.
मयंक तिवारी द्वारा दायर की गई प्रोटेस्ट याचिका की अधिवक्ता नूतन ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि सीबीआई ने यह कहते हुए केस बंद कर दिया था कि मृतक द्वारा किसी बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने या उनके बड़े अफसरों द्वारा मृत्यु का भय होने के आरोपों की मौखिक, लिखित तथा तकनीकी साक्ष्यों की पुष्टि नहीं हुई है, जिसके बाद नूतन ठाकुर ने कोर्ट में मयंक तिवारी का पक्ष रखते हुए सीबीआई द्वारा विवेचना के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजरअंदाज किए जाने तथा जांच पूर्वाग्रह पूर्ण दृष्टिकोण के साथ किए जाने की बात कही थी.
कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी (फाइल फोटो). मयंक तिवारी के पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने मयंक तिवारी की ओर से एसपी रैंक के अधिकारी से अनुराग तिवारी की हत्या की जांच कराने का आग्रह किया गया है.
भाई ने सीबीआई पर लगाया आरोप
17 मई 2017 की सुबह राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके हजरतगंज के वीवीआईपी गेस्ट हाउस के पास कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी मृत अवस्था में पाए गए थे. सड़क किनारे मृत पाए गए आईएएस अधिकारी की मौत को लेकर उस समय खूब हल्ला हुआ था. हजरतगंज थाने में भाई मयंक ने साजिश का हत्या के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. हालांकि एफआईआर में किसी को नामजद आरोपी नहीं बनाया गया था. बाद में इस जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया गया. सीबीआई ने जांच की और 2 साल बाद जून 2019 में 23 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. अब इस मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. जिसके बाद अब नए सिरे से अनुराग तिवारी की मौत के राज को खोलने के लिए सीबीआई जांच करेगी और हर महीने जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में शामिल करनी होगी.
IAS अनुराग तिवारी के भाई ने दी जानकारी सीबीआई की विशेष कोर्ट के फैसले के बाद मृतक आईएएस अनुराग तिवारी के भाई मयंक ने सीबीआई जांच को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. मयंक का कहना है कि सीबीआई ने गंभीरता से जांच नहीं की है न ही उनकी ओर से उठाए गए सवालों के जवाब सीबीआई ने दिए हैं. अनुराग ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि उनके भाई का मोबाइल ट्रिपल सिक्योरिटी लॉक पर था, लेकिन जब उनका फोन मिला तो वह अनलॉक था. आखिर किसने उनके फोन को अनलॉक किया था. मयंक ने सीबीआई की जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा है उनकी ओर से दिए गए बयानों को सीबीआई ने बदल कर प्रस्तुत किया.
मृतक अनुराग के भाई ने कहा कि जहां एक ओर पुलिस यह नहीं पता लगा पाई है कि अनुराग तिवारी के मोबाइल का पासवर्ड किसने खोला तो वहीं दूसरी ओर अनुराग के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का पासवर्ड भी खोलने और सबूत जुटाने में सीबीआई ने लापरवाही की है. अनुराग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का समय रात के करीब 12:30 बजे का है ऐसे में यह सवाल अभी तक बरकरार है कि अनुराग की डेड बॉडी सुबह सड़क पर कैसे आई. मयंक का कहना है कि उन्होंने 4 लोगों को आरोपी बनाया था, लेकिन सीबीआई की टीम ने सिर्फ 2 लोगों को आरोपी मानते हुए जांच की. मयंक ने कहा कि सीबीआई ने अपनी जांच में सिर्फ खानापूर्ति की है.
अनुराग तिवारी उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले हैं और घटना 17 मई 2017 से ठीक 2 दिन पहले 15 मई 2017 को वह राजधानी लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 19 में ठहरे थे. 17 मई को वह गेस्ट हाउस के बाहर मृत पाए गए. अनुराग तिवारी की मौत की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पाई है. अपनी एफआईआर में अनुराग तिवारी के भाई मयंक ने कहा था कि अनुराग तिवारी के ऊपर घोटाले की एक फाइल पर साइन करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है. 2 महीने पहले उन्होंने खुद की जान के खतरे की बात कही थी बताते चलें अनुराग बेंगलुरु में फूड सिविल सप्लाई एवं कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट में कमिश्नर के पद पर तैनात थे.
सीबीआई इंस्पेक्टर व इस मामले के विवेचक पूरण कुमार ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. उन्होंने अपने 23 पन्ने की क्लोजर रिपोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट व अन्य तथ्यों का हवाला देते हुए आईएएस अनुराग की मौत का कारण सड़क पर अचानक गिरने को बताया था. क्लोजर रिपोर्ट में अनुराग को एक ईमानदार अधिकारी बताया गया था और यह भी बताया गया था कि 10 साल में उनका 8 बार तबादला हुआ. क्लोजर रिपोर्ट में हत्या या आत्महत्या किसी के भी सबूत नहीं पेश किए गए थे. रिपोर्ट में बताया गया था कि घटना से पहले अनुराग तिवारी के व्यवहार में कोई असामान्य परिवर्तन देखने को नहीं मिली था. परिजनों ने जो आरोप लगाए थे उनकी जांच की गई लेकिन उस संदर्भ में कोई सबूत सीबीआई को नहीं मिले.