लखनऊ: सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने शुक्रवार को प्रदेश सरकार के निर्देश पर गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में तत्कालीन चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं इस मामले में ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज कर चुकी है. बता दें कि ईडी ने 8 में से 5 आरोपियों से पूछताछ भी की थी.
सपा शासन काल की महत्वपूर्ण परियोजना गोमती रिवर फ्रंट के तहत 1,513 करोड़ के बजट से गोमती के किनारे सुंदरीकरण का कार्य कराया जाना था, लेकिन जिस कंपनी को इसका ठेका दिया गया था. वह कंपनी पहले ही डिफाल्टर थी. वहीं इस मामले में काम पूरा हुए बगैर ही निर्धारित बजट का 95 फीसदी हिस्सा खर्च कर दिया गया, जबकि 60 फीसदी काम अधूरा पाया गया था.
योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई समिति से कराई. इसमें सिंचाई विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी हुई थी.
सीबीआई ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में की गिरफ्तारी
सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने शुक्रवार को मामले में आरोपी तत्कालीन सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव को गिरफ्तार किया है. सीबीआई से इस पूरे मामले की जांच कराने का फैसला प्रदेश की योगी सरकार ने किया था. अब सीबीआई ने मामले में कार्रवाई करते हुए गिरफ्तारी की है. इस मामले में अखिलेश यादव के करीबी रहे दो बड़े आईएएस अफसर भी घेरे में हैं.
यह था पूरा मामला
गोमती रिवर फ्रंट सपा सरकार की एक महत्वपूर्ण परियोजना थी. सिंचाई विभाग के अंतर्गत राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के दोनों तरफ सुंदरीकरण का कार्य किया जाना था. इसके लिए 1,513 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन जिस कंपनी को ठेका दिया गया था वह कंपनी पहले से ही डिफाल्टर थी. इसके बाद भी उस कंपनी को ठेका दिया गया. इस कंपनी पर आरोप है कि उसने काम पूरा होने से पहले ही निर्धारित बजट का 95 फीसदी पैसा निकाल लिया. जबकि 60 फीसदी काम अधूरा ही पड़ा रहा.
गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में ईडी के साथ-साथ सीबीआई ने भी केस दर्ज किया था. इस पूरे मामले में चीफ इंजीनियर गोलेश चंद्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव व सुरेंद्र यादव जो सिंचाई विभाग के इंजीनियर थे. इनके खिलाफ अभी भी सीबीआई की जांच चल रही है. वहीं ईडी ने भी 8 लोगों में से 5 लोगों के खिलाफ पूछताछ कर चुकी है.
प्रदेश की योगी सरकार सत्ता में आते ही गोमती रिवरफ्रंट घोटाले के मामले में पहला मुकदमा 19 जून 2017 को गौतम पल्ली थाने में दर्ज किया गया था. नवंबर 2017 में ईओडब्ल्यू ने भी जांच शुरू कर दी थी, लेकिन पूरा मामला दिसंबर 2017 में ही सीबीआई के पास चला गया. वह सीबीआई जांच को आधार बनाते हुए ईडी ने भी मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की.
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