वर्ष 2018 से बंद है सिविल अस्पताल की कैथ लैब, शासन से जारी हो चुका है बजट. लखनऊ :सिविल अस्पताल में वर्ष 2018 से कैथ लैब बंद पड़ी है. इसे अबतक शुरू नहीं किया जा सका है. यहां रोजाना 300 से अधिक मरीज दिखाने के लिए आते है, लेकिन एंजियोग्राफी के लिए मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है या निजी अस्पताल में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है. बीते छह महीने पहले भी अस्पताल प्रशासन ने कहा था कि जल्द ही यहां पर कैथ लैब बनेगी. जिसके बाद यहां से कोई भी मरीज बिना इलाज के नहीं लौटेगा. मौजूदा समय स्थिति यह है कि सिविल अस्पताल में जगह की कमी है. न्यू ओपीडी बननी है, लेकिन सारा काम ठप पड़ा है. नक्शा पास नहीं होने के कारण तमाम दिक्कतें आ रही हैं.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टिक की जांच नहीं हो पा रही है. इसकी जांच के लिए कैथ लैब की आवश्यकता होती है जो अभी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. कुछ साल पहले यहां पर कैथ लैब थी, लेकिन कुछ दिक्कतों के कारण हटा दिया गया था. शासन की ओर से प्रस्ताव पारित हुआ है. जल्द ही अस्पताल में कैथ लैब बनेगी. अभी जो मरीज अस्पताल में आ रहे हैं, उन्हें प्राथमिक इलाज यहां पर देते हैं. इसके बाद जांच के लिए ट्रामा सेंटर भेजते हैं. यहां पर अभी तक मरीजों को सिर्फ ईसीजी-ईको जांच की सुविधा उपलब्ध है. अस्पताल की कैथ लैब करीब छह साल से खराब पड़ी है.
वर्ष 2018 से बंद है सिविल अस्पताल की कैथ लैब, शासन से जारी हो चुका है बजट. डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार रोजाना अस्पताल की ओपीडी में करीब 250 से 300 मरीज पहुंचते हैं. इनमें से बहुत से मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें एंजियोग्राफी या एंजियोप्लास्टि कराने के आवश्यकता होती है तो इन मरीजों को अन्य बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है. जहां पर यह जांच हो सके. केजीएमयू, लोहिया, पीजीआई समेत सभी अस्पतालों में इसकी जांच होती है. इसके लिए शुल्क भी निर्धारित है. जो मरीज सक्षम होते हैं उन्हें हम लखनऊ के बड़े मेडिकल सेंटर्स पर रेफर कर देते हैं.
इस दौरान निशातगंज से कार्डियोलॉजिस्ट विभाग में दिखाने के लिए पहुंची प्रीति ने बताया कि यहां पर एंजियोग्राफी की जांच नहीं होती है. इसकी वजह से काफी परेशानी होती है. मंगलवार को अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए आए थे. यहां पर हमने दिखा लिया है, लेकिन यहां पर जांच नहीं हो पाएगी. इसके लिए केजीएमयू में रेफर किया गया है. मरीज बृजभूषण श्रीवास्तव ने बताया कि अगर यहां पर यह दोनों जांचें होने लगें तो काफी ज्यादा सहूलियत हो जाएगी. कई बार ऐसा होता है कि किसी को इमरजेंसी में दिखाने के लिए हम पर आते हैं तो यहां पर जांच नहीं हो पाती है. जिस कारण यहां पर ऑपरेशन भी नहीं होता है. ऐसे में मरीज को बिगड़ी हालत में केजीएमयू या लोहिया अस्पताल ले जाना पड़ता है. जहां पर काफी ज्यादा भीड़ होती है. ऐसे में कई बार स्थिति बिगड़ने से मरीज की मौत हो जाती है. इसलिए अगर यहां पर कैथ लैब शुरुआत हो जाती है तो काफी अच्छा रहेगा.
वर्ष 2018 से बंद है सिविल अस्पताल की कैथ लैब, शासन से जारी हो चुका है बजट. जानिए क्या है कैथ लैब डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कैथ लैब एक कैथीटेराइजेशन प्रयोगशाला हैं, जिसे आमतौर पर कैथ लैब के रूप में जाना जाता है. एक अस्पताल या क्लीनिक में एक परीक्षण कक्ष होता है. जिसमें डायग्नोस्टिक इमेजिंग उपकरण होते हैं, जो हृदय की धमनियों और हृदय के कक्षों की कल्पना करते हैं और किसी भी स्टेनोसिस या असामान्यता का इलाज करते हैं. कार्डिएक कैथीटेराइजेशन कुछ प्रकार के हृदय रोगों के निदान और उपचार के लिए की जाने वाली एक प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया के दौरान एक पतली लंबी ट्यूब जिसे कैथेटर कहा जाता है, धमनी या नस या कमर में डाली जाती है. फिर इसे रक्त वाहिकाओं के जरिए हृदय तक पहुंचाया जाता है. कार्डिएक कैथीटेराइजेशन कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और कोरोनरी स्टेंटिंग जैसी कुछ हृदय संबंधी समस्याओं के इलाज के रूप में भी काम करता है. यह प्रक्रिया कभी-कभी हृदय संबंधी समस्याओं का पता लगाने के लिए और कभी-कभी हृदय संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए की जाती है. इस प्रक्रिया में कम दर्द, कम जोखिम और तेजी से ठीक होने की संभावना होती है.
क्या हैं एंजियोग्राफी-एंजियोप्लास्टी :डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एंजियोग्राफी एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है जो किसी भी संभावित हृदय की स्थिति की जांच के लिए आपकी रक्त वाहिकाओं की जांच करता है. एंजियोप्लास्टी एक मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है. जिसमें रेडियल या फेमोरल धमनी के माध्यम से हृदय की स्थिति का इलाज करने के लिए संकीर्ण धमनियों को चौड़ा किया जाता है.
सिविल अस्पताल के निदेशक डाॅ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि सिविल अस्पताल में वर्ष 2018 तक कैथ लैब थी, लेकिन मशीन खराब हो जाने के बाद सेरिपेयर नहीं हो पाई. वरिष्ठ कार्यालय डॉ. राजेश ने कई ऑपरेशन किए हैं, लेकिन मशीन खराब हो जाने के बाद यहां पर ऑपरेशन बंद हो गए हैं. फिलहाल शासन से बजट पास हुआ और अब मशीन का इंतजार कर रहे हैं. जब मशीन लग जाएगी तब से जांच शुरू हो जाएगी. इसके लिए पहले से ही जगह का निर्धारण हो चुका है. जहां पहले कैथ लैब थी. वहीं पर दोबारा मशीन स्थापित होगी. मशीन स्थापित करने की जिम्मेदारी ड्रग काॅरपोरेशन को दी गई है. शासन ने कैथ लैब के लिए तीन करोड़ 89 लाख 25 हजार का बजट जारी किया है. इस बजट से कैथ लैब, टीएमटी व टूडी ईको मशीन खरीदना था.
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