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केजीएमयू: दूसरे विषयों की परीक्षा कॉपी की भी होगी जांच, फार्मेसी काउंसिल के ओएसडी को लेकर उठे सवाल

केजीएमयू में अब पूरी परीक्षा प्रणाली सवालों के घेरे में है. मेडिसिन विभाग में जूनियर छात्रों का सीनियर की परीक्षा देने का मामला पकड़ में आने पर दूसरे विषयों की कॉपी की जांच की जाएगी.

केजीएमयू परीक्षा मामला
केजीएमयू परीक्षा मामला

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Published : May 17, 2022, 8:34 AM IST

लखनऊ: केजीएमयू में अब पूरी परीक्षा प्रणाली सवालों के घेरे में है. यहां के एमबीबीएस छात्रों ने परीक्षा की सुचिता तार-तार कर दी है. मेडिसिन विभाग में जूनियर छात्रों का सीनियर की परीक्षा देने का मामला पकड़ में आने पर दूसरे विषयों की भी कॉपी की जांच होगी.

केजीएमयू में मेडिसिन एसेसमेंट टेस्ट के दौरान 21 स्टूडेंट को अपने सीनियर की परीक्षा देते हुए पकड़ा गया. इस मामले के बाद केजीएमयू प्रशासन भी सकते में आ गया. डीन एकेडमिक्स प्रो. उमा सिंह ने परीक्षा देने वाले 21 स्टूडेंट के साथ ही उन 21 को भी निलंबित कर दिया गया है जिनके स्थान पर वह परीक्षा दे रहे थे. आठ सप्ताह तक ये क्लास और हॉस्टल दोनों से निलंबित रहेंगे. इसके साथ ही अन्य कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा. वहीं, अब अन्य विषयों में भी गड़बड़ी की आशंका है. ऐसे में अन्य विषयों की कॉपी भी जांची जाएगी.

यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल में ओएसडी की कुर्सी को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं. ओएसडी की तैनाती को लेकर तत्कालीन रजिस्ट्रार ने डीजी हेल्थ व शासन को पत्र भेजकर ओएसडी पद पर जमे फार्मासिस्ट को उनके मूल तैनाती स्थल पर भेजने को कहा है. शासन को भेजे गए पत्र में हवाला दिया गया था कि काउंसिल में ओएसडी को कोई भी पद सृजित नहीं है. काउंसिल के जरिए भी पद सृजन के लिए कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं किया गया. रजिस्ट्रार ने भेजे शिकायती पत्र में यह भी आरोप लगाया था कि ओएसडी के जरिए काउंसिल के पंजीकरण-नवीनीकरण दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी किए जा रहे थे जो बिल्कुल गलत हैं. स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेदव्रत सिंह के मुताबिक, कमेटी वीडियो संग पद सृजन की भी जांच करेगी. रिपोर्ट मिलने पर आगे की कार्रवाई होगी.

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सीएमओ के अधीन जमे एक फार्मासिस्ट के दस्तावेज में गड़बड़ी का आरोप है. उसके तार यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल से जुड़े हैं. इस मामले की शिकायत होने के साथ ही जांच के आदेश हुए हैं. सीएमओ की जांच कमेटी ने केजीएमयू से कोर्स बंद होने का रिकार्ड मांगा है. वहां से मिले रिकार्ड में फार्मेसी कोर्स वर्ष 2000 में बंद हो चुका था, जबकि फार्मासिस्ट ने डिप्लोमा इन फार्मेसी कोर्स 2002 में पास आउट होने का रिकार्ड दिया है. वहीं, फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण भी वर्ष 2002 में किया गया.

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