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Retired IAS Officer पर भूखंड आवंटन फर्जीवाड़े में मुकदमा दर्ज, सीबीसीआईडी ने की कार्रवाई

Case Filed Against Retired IAS Officer : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आवास विकास परिषद की इंदिरानगर आवासीय योजना में भूखंड आवंटन में फर्जीवाड़ा हुआ था. आईए जानते हैं, क्या था ये फर्जीवाड़ा, कितने लोगों को बनाया गया है आरोपी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 23, 2023, 5:32 PM IST

लखनऊ: रिटायर्ड आईएएस अफसर सतेंद्र सिंह के खिलाफ सीबीसीआईडी ने गाजीपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. आवास विकास परिषद की इंदिरानगर आवासीय योजना में भूखंड आवंटन फर्जीवाड़े में इनका नाम आया है जो उस समय संयुक्त आवास आयुक्त थे. वह 31 दिसंबर 2018 को सेवा से रिटायर्ड हो गए हैं. इनके साथ ही चार और दोषियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है.

क्या था फर्जीवाड़ाःआवास विकास परिषद की इंदिरानगर आवासीय योजना में महिला आवंटी के भूखंड की पत्रावली को गायब करके कंस्ट्रक्शन कम्पनी को जमीन गलत तरीके से अलॉट की गई थी. 2020 में गृह सचिव मणि प्रसाद ने पुख्ता दस्तावेज मिलने के बाद सीबीसीआईडी को मामले की जांच के आदेश दिए थे. फर्जीवाड़े पर सीबीसीआईडी ने रिटायर्ड आईएएस अफसर सत्येंद्र सिंह (तत्कालीन संयुक्त आवास आयुक्त) समेत चार के खिलाफ केस दर्ज कराया है.

शिकायतकर्ता पर भी लगे थे गंभीर आरोपःपुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार इंदिरानगर बी-13 निवासी सविता गर्ग को 23 सितंबर 1991 को परिषद की इंदिरानगर योजना में नीलामी के जरिए भूखंड आवंटित किया गया था. सविता ने इसकी शिकायत तब की जब यह भूखंड कांस्ट्रक्शन कंपनी को आवंटित हो गया. तब नेहरू एन्क्लेव निवासी कृष्णकांत मिश्रा ने आरोप लगाया था कि सविता ने प्रीमियम कांस्ट्रक्शंस के प्रतिनिधि के तौर पर नीलामी में भाग लिया था.

शिकायतकर्ता ने आरोपों से किया इनकारःहालांकि सविता ने आरोपों से साफ इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि वह नीलामी में शामिल नहीं हुई थीं. वर्ष 2020 में सविता ने तत्कालीन गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा से शिकायत की. गृह सचिव के आदेश पर प्रकरण की सीबीसीआईडी ने जांच की. जांच के आधार पर रिटायर आईएएस सत्येन्द्र सिंह सत्येंद्र दल, तत्कालीन संपत्ति प्रबंध अधिकारी कृपाशंकर मिश्रा, विजय कुमार मेहरोत्रा और लेखाधिकारी सुरेश के खिलाफ केस दर्ज हुआ.

दो आरोपियों की हो चुकी है मौतःवहीं इस केस में आरोपी बनाए गए चार लोगों में से दो की मौत हो चुकी है. जानकारी के अनुसार विजय कुमार 30 जून 2014 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सत्येंद्र सिंह भी 31 दिसंबर 2018 को शासन से सचिव पद से रिटायर हो चुके हैँ. वहीं, आरोपी सुरेश की वर्ष 2017 और कृपाशंकर की वर्ष 2018 में मौत हो चुकी है.

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