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CM के फर्जी लेटर पैड का इस्तेमाल करना पड़ गया भारी, वकील पर FIR

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फर्जी लेटर पैड पर नियुक्ति के लिए संस्तुति करने के आरोप में अधिवक्ता राकेश कुमार अवस्थी के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है. आरोप है कि अधिवक्ता राकेश कुमार अवस्थी ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में विशेष लोक अभियोजन की नियुक्ति के लिए फर्जी संस्तुति पत्र बनाया था.

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Published : Nov 26, 2020, 2:34 PM IST

case filed against advocate in lucknow
नियुक्ति के लिए वकील का फर्जीवाड़ा

लखनऊःमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फर्जी लेटर पैड पर नियुक्ति के लिए संस्तुति करने के आरोप में अधिवक्ता राकेश कुमार अवस्थी के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है. इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडे का कहना है कि अधिवक्ता ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में विशेष लोक अभियोजन की नियुक्ति के लिए फर्जी संस्तुति पत्र बनाया था. हालांकि, नारकोटिक्स विभाग की तरफ से इस मामले में पहले ही महानगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है.

सीएम के फर्जी लेटर पर नियुक्ति की संस्तुति

केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में विशेष लोक अभियोजन की नियुक्ति के लिए संस्तुति पत्र बनाया गया था. आरोप है कि अधिवक्ता राकेश कुमार अवस्थी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के फर्जी लेटर पैड का इस्तेमाल किया. फर्जी लेटर पैड पर नियुक्ति के लिए संस्तुति करने के आरोप में अधिवक्ता राकेश कुमार अवस्थी पर मुकदमा दर्ज किया गया है. हालांकि इस मामले में पहले भी नारकोटिक्स विभाग की तरफ से महानगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया गया था.

धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज

हजरतगंज थाने में तैनात इंस्पेक्टर ने बताया कि शासन के आदेश पर अधिवक्ता राकेश अवस्थी के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. बाराबंकी के सिविल लाइंस निवासी अधिवक्ता ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के उप नारकोटिक्स आयुक्त कार्यालय में उच्च न्यायालय में एनडीपीएस मामलों की पैरवी के लिए आवेदन किया था. उन्होंने अपने आवेदन पत्र के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे का संस्तुति पत्र भी लगाया था.

जांच में हुआ खुलासा

नारकोटिक्स ब्यूरो ने 3 जून 2019 को अधिवक्ता को नियुक्ति भी दे दी थी, लेकिन जब पत्र की पड़ताल कराई गई, तो मामले का खुलासा हो गया. फर्जीवाड़े की भनक लगने पर ब्यूरो ने मामले की जांच शुरू की और विगत 3 सितंबर 2020 को ब्यूरो ने मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बाबत सूचना मांगी. इसमें संस्तुति पत्र को फर्जी बताया. इसके बाद अधिवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.

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