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साइलेंट किलर की तरह आ रहा कार्डियक अरेस्ट, पल भर में हो रही मरीज की मौत

बीते कुछ महीनों से कार्डियक अरेस्ट के केस काफी बढ़ रहे हैं. कम उम्र में ही लोग हार्ट की इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. कई मामलों में मौके पर ही मरीज की मौत हो रही है. डॉक्टरों का कहना है कि खराब लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतों और कोविड महामारी की वजह से ये बीमारी बढ़ रही है.

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Published : Nov 15, 2022, 5:02 PM IST

Updated : Nov 15, 2022, 6:41 PM IST

जानकारी देते वरिष्ठ कार्डियोलजिस्ट
जानकारी देते वरिष्ठ कार्डियोलजिस्ट

लखनऊ: इस समय हार्ट अटैक ज्यादातर ऐसे व्यक्ति को आ रहा है जो अपने आपको काफी फिट रखते है. जितने भी बड़े केस सामने आए. उसमें देखा गया कि ज्यादातर लोग जो जिम जाते हैं, दौड़ लगाते हैं, डांस करते हैं उन्हें ही अचानक हार्ट अटैक का झटका आता है और पल भर में व्यक्ति की मौत हो जाती है. वैसे तो कॉर्डियक अरेस्ट के कई कारण (Multiple Causes of Cardiac Arrest) हैं. जिसमें से एक यह भी है कि कोरोना ने बॉडी के ऑर्गनस पर काफी बुरा प्रभाव छोड़ा है.

जिसकी वजह से बहुत सारे मरीज सांस संबंधी बीमारियों के चपेट में आ गए. लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने बताया कि कोरोना वायरस इन्फ्लेमेटरी डिजीज है, जिसकी वजह से पूरे शरीर की धमनियों में इन्फ्लेमेशन होता है. तो लंग्स में भी इन्फ्लेमेशन होता है जो कि हमें सांस फूलना और पता चलता है और खांसी आने से तो हम टेस्ट कराते हैं अगर कोरोना होता तो हमें पता चलता है कि कोरोना का इंफेक्शन हो गया.

जानकारी देते वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भुवन चंद्र तिवारी.



उन्होंने बताया कि लंग्स पर जो वायरस असर करता है मुख्य तौर पर वह धीरे-धीरे हार्ट, किडनी और ब्रेन पर असर करता है. काफी सारे लोगों को उस दौरान हार्टअटैक भी देखे गए. इसके अलावा अब लोगों में इस रिएक्शन देखने को मिल रहा है. दिल की धमनियों में भी इन्फ्लेमेशन हो जाता है. खासतर से वह लोग जिनको पहले कोरोना हो चुका है और वह ठीक हो गए हैं उन्हें अधिक सचेत रहने की जरूरत है. खास तौर से यह लोग वह हैं जो लोग स्मोकिंग करते हैं एक्सरसाइज नहीं करते हैं. अपनी डाइट में जंक फूड का सेवन अधिक करते हैं तो इन लोगों में हार्डवेयर का खतरा बढ़ सकता है.



उन्होंने कहा कि अगर हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. तो हार्ट की पंपिंग पावर जो कि 60 से 70 प्रतिशत होती है. वह किसी भी वायरल इंफेक्शन में कम हो जाती है. धीरे-धीरे करके उसमें सुधार भी आ जाता है, लेकिन वहीं दूसरा जो धमनी वाली दिक्कत होती है उसने फिर बीमारी एक बार आती है तो वह धीरे-धीरे करके आगे बढ़ती है और अगर आप अपने शरीर में रिक्स फैक्टर जुड़ते जाएंगे तो यह बढ़ता ही जाएगा.



केजीएमयू, लारी के वरिष्ठ कार्डियोलजिस्ट डॉ. अक्षय प्रधान ने बताया कि स्टडीज में पता चलता है कि कोरोना वायरस धमनियों की इन्फ्लेमेटरी डिजीज है या वह वैस्कुलर एजिंग 'एक तरह से जो हमारी धमनी है उसको धीरे-धीरे करके खराब करता है.' तो अगर हम कोरोना के बाद हेल्दी लाइफस्टाइल रखें, अपने खान-पान अच्छा रखें, योगा करें, व्यायाम करें, रोजाना रनिंग करें. और दूसरे रिक्स फैक्टर यानी कि डायबिटीज से बचें मीठा कम खाएं. किसी के साथ स्मोकिंग और तंबाकू किसी भी रुप से नहीं करेंगे तो एक व्यक्ति अपनी धमनियों और दिल को स्वस्थ रख सकता है.

अगर कोई व्यक्ति अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं करता है तो काफी खतरनाक साबित हो सकता है. यही कारण है कि कोरोना काल में हार्टअटैक के केस काफी बढ़ गए थे. हालांकि अभी भी हार्टअटैक के काफी केस आते हैं. कोविड वैक्सीन की वजह से इंफेक्शन कम हुए हैं या फिर इंफेक्शन हुए भी हैं तो उग्रता काफी कम थी. अभी भी तीसरी और चौथी लहर लोगों में जो लोगों को कोरोना हो रहा है तो लोगों को यह समझना है कि अगर आज तक स्मोकिंग या रिक्स फैक्टर से पीड़ित है तो इनको कंट्रोल करें.

एक बार अगर आपको कोरोना हो गया है तो जहां तक हो सकें स्मोकिंग, तबाकू से अपने आप को दूर रखें. तब आपका हृदय स्वस्थ रह सकता है. अपनी लाइफ स्टाइल अच्छी रखें, रोजाना पैदल चले, दिनचर्या में योगा व एक्सरसाइज को शामिल करें और जितने भी यह रिक्स फैक्टर हैं उनसे अपने आप बचाएंगे तो कोरोना से जो होने वाला दुष्प्रभाव आपके हार्ट के उपर पड़ रहा है. तो उससे आप अपने आपको बचा सकते हैं. इसी के साथ आप बीच-बीच में अपना कुछ मेडिकल जांच भी कराते रहे.

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Last Updated : Nov 15, 2022, 6:41 PM IST

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