लखनऊ : देश के सभी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) व बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए होने वाले ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) मेंस क्वालीफाई करने के बाद भी अगर 12वीं में छात्रों के 75 प्रतिशत अंक (75 percent rule in JEE Mains) नहीं होंगे तो वह देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं पा सकेंगे, वहीं एससी व एसटी कैटेगरी के छात्रों के लिए यह अनिवार्यता 65 फ़ीसदी रखी गई है. ज्ञात हो कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से 75 फीसदी अंकों की अनिवार्यता को लागू नहीं किया गया था. अब बीते एक साल से जब सामान तरीके से पढ़ाई हो रही है तो जेईई में 2023 में बोर्ड में 75 फीसदी अंकों की अनिवार्यता को लागू कर दिया गया है, जिससे हजारों छात्रों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है.
इंदिरा नगर सेक्टर 14 में रहने वाले छात्र रोहित सिंह ने बताया कि साल 2021-22 में सीबीएसई बोर्ड से 12वीं का एग्जाम दिया था. कोविड-19 के कारण बीते दो वर्षों से ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी. जिस कारण इंटरमीडिएट में ज्यादातर पढ़ाई घर बैठकर ही हुई है. ऐसे में बोर्ड एग्जाम में परफॉर्मेंस उम्मीद के अनुसार नहीं रहा. पीसीएम ग्रुप से इंटर में 74 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पाए. बीते साल जेईई मेंस का दोनों एग्जाम दिया था पर जेईई एडवांस के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था. इस बार शुरू से ही जेईई के लिए तैयारी रहा था, लेकिन 75 फ़ीसदी मार्क्स की अनिवार्यता लागू करने से दिक्कत होगी. इस निर्णय से मेरे जैसे छात्रों को काफी मायूसी हुई है. हमारी पूरी मेहनत बेकार चली जाएगी.
12वीं के छात्र मोहित अग्रवाल ने बताया कि इसी साल बोर्ड एग्जाम दिया था, जिसमें 71 प्रतिशत नंबर मिले हैं. इस नियम को लागू करना ही था तो इसकी जानकारी बीते जेईई एडवांस एग्जाम के तुरंत बाद देना चाहिए था, ताकि मेरे जैसे छात्र इम्प्रूवमेंट एग्जाम देकर अपना रिजल्ट सुधार लेते तो दिक्कत नहीं होती. इस निर्णय से हम जैसे छात्रों का पूरा भविष्य अधर में लटक गया है.