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Cancer Patient Operation in Lohia : डॉक्टरों ने कैंसर मरीज का हाथ कटने से बचाया, 5 घंटे तक चला जटिल ऑपरेशन - लखनऊ न्यूज

लखनऊ के लाेहिया संस्थान में डॉक्टरों ने कैंसर मरीज का जटिल ऑपरेशन किया. मरीज काे कान्ड्रो सारकोमा ट्यूमर था. समय पर इस बीमारी की पहचान हाेनी जरूरी है.

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Published : Jan 22, 2023, 12:02 PM IST

लखनऊ : लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने कैंसर से पीड़ित मरीज का हाथ कटने से बचा लिया. मरीज काे कान्ड्रो सारकोमा ट्यूमर था. दाहिने कंधे में ज्यादा सूजन आने पर मरीज काे हाथ घुमाने में परेशानी हाेने लगी. इसके अलावा असहनीय दर्द रहने लगा. हाथ कटवाने की नाैबत आ गई थी. 4 से अधिक डॉक्टरों की टीम ने 5 घंटे तक जटिल ऑपरेशन कर ट्यूमर काे निकाल दिया.

सिदार्थनगर निवासी बंसराज (65) के दाहिने कंधे में सूजन आ गई थी. उसमें दर्द रहने लगा. धीरे-धीरे सूजन बढ़ती चली गई. हाथ को घुमाने में भी अड़चन आने लगी. दर्द से बंसराज की दिनचर्या प्रभावित होने लगी. कई स्थानीय अस्पतालों में दिखाया लेकिन आराम नहीं मिला. कंधे के एक्सरे में डॉक्टर ने ट्यूमर की आशंका जाहिर की. बुजुर्ग ने कई जगह दिखाया, इसके बावजूद आराम नहीं मिला. डॉक्टरों ने ट्यूमर बड़ा होने के कारण हाथ काटने की सलाह दी.

घबराए परिजन बुजुर्ग को लेकर लोहिया संस्थान पहुंचे. यहां सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉ. विकास शर्मा ने मरीज को देखा. डॉ. विकास ने जांचें कराईं. इसमें ट्यूमर का आकार बड़ा होने का पता चला। ट्यूमर नसों पर दबाव डाल रहा था. जांच में कान्ड्रो सारकोमा की पुष्टि हुई. मरीज की हालत देखते हुए डॉ. विकास ने ऑपरेशन करने का फैसला किया. 18 जनवरी को ऑपरेशन हुआ.

डॉ. विकास शर्मा, डॉ. गौरव सिह, डॉ. अमित, डॉ. राज शेखर समेत अन्य डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन कर ट्यूमर काे निकाल दिया. ऑपरेशन 5 घंटे तक चला. डॉ. विकास ने बताया कि कंधों की नसों को बचाते हुए यह ऑपरेशन किया गया. साथ ही कृत्रिम कंधा भी प्रत्यारोपित किया गया. उन्होंने बताया कि कान्ड्रो सारकोमा काफी खतरनाक ट्यूमर होता है. यह तेजी से फैलता है. कुछ स्थितियों में कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी कारगर होती है. ज्यादातर मामलाें में इस कैंसर में ऑपरेशन करने की जरूरत पड़ती है.

डॉ. विकास ने बताया कि पहले इस तरह के ऑपरेशन कठिन होते थे. मरीज को हाथ या पैर गंवाने पड़ते थे. अब समय पर बीमारी की पहचान से अंगों को कटने से बचाया जा सकता है. वहीं बीमारी भी आसानी से काबू में आ जाती है. इलाज के बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है.

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