उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

लगातार शिकस्त से जा चुकी है कांग्रेस की शान, अब गांव की पगडंडियों से प्रियंका लौटा पाएंगी मान ? - यूपी में प्रियंका गांधी

लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence), ललितपुर में किसान परिवार से मिलना, किसान न्याय रैली, प्रतिज्ञा रैली से कहीं न कहीं प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के नेतृत्व में कांग्रेस (Congress) एक विपक्षी पार्टी के रूप में उभर रही है. अगर प्रियंका गांधी के नेतृत्व में 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) के दौरान पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है तो कांग्रेस अपनी खोई हुई पहचान पा सकने में कामयाब हो सकती है.

Priyanka Gandhi image
Priyanka Gandhi image

By

Published : Oct 31, 2021, 12:54 PM IST

Updated : Oct 31, 2021, 1:27 PM IST

लखनऊ : तारीख 19 अक्टूबर की थी, लखनऊ में सारे मीडिया कर्मी कांग्रेस कार्यलय पर जुट चुके थे. वक्त था प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की प्रेस कॉन्फ्रेंस का. इतंजार खत्म हुआ, प्रियंका आईं और अपने संबोधन के दौरान ऐतिहासिक घोषणा कर दी. प्रियंका गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) में महिलाओं को 40 प्रतिशत तक टिकट देने का ऐलान कर दिया. साथ ही नारा दिया 'लड़की हूं लड़ सकती हूं'. इस ऐलान से यूपी की राजनीति में खलबली मच गई.

गांव की पगडंडियों पर चल रहीं प्रियंका

23 अक्टूबर को बाराबंकी में 'प्रतिज्ञा रैली' के दौरान प्रियंका गांधी धान काट रही महिलाओं से मुलाकात की थी. वहां गांव की पगडंडियों पर पेड़ की छांव में महिलाओं के साथ गुड़ और रोटी खाई थी. जब प्रियंका ने महिलाओं को बताया कि वह लड़कियों को स्कूटी और फोन दे रही हैं तो महिला ने कहा कि बेटियों को पढ़ने में मदद मिलेगी.

बाराबंकी में महिलाओं के साथ खाना खातीं प्रियंका गांधी.

ललितपुर में खाद की लाइन में खड़े किसान की मौत के बाद प्रियंका गांधी ने 29 अक्टूबर को पीड़ित परिजनों से मिलने पहुंचीं. जिले में पिछले सात दिनों में लगातार तीन किसानों की मौत हो चुकी थी. प्रियंका ने लखीमपुर खीरी ही की तरह एक फिर किसान को मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला बोला. यूपी में कांग्रेस की जमीन तैयार करने के लिए प्रियंका लगातार किसानों की समस्याओं को मुद्दा बनाकर सरकार हर आक्रामक हैं.

इससे पूर्व प्रियंका गांधी मीडिया में छाई रहीं, जब 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा में 4 किसानों सहित कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी. 3 अक्टूबर को हुए इस हिंसा के बाद रात में ही प्रियंका गांधी लखनऊ पहुंच गईं और रात में ही लखीमपुर के लिए रवाना हों गईं. प्रियंका काफिला लखनऊ से सीतापुर पहुंचा ही था कि पुलिस ने रोक लिया और प्रियंका को हिरासत में लेकर सीतापुर के एक पुलिस गेस्ट हाउस में नजरबंद कर दिया गया.

ललितपुर में मृत किसान की बेटी को सांत्वना देतीं प्रियंका गांधी.

इसे भी पढ़ें- ललितपुर पहुंची प्रियंका गांधी, मृत किसान के परिवार से की मुलाकात

करीब 57 घंटे हिरासत में रहने के बाद अपने भाई और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ लखीमपुर खीरी पहुंचीं. 6 अक्टूबर को पीड़ित किसानों के परिजनों से मुलाकात की और न्याय की मांग की. लखीमपुर खीरी मामले में भाजपा सरकार के घेरने में कांग्रेस पहले आगे आई.

हाशिए पर कांग्रेस.

न्याय रैली से प्रतिज्ञा रैली की ओर

लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों से परिजनों से मिलने के बाद प्रियंका गांधी ने 10 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी के सांसदीय क्षेत्र वाराणसी के रोहनिया में 'न्याय रैली' को संबोधित किया. रैली में प्रियंका ने कहा कि, 'प्रधानमंत्री मोदी दुनिया घूम सकते हैं, लेकिन लखीमपुर नहीं जा सकते. वे 'आजादी के अमृत महोत्सव' के लिए लखनऊ आ सकते हैं, लेकिन वे किसानों का दुख दर्द जानने लखीमपुर नहीं जा सकते.' उनके इस संबोधन से कांग्रेस ने मिशन 2022 की भी शुरूआत कर दी थी.

हाशिए पर कांग्रेस.

इसे भी पढ़ें- प्रियंका गांधी गुड़ खाने की हैं शौकीन, देखें वीडियो

याद होगा लोकसभा चुनाव 2019 के लिए प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था. इस आम चुनाव में 80 सीटों में से कांग्रेस मात्र एक सीट ही जीत पाई थी. इस नजरिए से प्रियंका के लिए 2022 का चुनाव कई मायनों से खास है. चुनाव के दौरान उनकी संगठनात्म क्षमता की परीक्षा होगी और परिणाम यह तय करेगा की वह एक नेता के रूप में कितनी लोकप्रिय हैं. बात करें पिछले तीन दशकों की तो कांग्रेस संगठन लगातार अपनी जमीन खोती गई है. विधानसभा में भी कांग्रेस के महज 7 विधायक हैं. ऐसे में अगर प्रियंका गांधी कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें दिला पाने में सफल होती हैं तो कांग्रेस यूपी में फिर से अपनी जमीन तैयार करने में सफल हो पाएगी.

लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों की अंतिम अरदास में शामिल प्रियंका.

हाशिए पर गई कांग्रेस कर रही जमीन की तलाश

जब से प्रियंका गांधी को यूपी प्रभारी बनाया गया है, तब प्रियंका गांधी कांग्रेस संगठन को राज्य में फिर से खड़ा करने के लिए पिछले दो सालों से लगातार कोशिश कर रही हैं. लखीमपुर खीरी हिंसा में कांग्रेस पर हुई कार्रवाई ने फिर से कांग्रेस को एक पार्टी के रूप ला खड़ा किया है. इससे पहले प्रियंका ने संगठन के पदाधिकारियों की नियुक्तियों में भी जातीय समीकरण साधना है. पिछड़ा वर्ग से आने वाले अजय कुमार लल्लू को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया. कांग्रेस कार्यकारणी में बड़ी संख्या में सवर्ण, मुस्लिम, ओबीसी और दलित सहित अन्य जातियों के नेताओं को पार्टी मे शामिल किया. इसी रणनीति के तहत जिला अध्यक्षों की भी नियुक्ती है.

फोटो साभार यूपी कांग्रेस ट्वीटर हैंडल.

प्रियंका ने कांग्रेस राज्य संगठन को छह क्षेत्रों में विभाजित किया है. इनमें आगरा, मेरठ, बरेली, अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड को शामिल किया गया. इसके अलावा प्रियंका ने पंचायत और बूथ स्तर पर बदलाव पर भी ध्यान दिया. इन बदलावों के बावजूद पार्टी ने पूराने नेताओं और जमीन से जुड़े नेताओं को दर किनार किया है. पार्टी में वरिष्ट नेताओं और युवा नेताओं के बीच मतभेद होने की समस्या बरकरार है. हालांकि इन सब के बावजूद भी पार्टी कार्यकर्ता प्रियंका गांधी के नेतृत्व को पंसद कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी का प्रदर्शन किस तरह का रहता है और कांग्रेस को कितने सीटों पर जीत हासिल होगी.

Last Updated : Oct 31, 2021, 1:27 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details