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थमा पांचवें चरण के चुनावी प्रचार का शोर : अयोध्या से अमेठी तक 12 जिलों की 61 सीटों पर 27 को मतदान

पांचवें चरण में रामजन्‍म भूमि अयोध्‍या से लेकर प्रयागराज, चित्रकूट में बड़े बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दाव पर है. इस दौरान जहां एक ओर बीजेपी के लिए 2017 के चुनाव में अपनी जीती हुई सीटों को बचाकर रखने की चुनौती है तो वहीं समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को जनता से बदलाव और सत्ता तक पहुंचाने की उम्मीद है.

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थमा पांचवें चरण के चुनावी प्रचार का शोर

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Published : Feb 25, 2022, 6:59 PM IST

Updated : Feb 25, 2022, 7:32 PM IST

लखनऊ :यूपी में पांचवें चरण का चुनाव प्रचार शुक्रवार को शाम 6 बजे थम गया. इस चरण के अंतर्गत अवध और पूर्वांचल (Purvanchal) के 12 जिलों की 61 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होना है. प्रदेश में कुल सात चरणों में होने वाले चुनावों में पांचवें चरण में ही सबसे ज्‍यादा 61 सीटों पर मतदान होगा. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने इन सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस चरण में 61 विधानसभा के 692 उम्मीदवार चुनावी मैदानी में अपनी किस्‍मत आजमा रहे हैं.

पांचवें चरण में रामजन्‍म भूमि अयोध्‍या से लेकर प्रयागराज, चित्रकूट में बड़े बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दाव पर है. इस दौरान जहां एक ओर बीजेपी के लिए 2017 के चुनाव में अपनी जीती हुई सीटों को बचाकर रखने की चुनौती है तो वहीं समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को जनता से बदलाव और सत्ता तक पहुंचाने की उम्मीद है.

अयोध्या चित्रकूट जैसे भाजपा के किलों को अभेद्य बनाने में जुटी रही आरएसएस

पांचवें चरण में अयोध्‍या, प्रयागराज, चित्रकूट, अमेठी , रायबरेली जैसे जिलों की महत्वपूर्ण सीटों पर चुनाव होना है. यहां बीजेपी की प्रतिष्ठा दाव पर है. अयोध्या समेत इन सभी जिलों में भाजपा को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ लोगों तक भाजपा सरकार के कार्यों की पूरी जानकारी पहुंचाती रही है. इनमें सबसे ज्यादा जोर अयोध्या सीट पर है. यह सीट भाजपा के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रही है.

पार्टी नेता राम मंदिर निर्माण को लेकर चुनावों में काफी उत्साहित भी दिख रहे हैं. वहीं, जातीय समीकरणों को लेकर जहां भाजपा थोड़ी कमजोर लग रही है. यहां आरएसएस ने जीत को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है. अपने प्रचार अभियान में संघ कार्यकर्ता राम मंदिर के लिए चल रहे निर्माण का आह्वान करने के अलावा यूपी की मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार के विकास कार्यों के साथ-साथ “राम लला का प्रसाद” और राम जन्मभूमि से “राज-कण (मिट्टी)” को लेकर मतदाता के पास जा रहे हैं.

कांग्रेस की प्रतिष्ठा दाव पर

कांग्रेस के लिए भी इस चरण में बड़ी चुनौती है. कांग्रेस के सामने अमेठी और रायबरेली की विधानसभा सीटों को बचाने की चुनौती है. यह यह भी बताना जरूरी है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के राहुल गांधी को अमेठी में हार का मुंह देखना पड़ा था. इससे स्पष्ट होता है कि यहां कांग्रेस की जड़ें तक हिल चुकीं हैं. वहीं, बहुजन समाज पार्टी पांचवें चरण के दौरान 'अंडर करंट' होने के दावे कर रही है. ऐसे में यह लड़ाई दिलचस्प होती दिखाई देगी.

अवध के जिलों में घमासान

पांचवें चरण में अवध क्षेत्र के अयोध्या, अमेठी, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी जिलों की सीटों पर राजनीतिक दलों के बीच जबरदस्‍त घमासान के साथ कड़ी चुनौती है. वहीं, पूर्वांचल के तहत आने वाले बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती प्रतापगढ़ प्रयागराज, कौशांबी जिलों की सीटों के साथ ही बुंदलेखंड के चित्रकूट जिले की भी दो सीटें शामिल हैं. यहां मुकाबला कड़ा होने के आसार हैं.

2017 में इन 61 विधानसभा सीटों में 90 फीसदी पर था बीजेपी का कब्‍जा

पांचवें चरण की जिन 61 विधानसभा सीटों पर इस बार चुनाव होने जा रहा है, उनमें 90 फीसदी सीटों पर 2017 विधानसभा चुनावों में बीजेपी और अपना दल गठबंधन का कब्जा हो गया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 60 सीटों में से 51 सीटें बीजेपी ने जीतीं थीं जबकि उसके सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटें मिलीं थीं. वहीं, सपा के खाते में महज 5 सीटें आईं थीं. कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी और दो सीटें निर्दलीय ने जीतीं थीं. बसपा इस चरण में खाता भी नहीं खोल सकी थी.

पांचवें चरण में योगी के इन मंत्रियों की प्रतिष्‍ठा दांव पर

पांचवें चरण के चुनाव में योगी सरकार के कई मंत्रियों की प्रतिष्‍ठा दांव पर है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह पट्टी सीट से उतरे हैं. कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, इलाहबाद पश्चिम से तो नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी इलाहाबाद दक्षिण, समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री मनकापुर सुरक्षित सीट से और राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चित्रकूट सदर से चुनाव लड़ रहे हैं.

योगी सरकार के मंत्री रहे मुकुट बिहारी की जगह उनके बेटे चुनावी मैदान में हैं. अयोध्या सीट पर सपा के दिग्गज नेता तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय की किस्मत दांव पर लगी है तो रामपुर खास सीट पर कांग्रेस से आराधना मिश्रा हैं जो प्रमोद तिवारी की बेटी हैं और दो बार से विधायक हैं.

पांचवें चरण में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर और बहन पल्लवी पटेल सिराथू सीट से चुनावी मैदान में उतरी है. मां और बहन दोनों ही सपा गठबंधन से चुनाव लड़ रही हैं जबकि अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है.

प्रमुख विधानसभा सीटें और वहां के चुनावी समीकरण

सिराथू सीट पर भाजपा के उपमुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दाव पर

कौशांबी की सिराथू सीट पर पूरे प्रदेश के राजनीतिक पंडितों की नजर है. यहां से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनावी मैदान में हैं. यहां उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी गठबंधन ने पल्लवी पटेल को उम्मीदवार बनाया है जबकि बीएसपी ने यहां से मुंसब अली उस्मानी को प्रत्याशी बनाया है.

गौरतलब है कि सिराथू विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरीं पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बड़ी बहन हैं. अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही हैं तो पल्लवी पटेल सपा के साथ हैं. पल्‍लवी पटेल के पक्ष में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से लेकर राज्यसभा सदस्य जया बच्चन तक प्रचार कर चुकी हैं.

वहीं, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के तमाम दिग्गज नेताओं ने केशव प्रसाद के पक्ष में रैली की है. यही नहीं पल्लवी पटेल के खिलाफ उनकी बड़ी बहन अनुप्रिया पटेल भी केशव को जिताने के लिए सिराथू सीट पर प्रचार किया है.

पट्टी सीट से लगातार छठीं बार भाजपा ने लगाया राजेंद्र प्रताप पर दाव

भारतीय जनता पार्टी कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह को लगातार छठीं बार पट्टी से चुनाव लड़ा रही है. तीन बार की लगातार जीत के बाद मोती सिंह 2012 में सपा प्रत्याशी राम सिंह पटेल से चुनाव हार भी चुके हैं. फिर 2017 में मोती सिंह ने पट्टी में कमल खिला दिया था.

पट्टी तहसील के सर्वजीतपुर गांव के रहने वाले राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह को भाजपा ने पहली बार वर्ष 1996 में पट्टी से चुनाव लड़ाया था. वे सदन में पहुंचने में कामयाब रहे थे. इसके बाद वर्ष 2002, 2007 में लगातार पट्टी से विधायक निर्वाचित हुए थे. वर्ष 2002 में बसपा-भाजपा गठबंधन सरकार में पहली बार उन्हें कृषि राज्य मंत्री बनाया गया था.

वर्ष 2012 में वे दस्यु सरगना रहे ददुआ के भतीजे राम सिंह पटेल से मामूली मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे. मोती सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत पूर्व मंत्री प्रोफेसर वासुदेव सिंह के सानिध्य में की थी. वे मंगरौरा के ब्लॉक प्रमुख और एमएलसी भी रहे.

इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट

शहर पश्चिम विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह की प्रतिष्ठा दाव पर है. पिछले दो दशकों से माफिया अतीक व उसके भाई का इस सीट पर कब्जा रहा है. पहली बार विधानसभा चुनाव में 2004 में राजू पाल ने बसपा के टिकट पर जीत हासिल की थी जबकि 1967 से अब तक हुए 16 विधानसभा चुनाव में पहले सबसे अधिक 85 हजार से अधिक मत पाने का रिकार्ड कैबिनेट मंत्री एवं भाजपा नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह का है. हालांकि इसी सीट से कांग्रेस व कांग्रेस आई के टिकट से 1967 और 1980 में सिद्धार्थ नाथ सिंह के ताऊजी चौधरी नौनिहाल सिंह चुनाव जीते हैं.

इलाहाबाद दक्षिण सीट पर कबिना मंत्री नंदी को मिल रही चुनौती

इस सीट से भाजपा के नागरिक उड्डयन मंत्री गोपाल गुप्ता नंदी ( (Nand Gopal Gupta) की प्रतिष्ठा दाव पर है. 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने नंदी को इलाहाबाद दक्षिण सीट से मैदान में उतारा. उस चुनाव में उन्होंने रिकार्ड मतों के अंतर से जीत हासिल की और फिर योगी सरकार में मंत्री बने. राजनीति के साथ-साथ नंदी बिजनेस में भी ऊंचाइयां चढ़ते गए. नंदी ब्रांड का नमक, गेहूं, आटा, चावल का निर्यात भी करने लगे. नंद गोपाल गुप्ता की पत्नी अभिलाषा गुप्ता 2012 में इलाहाबाद की मेयर चुनी गई थीं. इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने रईस चंद्र शुक्ला को टिकट दिया है. बसपा ने देवेंन्द्र मिश्रा नागरहा और कांग्रेस ने अल्पना निषाद को इलाहाबाद दक्षिणी से चुनाव मैदान में उतारा है. यहां 27 फरवरी को पांचवें चरण में मतदान होना है. ऐसे में यहां इस बार नंदी कमल खिला पाते हैं या नहीं यह वक्त ही बताएगा.

मनकापुर विधानसभा सीट पर भी सियासी गणित उलझी

मनकापुर विधानसभा सीट के सियासी आंकड़ों की बात करें तो यहां सन 1985 और 1989 में कांग्रेस से रामबिष्णु आजाद ने जीत हासिल की थी. 1991 में बीजेपी से छेदीलाल ने जीत हासिल की थी. रामबिष्णु आजाद ने सन 1993 में कांग्रेस से दोबारा जीत हासिल की थी. सन 1996, 2002 और 2007 से रामबिष्णु आजाद ने समाजवादी पार्टी से जीत हासिल की. वहीं, सन 2012 में समाजवादी पार्टी से बाबूलाल कोरी ने अपनी साइकिल दौड़ाई थी. सन 2017 की बात की जाए तो बीजेपी से रमापति शास्त्री ने जीत हासिल की और बीजेपी की सरकार में कैबिनेट समाज कल्याण मंत्री बने थे. एक बार फिर से बीजेपी ने इन पर दांव खेला है और वह मैदान में हैं.

चित्रकूट सदर में राज्यमंत्री पर भाजपा ने दोबारा जताया भरोसा

भाजपा ने चित्रकूट 236 सदर सीट से वर्तमान राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय पर फिर से भरोसा जताया है. राज्यमंत्री लगातार तीसरी बार इसी सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी बनेंगे. इसी सीट से सन 2012 में वह समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल के खिलाफ पहला चुनाव लड़े थे जिसमें उन्हें हार मिली थी. इसके बाद 2017 में वह इसी सीट पर सपा के पूर्व विधायक वीर सिंह के खिलाफ चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. सन 2022 में अब फिर भाजपा ने उन्हें मैदान पर उतारा है.

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कुंडा में प्रतापगढ़ में राजा भैया की प्रतिष्ठा भी दाव पर

प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया इस बार अपनी जनसत्ता पार्टी से चुनावी मैदान में हैं. राजा भैया और बगल की बाबागंज सुरक्षित सीट से विनोद सरोज भी जनसत्ता दल से चुनाव लड़ रहे हैं. राजा भैया के खिलाफ डेढ़ दशक के बाद समाजवादी पार्टी ने पहली बार अपना उम्मीदवार गुलशन यादव को मैदान में उतारा है.

सुलतानपुर की इसौली विधानसभा सीट

इसौली विधानसभा सीट पर आज तक बीजेपी को जीत नहीं मिली है. वर्तमान में यहां से सपा के अबरार अहमद विधायक हैं. उन्होंने 2017 के चुनाव में बीजेपी के ओमप्रकाश पांडेय को चार हजार से अधिक मतों से हराया था. अबरार अहमद 2012 में भी विधायक निर्वाचित हुए थे. उनसे पहले 2007 में बसपा के टिकट पर और 2002 में सपा के टिकट पर इंद्रभद्र सिंह, 1996 में बसपा के जय नारायण तिवारी विधायक बने. इसौली सीट से इस बार बीजेपी ने ओम प्रकाश पांडेय, सपा ने मोहम्मद ताहिर खान, बसपा ने यशभद्र सिंह और कांग्रेस ने बृजमोहन यादव को प्रत्याशी बनाया है.

सुलतानपुर विधानसभा सीट

सुलतानपुरविधानसभा सीट से मौजूदा समय में बीजेपी के सूर्यभान सिंह विधायक हैं. उन्होंने सपा के मुजीब अहमद को 32 हजार 393 वोटों से हराया था. इससे पहले 2012 और 2007 में सपा के अनूप सांडा, 2002 में बीजेपी के राम प्रकाश पांडेय और 1996 में बीजेपी के सूर्यभान सिंह विधायक रहे. बसपा अभी तक इस सीट को नहीं जीत सकी है. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने यहां से विनोद सिंह, सपा ने अनूप सांडा, बसपा ने डॉ. देवी सहाय मिश्र और कांग्रेस ने फिरोज खां को टिकट दिया है.

सुलतानपुर सदर विधानसभा सीट

सुलतानपुरसदर सीट से मौजूदा समय में बीजेपी के सीताराम विधायक हैं. उन्होंने 2017 के चुनाव में बसपा के राज प्रसाद उपाध्याय को 18 हजार 773 मतों से पराजित किया था. 2012 में यहां से सपा के अरुण वर्मा ने जीत हासिल की. इस बार के चुनाव में यहां से बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी ने राज प्रसाद उपाध्याय, सपा ने अरुण वर्मा, बसपा ने ओम प्रकाश सिंह और कांग्रेस ने अभिषेक सिंह राणा को प्रत्याशी बनाया है.

लंभुआ विधानसभा सीट

लंभुआ विधानसभा सीट पर 2017 में 14 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था लेकिन जीत बीजेपी प्रत्याशी देवमणि द्विवेदी की हुई. उन्होंने बसपा के विनोद सिंह को 65 हजार 724 मतों से शिकस्त दी थी. इससे पहले, 2012 में सपा के संतोष पांडेय, 2007 में बसपा के विनोद कुमार सिंह और 2002 में सपा के अनिल पांडेय ने जीत हासिल की थी. इस बार यहां से बीजेपी ने सीताराम वर्मा, सपा ने संतोष पांडेय, बसपा ने अवनीश सिंह और कांग्रेस ने विनय विक्रम सिंह को प्रत्याशी बनाया है.

कादीपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट

कादीपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से मौजूदा समय में बीजेपी के अंगद कुमार विधायक हैं. उन्होंने 2017 के चुनाव में बसपा के भगेलू राम को हराया था. इससे पहले 2012 में सपा के रामचंद्र चौधर, 2002 और 2007 में बसपा के भगेलू राम ने जीत हासिल की थी. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने यहां से राजेश कुमार गौतम, सपा ने भगेलू राम, बसपा ने हीरालाल गौतम और कांग्रेस ने निकलेश सरोज को प्रत्याशी बनाया है.

अमेठी की गौरीगंज विधानसभा सीट

गौरीगंज विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के राकेश प्रताप सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के मोहम्मद नईम को 26 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी. इसके पहले 2012 में भी राकेश प्रताप सिंह विधायक निर्वाचित हुए थे. इस सीट से 2007 में बसपा के चंद्र प्रकाश, 2002 में कांग्रेस के नूर मोहम्मद, 1991 से 1996 तक बीजेपी के तेज भान सिंह विधायक बने. वहीं, 1980 से 1989 तक लगातार कांग्रेस की राजपति देवी विधायक निर्वाचित हुईं.

सपा ने राकेश प्रताप सिंह पर फिर जताया भरोसा

गौरीगंज विधानसभा सीट से इस बार के चुनाव में बीजेपी ने चंद्र प्रकाश मिश्र, सपा ने राकेश प्रताप सिंह, बसपा ने राम लखन शुक्ला और कांग्रेस ने फतेह बहादुर को टिकट दिया है. गौरीगंज में 2017 में 59.88 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.

जगदीशपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट

जगदीशपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर सबसे अधिक आठ बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. वहीं, बहुजन समाज पार्टी का अभी तक इस सीट पर खाता नहीं खुल सका है. मौजूदा समय में यह सीट बीजेपी के पास है. यहां से सुरेश पासी विधायक हैं. उन्होंने कांग्रेस के राधेश्याम को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया था. इस सीट से 2012 में राधेश्याम, 2002 और 2007 में कांग्रेस के रामसेवक धोबी, 1996 में बीजेपी के राम लखन पासी, 1993 में सपा के नंदलाल, 1980 से 1991 तक कांग्रेस के राम सेवक धोबी विधायक रहे. जगदीशपुर विधानसभा सीट से इस बार के चुनाव में बीजेपी ने सुरेश पासी, सपा ने विमलेश सरोज, बसपा ने जितेंद्र कुमार और कांग्रेस ने विजय पासी को प्रत्याशी बनाया है. जगदीशपुर में 2017 में 53.35 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. यहां 3,77,288 मतदाता हैं.

अमेठी विधानसभा सीट

अमेठी विधानसभा सीट से मौजूदा समय में महाराज संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह विधायक हैं. उन्होंने सपा के गायत्री प्रसाद प्रजापति को पांच हजार से अधिक वोटों से हराया था. वहीं, कांग्रेस के टिकट पर लड़ीं महाराज संजय सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिंह चौथे स्थान पर रहीं. इस सीट से 2012 में सपा के गायत्री प्रसाद प्रजापति, 2007 में कांग्रेस के टिकट पर अमिता सिंह, 2002 में बीजेपी के टिकट पर अमिता सिंह, 1996 में कांग्रेस के राम हर्ष सिंह, 1993 में बीजेपी के जमुना मिश्रा, 1989 और 1991 में कांग्रेस के हरिचरण यादव विधायक निर्वाचित हुए. अमेठी विधानसभा सीट से इस बार के चुनाव में बीजेपी ने डॉ. संजय सिंह, सपा ने महाराजी प्रजापति, बसपा ने रागिनी तिवारी और कांग्रेस ने आशीष शुक्ल को प्रत्याशी बनाया है. अमेठी विधानसभा सीट पर 2017 में 56.1 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. यहां 3,48,693 मतदाता हैं.

Last Updated : Feb 25, 2022, 7:32 PM IST

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