लखनऊ : रामपुर की स्वार और मिर्जापुर की छानबे सीट पर मंगलवार को उप चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. इन दोनों ही सीटों पर भले ही अपना दल (एस) के उम्मीदवार मैदान में हैं फिर भी इसमें बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. छानबे सीट बीते विधानसभा चुनाव में जीते राहुल प्रकाश कोल के निधन पर खाली हुई थी. ऐसे में अपना दल (एस) ने यहां राहुल को पत्नी रिंकी कोल को उम्मीदवार बनाया है. वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से कीर्ति कोल ताल ठोक रही हैं, आइए जानते हैं छानबे का इतिहास.
यूपी की छानबे सीट पर अपना दल के प्रत्याशी से जुड़ी भाजपा की प्रतिष्ठा, सपा के सामने यह चुनौती
यूपी की दो सीटों रामपुर की स्वार और मिर्जापुर की छानबे सीट पर मंगलवार को मतदान होना है. इन दोनों सीटों पर अपना दल (एस) के उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन प्रतिष्ठा दांव पर है बीजेपी की. यही कारण है भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यहां जी जान जुटा हुआ है.
विधायक राहुल कोल के निधन से खाली हुई छानबे सीट पर अपना दल (एस) ने दिवंगत विधायक की पत्नी रिंकी कोल को उम्मीदवार बनाया गया है. उनके सामने सपा ने कीर्ति कोल को टिकट दिया है जो 2022 के चुनाव में भी राहुल प्रकाश कोल के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं. इस सीट पर भले ही अपना दल (एस) ने प्रत्याशी उतारा है, लेकिन प्रतिष्ठा बीजेपी की लगी हुई है. ऐसे में अपनी जीती हुई सीट को जीतने के लिए बीजेपी गठबंधन यहां खूब पसीना बहा रहा है. अपना दल अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल, उनके पति और योगी सरकार में मंत्री आशीष पटेल चुनाव की घोषणा के बाद से ही यहां कैंप लगाए हुए हैं. स्वार प्रचार नहीं करने गए सीएम योगी आदित्यनाथ ने यहां जनसभा करते हुए जीत का मंत्र दिया है. वहीं सपा का चुनाव प्रचार स्वार को तरह यहां भी स्थानीय चेहरों के भरोसे है.
2012 के छानबे चुनाव में बीजेपी को मिले थे महज 8 % वोट
मिर्जापुर जिले की छानबे सीट आरक्षित विधानसभा सीट है. वर्ष 2012 में इस सीट पर विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव रथ पर सवार हुए और ऐसी लहर बनी कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भाईलाल कोल ने लगभग 40 फीसदी वोट पाकर जीत हासिल की और विधायक बने. इस चुनाव में बसपा दूसरे और बीजेपी चौथे नंबर पर आई थी. इस चुनाव में बीजेपी को महज 8 फीसदी ही वोट मिल सके थे.
बीजेपी ने 2017 में अपना दल (एस) प्रत्याशी पर लगाया दांव और जीता
वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मिर्जापुर जिले से आने वाली अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल को अपने साथ जोड़ा. अनुप्रिया पटेल जीत कर सांसद बनीं और उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया गया. इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने अपनी पार्टी अपना दल (एस) का विस्तार करना शुरू किया और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में छानबे सीट अपना दल के कोटे में आई. प्रत्याशी बनाए गए थे राहुल प्रकाश कोल. इस चुनाव में राहुल प्रकाश कोल 50.61 फीसदी वोट पाकर विधायक बने. जबकि 2012 में जीतने वाली समाजवादी पार्टी तीसरे स्थान पर रही. उसे महज 17.55 फीसदी वोट मिले. वर्ष 2022 के चुनाव में भी राहुल प्रकाश कोल का जादू चला और जीत दर्ज करते हुए लगातार दूसरी बार विधायक बने. इस चुनाव में राहुल कोल के खिलाफ मौजूदा समय सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल मैदान में थी.
3.70 लाख मतदाता चुनेंगे छानबे का विधायक
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में छानबे सीट पर 3.70 लाख मतदाताओं ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया था. जिनमें 1.96 लाख पुरुष और 1.77 लाख महिलाएं मतदाता थीं. वोटर पुरुष अधिक थे, लेकिन जब वोट करने की बात आई तो महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया. इसके तीनों चुनाव 2012, 2017 और 2022 में सिर्फ 2017 में ही इस विधानसभा क्षेत्र का मतदान प्रतिशत 60 फीसदी के पार हो गया था.
यहां का जातीय समीकरण
मिर्जापुर जिले की छानबे विधानसभा सीट वर्ष 1952 से लेकर 1962 तक आरक्षित सीट थी. जिसके बाद 1962 से लेकर 1974 तक इसे समान्य घोषित कर दिया गया. हालांकि, इसके बाद 1974 में इस विधानसभा सीट को फिर से आरक्षित कर दिया गया और तभी से अब तक यह विधानसभा सीट अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सुरक्षित है. यह सीट आदिवासी और पिछड़ा बाहुल्य है. आंकड़ों के मुताबिक यहां करीब 57 हजार कोल, 50 हजार हरिजन, 22 हजार यादव, 22 हजार ब्राह्मण, 20 हजार मुस्लिम, 17 हजार ठाकुर मतदाता हैं. इसके अलावा निषाद, पटेल और बिंद मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं और सीट के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में हैं.
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