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मुलायम परिवार के लिए अब तक अजेय रही है मैनपुरी सीट, भाजपा प्रत्याशी को लेकर अटकलों का दौर

मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट (Mainpuri parliamentary seat) पर समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव पर दांव लगाया है. वहीं छोटी बहू और भाजपा नेता अपर्णा यादव को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि भाजपा अपर्णा यादव पर दांव लगाकर मुकाबले को रोचक बना सकती है. शिवपाल यादव भी मैनपुरी सीट पर भी दावेदारी कर रहे थे. देखने वाली बात यह होगी कि काफी समय से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व रहा है, इस बार जीत का सेहरा किसके सिर बंधता है. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण...

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Published : Nov 10, 2022, 8:02 PM IST

लखनऊ : मैनपुरी संसदीय सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. मुलायम सिंह यादव ने जब से इस सीट पर चुनाव लड़ना आरंभ किया था, उसके बाद या तो वह खुद या फिर उनके परिवार के धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव को ही मैनपुरी की जनता ने चुना. मुलायम सिंह या उनके परिवार का कोई भी सदस्य कभी मैनपुरी से चुनाव नहीं हारा. मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट (Mainpuri parliamentary seat) पर समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव पर दांव लगाया है. डिंपल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी हैं और वह कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं. उन्होंने अब तक पांच बार संसदीय चुनाव लड़ा है, जिसमें उन्हें तीन बार सफलता हासिल हुई हैं.


गौरतलब है कि पांच दिसंबर को मैनपुरी संसदीय सीट पर चुनाव होना है. समाजवादी पार्टी द्वारा डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारे जाने से स्थिति रोचक हो गई है. मुलायम परिवार के करीबी और सैफई मेला प्रबंध समिति के कार्यकारी प्रबंधक वेदव्रत गुप्ता कहते हैं कि इस सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लहर होने के बावजूद मुलायम सिंह यादव लगभग एक लाख वोटों से जीते थे. हालांकि स्वास्थ्य कारणों से वह मैनपुरी में बहुत कम जा पाते थे, इसलिए उन्होंने अपने पौत्र और यहां के पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव को अपना प्रतिनिधि बनाकर क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. चर्चा थी कि पूर्व सांसद और मुलायम सिंह यादव के प्रतिनिधि के रूप में यहां का काम देख रहे तेज प्रताप सिंह यादव को ही पार्टी चुनाव लड़ाएगी, लेकिन समाजवादी पार्टी नेतृत्व ने तेज प्रताप सिंह की बजाय डिंपल यादव का नाम घोषित कर सबको चौंका दिया. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव में इसी जिले की करहल विधानसभा से चुनाव लड़ा था और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को करीब 60 हजार वोटों से पराजित किया था.

अखिलेश यादव व शिवपाल यादव (फाइल फोटो)



मैनपुरी संसदीय सीट पर यादव मतदाताओं के बाद शाक्य, पाल और गडरिया समाज के वोटरों की संख्या ज्यादा है, इसलिए अब तक भाजपा से जुड़े एक पाल समाज के नेता द्वारा ही नामांकन का सेट खरीदा गया है. हालांकि अब उम्मीद की जा रही है कि भाजपा हाईकमान शायद किसी स्टार या पार्टी के कद्दावर नेता को चुनाव मैदान में उतारेगी. मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और भाजपा नेता अपर्णा यादव को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि भाजपा अपर्णा यादव पर दांव लगाकर मुकाबले को रोचक बना सकती है. अब तक भारतीय जनता पार्टी की ओर से शाक्य नेता और पूर्व सांसद रघुराज सिंह को टिकट दिए जाने की चर्चा चल रही थी, लेकिन अब उनके नाम पर डिंपल के मुकाबले शायद ही कोई फैसला लिया जा सके.

अखिलेश यादव व डिंपल यादव (फाइल फोटो)

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माना जा रहा है कि शिवपाल यादव का रुख इस सीट का चुनाव परिणाम तय करेगा, क्योंकि उनका इस सीट पर खासा प्रभाव माना जाता है. सपाई कुनबा इस कोशिश में है कि शिवपाल यादव इस सीट पर डिंपल यादव का समर्थन करें, क्योंकि यह सीट सपा के समर्थन वाली सीट है और पार्टी किसी भी सूरत में चुनाव हारना नहीं चाहेगी. वहीं शिवपाल यादव के रुख के विषय में अभी कुछ भी कह पाना कठिन है. विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव का उनके प्रति रवैय्या अच्छा नहीं रहा है. शिवपाल मैनपुरी सीट पर भी दावेदारी कर रहे थे, जिसे भी अखिलेश ने नकार दिया है. ऐसे में वह क्या करेंगे यह देखने वाली बात होगी. मुलायम सिंह यादव से पहले मैनपुरी संसदीय सीट पर कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व था और बलराम सिंह यादव यहां से चुनाव जीता करते थे.

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