लखनऊ :हर आदमी के मन में एक इच्छा होती है कि एक दिन उसका अपना घर हो. इसके लिए कड़ी मेहनत और फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) के साथ लोग बचत, लोन व अन्य दूसरे लीगल पहलुओं पर भी पूरा ध्यान देते हैं. साथ ही लोग किराए पर रहने के दौरान मकान मालिक से होने वाली किचकिच और अन्य परेशानियों से भी बचने के लिए अपना मकान लेना चाहते हैं. लेकिन अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता है कि वह जितना किराया अपने मकान मालिक को दे रहे हैं उतने ही पैसों में अपनी जरूरत के हिसाब से छोटा या बड़ा घर खरीद सकते हैं. एक रिपोर्ट..
किराए पर रहने वालों को अक्सर ही घर बदलने की समस्या झेलनी पड़ती है. इससे सामान की बर्बादी तो होती ही है पैसों और समय की भी बर्बादी होती है. इससे पहले नया मकान खोजने की जद्दोजहद होती है, सो अलग. पर यदि आप अपना मकान होम लोन पर लेते हैं तो आपको आपके बजट के हिसाब से किराए के पैसों में ही नया मकान मिल जाता है. फिर लोन के ईएमआई के अनुपात में आपके मकान की जो कीमत बढ़ती है वो अलग ही आपको फायदा देती है. इसलिए अपना मकान खरीदना किराए से बेहतर समझा जाता है. वैसे भी रियल एस्टेट एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. इसमें कैपिटल की वृद्धि और टैक्स लाभ की भी संभावना रहती है.
'सपनों का घर' बनाते वक्त न बिगाड़ें अपना बजट, याद रखें ये बात
मध्यम वर्ग जब भी नया मकान लेने की सोचता है तो वह अफोर्डेबल विला या अपार्टमेंट को ही पसंद करता है. वैसे भी अफॉर्डेबल या स्टैंडर्ड, लक्जरी फ्लैट या विला में अंतर केवल मॉड्यूलर किचन की क्वालिटी, ब्रांडेड एप्लायंसेस, कमरों में फाल्स सीलिंग, मार्बल फ्लोरिंग, टाइल्स की क्वालिटी, स्विच ,वायर्स के ब्रांड , सेनेटरी वेयर के ब्रांडों में ही होता है. बाकी बेसिक चीजें समान स्टैंडर्ड के ही होते हैं.
अफॉर्डेबल या लक्जरी में से पहले करें किसी एक का चुनाव :अपनी कमाई के हिसाब से यह तय करना चाहिए कि आपको अफोर्डेबल हाउस चाहिए या फिर आप लक्जरी फ्लैट चाहते हैं. मकान में वुडन फ्लोरिंग से लेकर टाइल्स वर्क, फर्नीचर इत्यादि पर भी काफी खर्च होता है.
घर खरीदते समय इन बातों का ध्यान जरूरी
कराएं पक्की रजिस्ट्री : अगर आप घर खरीदने जा रहे हैं तो उसकी पक्की रजिस्ट्री ही कराएं. जमीन लाल डोरे में न हो. अगर जमीन की पक्की रजिस्ट्री नहीं है तो आपको ऐसी जमीन नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे आपको बाद में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा घर खरीदते समय आपको टाइटल सर्टिफिकेट के बारे में जान लेना चाहिए कि क्या ये क्लियर है. दरअसल, इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी का चेन डेवलप हुआ है और क्या असल में इस प्रॉपर्टी का टाइटल डेवलपर के पास है या नहीं. वहीं, जमीन पर होने वाले रिडेवलपमेंट के लिए आप डेवलपमेंट एग्रीमेंट भी जरूर चेक करें.
लोकल अथॉरिटी से मंजूर होना चाहिए प्रोजेक्ट : मकान खरीदते समय यह जरूर चेक करें कि अपका विला, मकान, प्लाट या अपार्टमेंट का प्रोजेक्ट लोकल अथॉरिटी से अप्रूव हो. साथ ही अपार्टमेंट या विला अप्रूव नक्शे के हिसाब से बनाया गया हो. ये जरूर देखें कि जो घर बना है वो प्लान के तहत बना है या नहीं. इसके अलावा फ्लोर को नक्शे के हिसाब से बनाया गया है या नहीं.
लीगल एक्सपर्ट की सलाह जरूरी : घर खरीदते समय आपको लीगल एक्सपर्ट से जरूर सलाह लेनी चाहिए. आप ऐसे लोगों से भी सलाह ले सकते हैं जिन्हें आप अच्छे से जानते हों. जो प्रॉपर्टी के बारे में अच्छी जानकारी रखते हों. इससे आपको घर के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी और आप जान सकेंगे कि आपको ये घर खरीदना चाहिए या नहीं.
मार्केट में कई जगहों पर दाम और सुविधओं का करें तुलनात्मक अध्ययन :कहीं भी मकान, फ्लैट, विला या अन्य कोई प्रापर्टी खरीदने में कोई जल्दीबाजी न करें. कई प्रापर्टी, वहां की लोकैलिटि, वहां दी जाने वाली सुविधा और नक्शा आदि पास होने जैसे तथ्यों का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही प्रापर्टी की खरीद को फाइनल करें.