लखनऊ:रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की बनाई गई नई नीति से अब निजी बिल्डरों से मकान, प्लॉट और फ्लैट खरीदने वाले लोगों का पैसा नहीं डूबेगा. दरअसल, रेरा ने इसको लेकर एक योजना बनाई है कि जिन बिल्डरों के यहां मकान फ्लैट या प्लॉट बुक कराने के बाद जल्दी कब्जा नहीं मिलेगा और बिल्डर के द्वारा उपभोक्ताओं का पैसा किसी दूसरी योजना में लगाया जाता है तो उन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली गई है.
मनमानी नहीं कर पाएंगे बिल्डर
अब खरीददारों की ओर से जमा की गई कुल धनराशि में से 70% पैसा उसी परियोजना के निर्माण पर बिल्डर द्वारा खर्च किए जाने की व्यवस्था अनिवार्य की गई है. बाकी 30 फीसद धनराशि अन्य खर्चों पर बिल्डर के द्वारा बेड की जाएगी.
रेरा बिल्डरों से अब हिसाब भी लेगा
इसको लेकर बैंक खाते अलग-अलग खोलने की व्यवस्था की गई है. इन्हीं बैंक खातों में जनता की ओर से जमा की गई धनराशि का पूरा हिसाब किताब होगा और मनमानी किए जाने पर रेरा की तरफ से बिल्डरों के खिलाफ कार्यवाही भी होगी.
बिल्डरों को खोलने होंगे तीन तरह के बैंक खाते
यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि बिल्डरों की मनमानी और ग्राहकों के पैसा डूबने की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए यह व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. अब बिल्डर के पास कितने खरीदारों का कितना पैसा जमा किया गया है और संबंधित परियोजना में कितना पैसा खर्च किया गया. इस सब की जानकारी को लेकर एक पारदर्शी व्यवस्था तैयार की गई है.
इस तरह के होंगे बैंक खाते
इसके अंतर्गत बिल्डर को 3 बैंक खाते खोलने होंगे जिसमें कलेक्शन अकाउंट, सेपरेट अकाउंट व ट्रांजैक्शन अकाउंट खोला जाएगा. इन्हीं के माध्यम से परियोजना से जुड़े काम कराए जाएंगे और इसकी निगरानी रेरा की तरफ से की जाएगी जिससे बिल्डर के द्वारा कोई मनमानी या पैसा को इधर-उधर खर्च करने पर अंकुश लगाया जा सकेगा.
रेरा कर सकेगा मॉनिटरिंग
यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने बताया कि तीन अलग-अलग बैंक खातों की खोलने से और उसकी सीधी मॉनिटरिंग रेरा के स्तर पर होगी. इससे पारदर्शिता आएगी. साथ ही जो खरीदार हैं उनका भी पैसा उसी योजना में लगे इस बात की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी.
एक लाख से अधिक लोग कर रहे हैं मकान फ्लैट का इंतजार
राजधानी लखनऊ सहित तमाम अलग-अलग शहरों में ब्रोकर की मनमानी का शिकार हुए करीब एक लाख से अधिक लोग हैं जिन्होंने रेरा में बिल्डरों की शिकायत की है कि उनका जिस योजना में पैसा लगाया गया था बिल्डर के द्वारा अब उस योजना का निर्माण पूरा किए बगैर दूसरी परियोजना में उसका पैसा लगा दिया गया है. इससे खरीदारों को संबंधित प्रॉपर्टी पर कब्जा भी नहीं मिल पाया है. ऐसी तमाम तरह की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए रेरा ने यह व्यवस्था सुनिश्चित कराई है.