लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आसपास के हजारों गांव में अभी तक बसों की कनेक्टिविटी नहीं हो पाई है. उन गांवों को भी अब जल्द बसों से जोड़ा जाएगा. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने परिवहन निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी गांव सार्वजनिक परिवहन सेवा से अछूता ना रह जाए. हर गांव के व्यक्ति को बस की सुविधा मिल सके, जिससे उनका आवागमन बेहतर हो सके. अब मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद परिवहन निगम लगातार अपने बस बेड़े में अनुबंधित बसें बढ़ाकर अब तक बस सेवा से अछूते रह गए गांवों और मजरों को बस सेवाओं से जोड़ेगा. इससे हजारों लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी.
1625 रूट किए गए चिन्हित : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की करीब 12 हजार बसें प्रदेश के विभिन्न जनपदों के तमाम गांवों तक संचालित होती हैं, लेकिन अभी भी उत्तर प्रदेश में तमाम ऐसे गांव हैं जिन रूटों पर अभी तक बस सेवाएं नहीं पहुंच सकी हैं. अब ऐसे रूटों पर भी बस सेवाओं के संचालन को लेकर काम शुरू हो गया है. परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि यूपी रोडवेज ने हर गांव तक बस सेवा पहुंचने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में सर्वे कराया है. सर्वे में यह निकल कर आया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी तमाम ऐसे रूट हैं जहां पर अब तक बसें नहीं पहुंची हैं. ऐसे में परिवहन निगम का फोकस वाराणसी के इन असेवित गांवों को बसों से सेवित करना है. 1625 रूट चिन्हित किए गए जिनके मार्ग के सृजन का प्रस्ताव राज्य परिवहन प्राधिकरण को भेजा गया है. शासन स्तर पर जल्द इस पर फैसला हो जाएगा. वाराणसी, झांसी, चित्रकूट, सहारनपुर और गाजियाबाद में सबसे ज्यादा रूट चिन्हित किए गए हैं. अनुबंधित बसों को इन मार्गों पर लगाया जाएगा.
अनुबंधित बसों की न्यूनतम दूरी 60 किमी :परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम इन सभी रूटों पर अनुबंधित बसें लगाएगा. अभी तक निगम के साथ प्राइवेट बस ऑपरेटर अनुबंध कराने से इसलिए कतराते थे क्योंकि बसों को लगाने के बाद उनका फायदा नहीं होता था. अब परिवहन निगम ने अनुबंध पर बसें लगाने वाले प्राइवेट बस ऑपरेटरों के लिए मिनिमम दूरी 60 किलोमीटर तय करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इससे उन्हें घाटा नहीं होगा और वे परिवहन निगम के साथ अनुबंध पर बस संचालित करने से नहीं कतराएंगे.
लखनऊ के आसपास के करीब चार दर्जन रूट :परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि जहां उत्तर प्रदेश में 1625 नए रूट चिन्हित किए गए हैं, वहीं बात अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आसपास क्षेत्र की करें तो लखनऊ की सीमा के आसपास बाराबंकी में 35 गांव ऐसे आए हैं जहां पर अभी बसें नहीं हैं, रायबरेली में भी यह संख्या 14 है.