लखनऊ:उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी तब तक सोए रहते हैं, जब तक कोई ऐसी घटना नहीं हो जाती जिसमें निर्दोष यात्री मौत की नींद नहीं सो जाते हैं. जब अधिकारियों की आंख खुलती है तब दिखावे की कार्रवाई शुरू होती है. कुछ दिन बीतते हैं फिर से उसी ढर्रे पर सब कुछ लौट आता है.
लंबी दूरी पर दो ड्राइवरों के चलने का है नियम
अधिकारी एक ड्राइवर से हजारों किलोमीटर बस का संचालन करवाकर मुख्यालय के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं. मुख्यालय स्तर से भी ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठाई जा रही. हरदोई डिपो से दिल्ली रूट पर बस भेजे जाने के बाद उसी ड्राइवर के सहारे ही लखनऊ के लिए भी रवाना कर दिया जाता है. ऐसे में एक ड्राइवर हजार किलोमीटर से ज्यादा बस संचालित करता है जिससे दुर्घटना को सीधे तौर पर दावत दी जाती है. हरदोई रूट की जिन दो बसों में टक्कर हुई वे दोनों ही बसें हरदोई डिपो की थीं. बस का रूट हरदोई से दिल्ली और हरदोई से बहराइच का है लेकिन बसों को लखनऊ भी एक ही ड्राइवर के सहारे भेज दिया जाता है. ऐसी तमाम बसें प्रदेश के अनेक डिपो के अधिकारी संचालित करा रहे हैं जो एक चालक के सहारे एक हजार किलोमीटर से ज्यादा चलती हैं.
दिल्ली वाली बस में 12 तो लखनऊ वाली बस में थे 34 यात्री
रोडवेज के अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि जो बस हरदोई से दिल्ली के बीच संचालित होती है और लखनऊ के लिए आ रही थी. उस बस में 12 यात्री सवार थे. जबकि जो बस लखनऊ से हरदोई के लिए जा रही थी. उसमें कुल 34 यात्री सवार थे. टक्कर में कुल 6 यात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है. जबकि दर्जनों यात्री घायल हैं. आरएम पल्लव कुमार बोस की अध्यक्षता में गठित जांच टीम पूरी घटना की जांच कर रही है.
कैसरबाग बस स्टेशन पर इन आउट तक नहीं
कैसरबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा ने बताया कि हरदोई से लखनऊ आने वाली ज्यादातर बसें बस स्टेशन के अंदर प्रवेश तक नहीं करती हैं. जिससे उनका इन आउट नोट किया जा सके. बुधवार को हरदोई रूट की जो दो बसें दुर्घटनाग्रस्त हुईं उनमें से भी जो बस लखनऊ से हरदोई के लिए जा रही थी. उसका भी कैसरबाग बस स्टेशन पर इन आउट दर्ज नहीं था. जब बस स्टेशन पर बस का इन आउट नोट नहीं होगा तो जांच में भी सामने नहीं आएगा कि हरदोई से दिल्ली चलने वाली बस को लखनऊ भी भेजा गया था. ऐसे में यह माना जा सकता है कि अधिकारी अपनी इनकम के चक्कर में जानबूझकर यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं.
बढ़ता रहे किलोमीटर इसलिए ड्राइवर भी नहीं करते परहेज
दरअसल, किलोमीटर बढ़ाने के चक्कर में संविदा ड्राइवर भी लंबी दूरी पर अकेले चलने से परहेज नहीं करते. वजह है कि जब ज्यादा किलोमीटर बस दौड़ेगी तो उनकी जेब का भी वजन बढ़ेगा. यानि उनकी कमाई भी ज्यादा हो सकेगी. काकोरी में दिल्ली से आने वाली जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई उसमें सिर्फ 12 यात्री सवार थे. जिससे बस का लोड फैक्टर भी नहीं आना था, लेकिन किलोमीटर ज्यादा होने थे. इसलिए बस लखनऊ तक भेज दी गई. ड्राइवरों की इसी कमाई के चक्कर में सैकड़ों यात्रियों ने अपनी जान गंवाई है.