लखनऊःपूरे प्रदेश में पुलिस कर्मियों के लिए आवास की भारी कमी है. जिसकी वजह से हर जिले में पुलिसकर्मियों को किराए के मकान में रहना पड़ता है. राजधानी लखनऊ के पुलिस लाइन परिसर में भी 50 से ज्यादा परिवार जर्जर हो चुके आवासों में रहने को मजबूर हैं. वहीं दूसरी तरफ आदर्श जिला कारागार परिसर में बने नए आवास पिछले 11 सालों से खाली पड़े हुए हैं. इन आवास में आज तक कोई रहने नहीं आया जिसके कारण अब जर्जर हो रहे हैं.
कर्मचारियों के इंतजार में जर्जर हो रहे सरकारी आवास - Lack of housing for police employees in Uttar Pradesh
राजधानी लखनऊ के आदर्श जिला कारागार परिसर में बने नए आवास पिछले 11 सालों से खाली पड़े हुए हैं. इन आवास में आज तक कोई रहने नहीं आया जिसके कारण अब जर्जर हो रहे हैं. वहीं पुलिस लाइन परिसर में भी 50 से ज्यादा परिवार जर्जर हो चुके आवासों में रहने को मजबूर हैं.
लखनऊ के आदर्श जिला कारागार परिसर में बने आवास जर्जर.
11 साल से खाली पड़े आवास
2009 में सैकड़ों करोड़ की लागत से आवास जिला जेल और आदर्श कारागार के कर्मियों के लिए बनाए गए थे. जेल में कर्मियों की कमी के चलते हैं यह आवास खाली पड़े हैं. प्रबंधन की कमी के चलते ही इन आवासों में जानवर भी घुस जाते हैं. आवास के सामने बड़ी बड़ी झाड़ियां तक उग आई है. इन भवनों का कारागार विभाग की तरफ से कभी सुध भी नहीं ली गई.
आदर्श कारागार की स्थापना 2009 में मायावती शासनकाल में हुई थी .यह प्रदेश की पहली ऐसी जेल थी जहां पर कैदियों को कई तरह की सुविधाएं भी मिली हुई है. वहीं जेल परिसर में बड़ी संख्या में आवास भी बनाए गए हैं. इनमें से कुछ आवासों में ही बंदी रक्षक और जेल के कर्मी रहते हैं जबकि 50 से ज्यादा आवास बीते 11 सालों से खाली पड़े हुए हैं. खाली होने के चलते इन आवासों के दरवाजे और खिड़की तक टूट रहे हैं और प्लास्टर भी गिर रहा है. आवासों के सामने झाड़ियां उगने इनमें रहना तो दूर घुसना भी मुश्किल है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए नहीं है आवास
उत्तर प्रदेश में पुलिस कर्मियों के लिए आवास की भारी कमी है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने पुलिसकर्मियों के आवास, बैरक और हॉस्टल के लिए 6000 करोड़ रुपये की धनराशि को स्वीकृत किया था. प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी प्रदेश के हर जिलों में आवास की कमी दूर करने के लिए नए आवास बनाने की बात कह रहे हैं. जबकि लखनऊ में आदर्श कारागार परिसर में बने हुए खाली पड़े हैं. अगर पुलिस कर्मियों को इन आवासों को दे दिया गया होता तो शायद उनकी हालत ऐसी न होती.
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी
आदर्श कारागार परिसर में बने इन बेकार पड़े आवासों के सवाल पर लखनऊ परिक्षेत्र के जेल डीआईजी संजीव त्रिपाठी बताते हैं कि इन दिनों जेल में कर्मियों के पद बड़े पैमाने पर खाली है. इसी वजह से इन आवासों में कोई रहने वाला नहीं है. अगर कर्मियों की कमी पूरी हो जाएगी तो यह आवास भी उपयोग होने लगेंगे. आदर्श जिला कारागार में परिसर बने इन सरकारी आवास की जर्जर हालत पर अधिकारी अपना बचाव तो करते दिखाई दे रहे हैं लेकिन अगर समय समय पर इनकी मरम्मत भी होती तो इनकी हालत ऐसी ना होती.