लखनऊ:वो अपनी मां के साथ 8 साल पहले कानपुर से लखनऊ आई थी. इन 8 सालों में मां-बेटी ने मिल कर घर संजोया, एक-एक समान जोड़ कर उससे गृहस्थी बनाई और झटके में 8 साल की गृहस्थी एक छोटे से ट्रॉली बैग में सिमट कर रह गई. ये दास्तां है कानपुर की रहने वाली उस 30 वर्षीय आलोका अवस्थी की, जो लखनऊ में जमींदोज हो चुके अलाया अपार्टमेंट के सामने खड़े होकर बीते 30 घंटे से उस फ्लोर के मलबे के हटने का इंतजार करती रही, जिसमें वो कभी रहा करती थी. जब उनका इंतजार खत्म हुआ तो उसे सिर्फ एक ट्रॉली बैग ही मिल सका और जिसे लेकर वो मायूस हो वहां से निकल गई.
गौरतलब है कि मंगलवार को शाम 6:45 पर राजधानी लखनऊ में हजरतगंज के वजीर हसनगंज स्थित अलाया अपार्टमेंट जमींदोज हो गया. करीब 30 घंटे लगातार रेस्क्यू चला. मलबे से निकाले गए लोगों में 2 लोगों की इलाज के दौरा मौत हो गई. इस अपार्टमेंट में रहने वाले परिवारों के घर एक झटके में ताश के पत्तों की तरह ढह गए. जिनके परिवार के दो लोगों की हादसे में मौत हुई उनका घर बर्बाद हो गया. इन्ही परिवारों में से एक है 58 वर्षीय रंजना अवस्थी का, जो अलाया अपार्टमेंट के दूसरे फ्लोर में अपनी 30 वर्षीय बेटी आलोका के साथ रहती थी. बिल्डिंग के गिरने पर उनकी बेटी ने उन्हें हिम्मत दिखाते हुए खुद बाहर निकला और अस्पताल ले गई.
30 घंटे तक अपना समान लेने के लिए मलबे के पास खड़ी रही आलोकाःमंगलवार को देर रात अपनी मां को अस्तपाल में भर्ती करा आलोका वापस घटना स्थल पर आ गई और टकटकी निगाहों से अपने जमींदोज हो चुके घर को निहारती रही. एक-एक कर घायलों को बाहर निकाला गया. रेस्क्यू चलाता गया, लेकिन आलोका का इंतजार खत्म नहीं हुआ . बुधवार को ईटीवी भारत ने आलोका की दोस्त से बात कि तो उन्होंने बताया कि रंजना के पति की कई वर्ष पहले ही मृत्यु हो चुकी है. आठ साल पहले इसी अपार्टमेंट में रहने आई रंजना बिजली विभाग में नौकरी करती थी. मां बेटी ने अपार्टमेंट के सेकेंड फ्लोर में स्थित फ्लैट बड़े सपने संजोकर ये सजाया था और अब उनकी दोस्त आलोक उसी घर के सामान को लेना चाहती है. वो कहती हैं कि आलोका का कोई भी रिश्तेदार लखनऊ में नहीं रहता है, उनके पास पहनने को चप्पल भी नहीं है. बस इसी उम्मीद में वो यहां खड़ी है कि शायद उनकी गृहस्थी का कुछ भी समान आखिरी बार उन्हें मिल जाए.