लखनऊः बिल्डर और आवंटियों के बीच होने वाले विवादों को समाप्त करने के लिए यूपी रेरा ने ड्राफ्ट तैयार किया है. इसके लिए आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) और एओए (अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन) के गठन और परियोजनाओं के रखरखाव संबंधी गाइडलाइंस तैयार की गई है.
सोसाइटियों में आरडब्ल्यूए और अपार्टमेंट ऑनर एसोसिएशन के गठन को लेकर तमाम विवाद सामने आते रहे हैं. मेंटिनेंस को लेकर बिल्डर पर आरोप लगता है, जबकि बिल्डर की तरफ से कहा जाता है कि एओए बिल्डिंग को अपने अधिकार में नहीं ले रही है. रेरा के पास भी इस तरह की शिकायतें पहुंचती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए यूपी रेरा के सचिव अबरार अहमद ने एक गाइडलाइन तैयार की है.
किसी अपार्टमेंट अथवा इमारत के निर्माण में कमियों के लिए पांच साल तक बिल्डर जिम्मेदार होगा. अपार्टमेंट के हैंडओवर होने से पांच साल तक किसी भी कमी को बिल्डर अपने पैसों से सही कराएगा. इतना ही नहीं, नुकसान का मुआवजा भी बिल्डर को देना होगा. नियमों का पालन कराने के लिए संबंधित विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी तय की जाएगी. इस संबंध में रेरा एक्ट 2016 और यूपी अपार्टमेंट एक्ट 2010 व इसके रुल्स 2011 के तहत मॉडल बायलॉज बनाया जा रहा है. इसके अनुसार प्रमोटर और आवंटियों के बीच रेरा के एग्रीमेंट फॉर सेल्स एंड लीज के तहत एक करार किया जाएगा, जिसका पालन दोनों पक्षों को करना होगा.
रेरा की तकनीकी टीम जांचेगी गुणवत्ता
रेरा से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रेरा की तकनीकी टीम निर्माण के दौरान परियोजनाओं की गुणवत्ता की जांच करेगी. इससे यह फायदा होगा कि कंप्लीशन सर्टीफिकेट मिलने के बाद गुणवत्ता को लेकर सवाल नहीं उठाया जा सकेगा. अगर आवंटियों की एसोसिएशन अपनी जिम्मेदारियों को सही से नहीं निभाएगी तो उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कराया जाएगा. एसोसिएशन और प्रमोटर के बीच के विवादों को जल्द निपटाया जाएगा. इसके अनुसार अगर एओए परियोजना को टेकओवर नहीं करते हैं तो बिल्डर अतिरिक्त चार्ज लेकर मेंटीनेंस जारी रखेगा. बिल्डर इस मामले में शिकायत भी कर सकेगा. कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के एक साल बाद भी एसोसिएशन न बना पाने की दशा में बिल्डर मेंटेनेंस चार्ज वसूल कर इमारत व सुविधाओं का रखरखाव करेंगे.
डेवेलपर एक साल तक करेगा मेंटीनेंस
कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के एक साल तक डेवेलपर मेंटीनेंस करेगा. एक साल बाद भी अगर एओए परियोजना को टेकओवर नहीं करती है तो दस प्रतिशत मेंटीनेंस चार्ज बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए डेवेलपर को अलग से बैंक अकाउंट खुलवाना होगा. इसी में ये रकम रखनी और यहीं से खर्च करना होगा. एओए का गठन होने के बाद प्रमोटर को खर्च के बाद अकाउंट में बची रकम संबंधित एओए के हैंडओवर करनी होगी. हैंडओवर से पहले प्रमोटर की ओर से सभी तरह के बकाया चुकाने होंगे. इनमें विभिन्न टैक्स, पानी-बिजली के बिल आदि भी शामिल हैं.