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लखनऊ: बीटेक-बायोटेक की पहले दिन सम्पन हुई परीक्षा, कई छात्रों की छूटी परीक्षा

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Published : Sep 9, 2020, 4:10 PM IST

अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय द्वारा कराई जा रही बीटेक-बायोटेक अंतिम वर्ष की परीक्षा की शुरुआत बुधवार से हो चुकी है. वहीं पहले दिन बीटेक-बायोटेक के अंतिम वर्ष के कई छात्रों को परीक्षा देने का मौका नहीं मिला.

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बीटेक-बायोटेक की परीक्षा पहले दिन संपन्न हुई.

लखनऊ: अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय द्वारा कराई जा रही बीटेक-बायोटेक अंतिम वर्ष की परीक्षा की शुरुआत आज बुधवार से हो चुकी है. बीटेक-बायोटेक की अंतिम वर्ष के परीक्षा के पहले दिन कुछ छात्रों को परीक्षा देने का मौका नहीं मिला.

जानकारी के मुताबिक लखनऊ के बख्शी तालाब स्थित एसआर ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन ऑफ मैनेजमेंट कॉलेज के विद्यार्थियों ने एमसीक्यू प्रणाली परीक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं. छात्रों का कहना है कि अगर परीक्षा लिखित होती है तो वह प्रश्न को डिस्क्राइब कर सकते थे और कहीं न कहीं अधिक नंबर भी प्राप्त कर सकते थे, लेकिन एमसीक्यू प्रणाली के आधार पर जो प्रश्न पूछे गए उससे कहीं न कहीं छात्रों को काफी समस्या हुई है. वहीं कोरोना सुरक्षा को लेकर विद्यालय की तरफ से सभी व्यवस्थाएं पूरी की गई.

विद्यालयो में पढ़ने वाले लगभग 20 से 25 छात्र ऐसे थे, जिनका आरोप है कि विद्यालय ने फीस के चलते उनको एडमिट कार्ड उपलब्ध नहीं कराया. इस वजह से वह पेपर नहीं दे पाए. इसको लेकर छात्र इसकी शिकायत करने सीएम आवास भी पहुंचे और उन्होंने विद्यालय के खिलाफ लिखित शिकायत भी की.

एक छात्र ने आरोप लगाया कि कॉलेज में प्रवेश के दौरान कहा गया कि वह एससी कैटेगरी में आता है, तो उसकी कोई फीस नहीं लगेगी. छात्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि कॉलेज प्रशासन का कहना था कि जनरल कैटेगरी वालों की हर साल 75,000 रुपये फीस है, लेकिन वह एससी कैटेगरी में आता है, इसलिए उसे हर साल 94 हजार स्कॉलरशिप मिलेगी. इस स्कॉलरशिप से उसे पढ़ने का मौका दिया जाएगा. अब पेपर के समय जब वह कॉलेज एडमिट कार्ड लेने गया, तो उससे पैसे की डिमांड की गई और पेपर में नहीं बैठने दिया गया.

कई और छात्र जो परीक्षा में नहीं बैठ पाए थे, उनका कहना था कि कॉलेज प्रशासन अधिक फीस की डिमांड कर रहा है. जब बढ़ी हुई फीस के बारे में पूछा गया तो कोई जवाब देने को तैयार नहीं है. वहीं परीक्षा देकर लौट रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रवेश के समय सेमेस्टर की जो फीस बताई जाती है, उससे अधिक फीस हर साल ली जाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज वेरिफिकेशन के नाम पर सारे ओरिजनल डॉक्यूमेंट भी जमा करा लेता है.

इस पूरे मामले पर कॉलेज के प्रबंधक पवन सिंह चौहान ने भी सवाल पूछने पर साफ-साफ जवाब नहीं दिया. उनका कहना था कि जिन बच्चों ने कभी फीस ही नहीं दी और न ही कभी क्लास अटेंड की है, वही बच्चे परीक्षा में नहीं बैठे हैं. जब उनसे पूछा गया कि जिन बच्चों का एडमिशन जीरो स्कॉलरशिप पर हुआ था और अब उन बच्चों को भी परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया. इस पर उन्होंने सफाई देते हुए बताया कि जिन बच्चों की स्कॉलरशिप नहीं आई है, उनकी आधी फीस माफ कर दी गई है. लगभग हमने दो करोड़ रुपये की फीस बच्चों की माफ की हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहला ऐसा कॉलेज है, जिसमें हमने दो करोड़ का एक बड़ा अमाउंट माफ किया है.

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