लखनऊ:आज चुनाव प्रचार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (social media platform) कितना अहम है, अगर इस बात को समझना है तो इसी से समझा जा सकता है कि कभी सोशल इंजीनियरिंग व दलित कार्ड (social engineering and dalit card) के बूते सत्ता की गणित साधने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने भी अपने नेताओं के लिए सोशल मीडिया पर सक्रियता अनिवार्य कर दी है.
साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर किसी नेता व शख्स को उनकी पार्टी का टिकट चाहिए तो उसे पहले खुद की सोशल मीडिया पर सक्रियता के बाबत एक रिपोर्ट पार्टी को देनी होगी. इसके अलावे पार्टी के संस्थापक कांशीराम और मायावती को लेकर उनके विचारों को सोशल मीडिया में किस तरह का काम किया है, यह भी दावेदार को बताना होगा.
दरअसल, यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पार्टियां अभी से ही प्रत्याशियों की तलाश में जुट गई है. इसी कड़ी में पार्टी की छवि को बेहतर करने और अच्छे उम्मीदवारों के लिए बसपा ने फॉर्मूला सोशल मीडिया को हथियार बनाया. इधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में (UP Assembly Election-2022) पार्टी के झंडे तले चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को आवेदन के साथ ही सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता को दर्शाने को विशेष रिपोर्ट सांझा करने को कहा है. इसके लिए पार्टी की ओर से आवेदन पत्र भी जारी कर दिया गया है.
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इसके साथ ही आवेदन पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सोशल मीडिया की अपनी सक्रियता से लेकर कांशीराम के मिशन पर उनके काम को भी दर्शाना होगा. वहीं, पार्टी ने सूबे के सभी विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों से आवेदन जमा करने को कहा है.