लखनऊः बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने जन्मदिन पर आगामी कई राज्यों के विधानसभा और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर पाट्री की रणनीति की घोषणा की. साथ ही मायावती ने ईवीएम का भी रोना रोया. कहा के ईवीएम के चलते ही बसपा को नुकसान हो रहा है. मायावती ने यह भी कहा कि आने वाले किसी भी चुनाव में बसपा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. साथ ही उन्होंने बहुजन समाज पार्टी में माफिया को शामिल किए जाने के सवाल पर कहा कि मैंने अतीक को नहीं उनकी पत्नी को पार्टी में शामिल नहीं किया है. अतीक की पत्नी कोई माफिया नहीं हैं.
बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिन को कार्यकर्ताओं ने जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया. रविवार को पार्टी कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में मायावती ने बीएसपी की "ब्लू बुक" मेरे संघर्ष में जीवन एवं बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा भाग 18 और इसके अंग्रेजी संस्करण ए ट्रैवलॉग ऑफ माय स्ट्रगल वॉल्यूम 18 का विमोचन किया. इस मौके पर मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी गरीब कमजोर, असहाय व अन्य उपेक्षित वर्गों के हित और कल्याण के लिए हमेशा ही संघर्षरत रहती है जिसके मुताबिक चलकर ही बीएसपी ने अपने नेतृत्व में चार बार यूपी में अपनी सरकार भी चलाई है.
बसपा लोगों के हित व कल्याण के लिए समर्पित पार्टी है. पार्टी का मुख्य लक्ष्य भाईचारे पर आधारित गठबंधन से चुनाव जीतकर एससी एसटी ओबीसी व मुस्लिम समाज की सामाजिक आर्थिक स्थिति को बेहतर करना है. इसी सिद्धांत पर चलते हुए वर्ष 2023 में कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष में लोकसभा चुनाव में पार्टी किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी. अकेले अपने बलबूते पर सभी चुनाव लड़ेगी. क्योंकि गठबंधन को लेकर अभी तक का हमारा अनुभव काफी खराब ही रहा है.
मायावती ने ईवीएम पर उठाया सवाल
मायावती ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि बेहतर तो यही होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव में दलितों ने बसपा को वोट किया लेकिन जब मशीनें खुलीं तो वोट कहीं और निकल आया. ईवीएम से लोगों में काफी आशंकाएं पैदा हुई हैं. मेरा तो यही कहना है बीएसपी का जनाधार कम नहीं हो रहा है. मुझे लग रहा है कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ी जरूर है. मुख्य चुनाव आयुक्त जिन्होंने ईवीएम का सिस्टम शुरू किया है, वे इसका जवाब दें. आने वाले दिनों में उनका सिस्टम गड़बड़ा सकता है. विश्व स्तर पर तमाम देशों ने पहले ईवीएम से वोटिंग कराई लेकिन बाद में वहां पर भी बैलेट पेपर से चुनाव हो रहा है. भारत में भी ईवीएम के बजाय बैलट पेपर से ही चुनाव होना चाहिए. बैलेट पेपर से हमारी पार्टी का चुनाव में मतदान प्रतिशत हमेशा बढ़ा. मशीनों के आने से ही गड़बड़ हुआ है.