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Raju Pal Murder Case : क्या था विधायक राजू पाल हत्याकांड, जिसके मुख्य गवाह थे उमेश, जानिए जब थर्राया था शहर - मुख्य गवाह उमेश पाल

यूपी के प्रयागराज में शुक्रवार को बदमाशों ने बड़ी घटना को अंजाम दे डाला. बसपा विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को गोलियां बरसाकर हत्या (Raju Pal Murder Case) कर दी गई थी. इस हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की भी बम व गोलियां मारकर हत्या कर दी गई.

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Published : Feb 25, 2023, 6:58 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुक्रवार को बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की सरेराह गोलियों और बम मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड को राजू पाल केस से जोड़कर देखा जा रहा है और आरोप जेल में बंद माफिया अतीक अहमद पर लगा है. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर क्या था राजू पाल हत्याकांड, जिसने 18 साल पहले उत्तर प्रदेश में सनसनी मचा दी थी.

फाइल फोटो

जगह इलाहाबाद. तारीख 25 जनवरी 2005. दिन मंगलवार, दोपहर करीब तीन बजे का वक्त था. शहर पश्चिम के बसपा विधायक राजू पाल स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल स्थित पोस्टमार्टम हाउस से दो गाड़ियों के काफिले में अपने कार्यकर्ताओं के साथ धूमनगंज के नीवां स्थित अपने घर आ रहे थे. राजू पाल क्वालिस गाड़ी से और उनके साथी स्कर्पियों से थे. राजू पाल की क्वालिस गाड़ी सुलेमसराय में जीटी रोड पर पहुंची ही थी कि एक गाड़ी ने ओवरटेक करके उनकी गाड़ी के सामने लगाई, तीन बदमाशों ने राजू की क्वालिस में और दो ने स्कार्पियो पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. गोलियों की बौछार से इलाके में हड़कंप मच गया, हर कोई अपनी जान बचा कर भागने लगे. इसी दौरान गोलियां राजू पाल के सीने को पार कर गईं. इसके बदमाश फरार हो गए. लोगों ने पुलिस को फोन किया और मौके पर आलाधिकारी पहुंच गए.

फाइल फोटो

राजू पाल के शव को कार्यकर्ता लेकर भाग गए :फायरिंग की सूचना मिलते ही मौके पर एसएसपी सुनील गुप्ता, एसपी सिटी राजेश कृष्ण और थाना प्रभारी धूमनगंज मय फोर्स पहुंच गए. खबर आग की तरह फैली तो विधायक राजू पाल के समर्थक भी जुटने लगे. पुलिस गोलियों से छलनी क्वालिस और स्कार्पियो से घायलों को बाहर निकालने में जुट गई. राजू पाल के सीने में कई गोलियां लगी थीं, खून से लथपथ राजू को एक ऑटो से जीवन ज्योति हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. शूटआउट में स्कार्पियो में बैठे संदीप यादव और देवीलाल भी मारे गए थे. राजू पाल की मौत की खबर अब इलाहाबाद के अलावा पूरे राज्य में फैल चुकी थी. राजू का शव पोस्टमार्टम हाउस में रखा था, वहां पहुंचे बसपा कार्यकर्ताओं ने शव उठाया और सुलेमसराय पहुंच गए. चक्का जाम करने की कोशिश की गई, लेकिन पुलिस ने समझा बुझाकर शव को कब्जे में लेकर दोबारा पोस्टमार्टम के लिए पहुंचाया. पोस्टमार्टम हुआ और डॉक्टरों के पैनल ने राजू पाल के शरीर से 19 गोलियां निकाली थीं.


फाइल फोटो

पत्नी ने अतीक समेत 9 के खिलाफ लिखवाई FIR :विधायक राजू पाल की मौत हो चुकी थी, उनकी 7 दिन ब्याही पत्नी पूजा पाल बदहवास हो चुकी थी. लोगों ने उन्हें समझाया, पुलिस ने उनसे हत्या की तहरीर देने के लिए कहा तो पूजा ने धूमनगंज थाने में तत्कालीन सपा सांसद व माफिया अतीक अहमद, उसके छोटे भाई अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीत पाल, गुफरान, समेत नौ लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 302. 120 बी, 506 आईपीसी और 7 सीएलए एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया. दूसरी ओर क्राइम सीन के स्थान से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक चित्कार मची हुई थी. कार्यकर्ता और राजू पाल के समर्थक हंगामा कर रहे थे. शव को पोस्टमार्टम हाउस से ले जाने के लिए पुलिस को समस्या हो रही थी. ऐसे में आलाधिकारियों ने गुपचुप तरीके से विधायक राजू पाल का अंतिम संस्कार कराया.

फाइल फोटो

पहले भी राजू पाल पर हो चुके थे प्राणघातक हमले :अब सवाल उठता है कि क्या बसपा के एक नौजवान विधायक राजू पाल की हत्या का ताना बाना एक ही दिन में बुना गया था. क्या एक ही बार में प्लानिंग कर राजू पाल को मौत के घाट उतार दिया गया था. ये जानने के लिए 25 जनवरी 2005 से पीछे चलना होगा. साल 2004 में इलाहाबाद पश्चिमी से अतीक अहमद विधायक था, लेकिन लोक सभा चुनाव में वो जीत कर सांसद बन गया. अतीक ने अपनी विधान सभा सीट की विरासत भाई अशरफ को सौंपी और बसपा ने युवा नेता राजू पाल को अपना उम्मीदवार बनाया, उपचुनाव हुआ और 25 साल बाद अतीक अहमद के कब्जे से यह सीट बाहर चली गई, राजू पाल ने अशरफ को चार हजार वोटों से हरा दिया. ये हार अतीक से सही नहीं गई थी. विधायक बनने के करीब डेढ़ माह बाद 21 नवंबर नीवां के यादवपुर में राजू के कार्यालय के पास ही उन पर बमबाजी के साथ ही फायरिंग की गई थी. किस्मत रही तो राजू हमले में बच गए. एक माह बाद फिर राजू की हत्या की साजिश रची गई और 28 दिसंबर की शाम उनकी सफारी गाड़ी को घेरकर गोलियां बरसाई गईं. किस्मत ने राजू पाल का फिर साथ दिया और इस बार भी वो बच गए, लेकिन इस हमले के एक माह बाद उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया.

राजू और उमेश पाल की हत्या में रची गई थी गहरी साजिश :राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की शुक्रवार को हुई हत्या के पीछे भी एक बड़ी साजिश रची गई थी. हत्यारे पहले से ही घात लगाए हुए थे. उमेश पाल के आने से पहले ही वे चौकन्ना थे, यानी कि उन्हें पहले से ही सूचना थी. जैसे ही उमेश घर के पास पहुंचे, उन पर हमला कर दिया गया. ठीक उसी तरह जैसे राजू पाल हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. पुलिस की जांच में उस समय सामने आया था कि शूटर दोपहर से ही राजू पाल का पीछा कर रहे थे. जांच में सामने आया था कि शूटर गाड़ियों में एसआरएन अस्पताल से राजू पाल के पीछे लगे थे. 25 जनवरी को राजू पहले कचहरी गए, फिर एसआरएन अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे, जहां उन्होंने अपने क्षेत्र के एक छात्र की हत्या के मामले में डॉक्टरों से मिलकर जल्द पोस्टमार्टम का आग्रह किया और फिर वहां से घर के लिए रवाना हो गए थे. उन्हीं के साथ-साथ हत्यारे भी गाड़ी से पीछा करते रहे.


राजू पाल हत्याकांड में अतीक पर तय हो चुके आरोप :बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में माफिया अतीक अहमद की बीते 20 अक्टूबर को पेशी हुई थी. इसके लिए उसे साबरमती जेल से लखनऊ लाया गया था. इस हत्याकांड में अतीक के खिलाफ सीबीआई स्पेशल एंटी करप्शन कोर्ट ने आरोप तय कर दिए थे. इस मामले में उमेश पाल भी अपनी गवाही पूरी कर चुके हैं.

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