लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी बनारस के कद्दावर नेता अजय राय को सौंपी गई है. कांग्रेस अगले आठ महीने में होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2024 इन्हीं की अगुवाई में लड़ने की तैयारी शुरू होगी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के इतिहास में बृजलाल खाबरी को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तब उम्मीद थी कि पार्टी उन्हीं की अगुवाई में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी.
कांग्रेस की परिपाटी को देखा जाए तो जो भी नेता प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठता है तो वह कम से कम एक विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव उसके नेतृत्व में लड़ा जाता है. उस चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर यह देखा जाता है कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष पार्टी के लिए ठीक है या नहीं. मगर बृजलाल खाबरी लोकसभा चुनाव से पहले ही पार्टी के अध्यक्ष पद से विदाई दे दी गई. ऐसे में बीते 10 महीने में उनके द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने की जो भी तैयारी पार्टी स्तर पर की गई थी वह धरी रह गई. बृजलाल खाबरी कांग्रेस पार्टी के उन गिने-चुने प्रदेश अध्यक्षों की सूची में शामिल हो गए हैं. जो प्रदेश अध्यक्ष तो रहे पर उन्हें अपने काम को दिखाने का मौका नहीं मिला या यह कहें कि उनकी अगुवाई में पार्टी ने कोई भी बड़ा चुनाव नहीं लड़ा. बृजलाल खाबरी के अलावा 2 प्रदेश अध्यक्ष और रहे जो अपने कार्यकाल में कोई बड़ा चुनाव नहीं लड़ सके.
2022 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने तमकुही राज से विधायक अजय कुमार लल्लू की अध्यक्षता में लड़ा था. इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन से भी खराब रहा था. जहां 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास आठ विधायक और 6% से अधिक वोट थे तो वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन गिर कर दो विधायक और दो प्रतिशत के वोट के आसपास आ गया. इतना ही नहीं खुद प्रदेश अध्यक्ष अपने विधानसभा स्वीट भी नहीं बचा पाए थे. ऐसे में कांग्रेस के आला कमान ने अजय कुमार लल्लू को हटाकर अक्टूबर 2022 में बसपा से आए पूर्व सांसद और दलित चेहरे बृजलाल खाबरी को प्रदेश की कमान सौंप दी. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश को 6 जोन में बांटकर 6 प्रांतीय अध्यक्ष की भी नियुक्ति कर दिया था, पर बृजलाल खाबरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें प्रदेश का संगठन नहीं तैयार करने दिया गया. इसके उलट उनके और प्रियंका गांधी के करीबियों के बीच में मतभेद की खबरें बाहर आने लगीं.
कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना था कि हालात ऐसे हो गए थे कि कांग्रेस के लोग खुद ही कहने लगे थे कि उन्हें एक जुझारू व्यक्तित्व का नेता चाहिए. बृजलाल खाबरी का व्यक्तित्व जुझारू था, लेकिन वह नेता के तौर पर इतने सक्रिय और जुझारू नहीं दिखते थे. यही उनके प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का एक बड़ा कारण बना. किसी के साथ ही वह उन प्रदेश अध्यक्षों की सूची में तीसरे प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं. जिनकी अगवाई में कांग्रेस ने कोई भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. बृजलाल खाबरी के अलावा राजेंद्र कुमारी बाजपेई (वर्ष 1991 से 92) और अरुण कुमार सिंह "मुन्ना" (वर्ष 2002 से 2003) ऐसे प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं जिनकी अगुवाई में कांग्रेस ने कोई भी लोकसभा या विधानसभा जैसा बड़ा चुनाव नहीं लड़ा. इन राजेंद्र कुमारी वाजपेई दो से तीन महीने ही प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रही थीं. अरुण कुमार सिंह मुन्ना करीब 9 महीने प्रदेश अध्यक्ष रहे. वहीं बृजलाल खाबरी करीब 10 महीने तक प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे हैं.
अजय लल्लू के कार्यकाल में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन