लखनऊ: मलिहाबाद क्षेत्र के जानकीखेडा और बख्त्यारनगर गावों के बीच से निकलने वाले लगभग 6 से ज्यादा गांवों को जोड़ने वाला बेहता नाले पर करीब दो दशकों से अधूरा पुल पड़ा है, लेकिन जल निगम के कागजों में इसका निर्माण हो चुका है. जल निगम के अधिशासी अभियंता का दावा है कि पुल के दोनों किनारों को जोड़कर इसे चालू भी कर दिया गया है, लेकिन हकीकत आज भी इससे जुदा है. यहां के ग्रामीणों को अपनी दैनिक जरूरतों सहित अन्य आकस्मिक सुविधाओं के लिए तहसील, सीएचसी, कोतवाली, बाजार, स्कूल आने जाने के लिए कई किलोमीटर लम्बी दूरी तय करनी पडती है. जबकि इस पुल से गुजरने पर वह दूरी नाम मात्र ही रह जाती है. जल्दबाजी में पुल से गुजरने के दौरान कई हादसे भी हो चुके हैं, जिसमे कुछ लोगों को जान से हाथ भी धोना पड़ा है.
जानकीखेडा-बख्त्यारनगर गावों के बीच अधूरा पड़ा पुल
जानकीखेडा गांव के निवासी अधिवक्ता राम नरेश ने बताया कि हमलोगों की समस्या को देखते हुए वर्ष 1998-99 में जानकीखेडा और बख्त्यारनगर गावों के बीच बहने वाले बेहता नाले पर पुल निर्माण कार्य शुरू कराया गया था. लेकिन दो पिलर और स्लैब बनने के बाद जमीन को लेकर ग्रामीणों से कुछ अनबन होने के बाद निर्माण कार्य उसी स्थिति में बन्द कर दिया गया, तब से यह पुल आज भी उसी हालत में है. अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रामीणों ने अर्धनिर्मित पुल पर बांस-बल्लियों का जाल डालकर इसी के ऊपर से गुजरना शुरू कर दिया है.
जल निगम के कागजों में पूर्ण हो चुका अर्धनिर्मित पुल
31 मार्च 2017 को रामनरेश द्वारा मांगे गए आरटीआई के जवाब में जल निगम के अधिशासी अभियंता आर के गुप्ता द्वारा भेजा गया जवाब और भी चौंकाने वाला रहा. करीब 8.79 लाख रूपये की लागत से बने जिस अधूरे पुल को पूरा कराने के लिए ग्रामीण वर्षों से जूझ रहे हैं, वह जल निगम के कागजों में पूरा होकर चालू भी हो चुका है.