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लखनऊ: ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीते सरवाइवर्स ने बयां की अपनी कहानी - अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर

अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर की जागरुकता के लिए मनाया जाता है. राजधानी में शनिवार को अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर में एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. जिसमें सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे 65 ब्रेस्ट कैंसर सरवाइवर भी शामिल हुए.

ब्रेस्ट कैंसर सरवाइवर ने किया रैंप वॉक

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Published : Oct 20, 2019, 5:50 AM IST

लखनऊ : स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने और लोगों को इसके इलाज के बारे में बताने के लिए शुक्रवार को अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीतकर एक सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे 65 ब्रेस्ट कैंसर सरवाइवर भी शामिल हुए. कैंसर सरवाइवर ने कार्यक्रम में रैंप वॉक भी किया. स्तन कैंसर से जंग जीत चुके इन सरवाइवर्स से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीते सरवाइवर्स ने बयां की अपनी कहानी.

कैंसर सरवाइवर सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया
ईटीवी भारत ने कैंसर सरवाइवर्स एक स्पेशल एजुकेटर प्रतीक्षा पाण्डेय से बात की जो डिसएबल बच्चों के लिए कार्य करती हैं. प्रतीक्षा ने बताया कि नवंबर 2017 में जब उन्हें सीने में दर्द होता था तब उन्होंने जनवरी में जांच करवाई तो पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है और फरवरी में उनका ऑपरेशन हुआ. इसके बाद भी उन्होंने अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को एक साथ संभाला. कई परेशानियों के बीच उनका इलाज कब खत्म हो गया उन्हें पता ही नहीं चला. अब वह एक सामान्य जीवन व्यतीत कर रही हैं.

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कैंसर सरवाइवर शिक्षिका ने बयां की अपनी कहानी
अयोध्या निवासी बीना मिश्रा पेशे से शिक्षिका हैं. वह कहती हैं कि 35 वर्ष की उम्र में उन्हें स्वयं परीक्षण के द्वारा पता चला कि उनके ब्रेस्ट में गांठ है. यह बात उन्होंने अपने पति से साझा की. वह कहती हैं कि मुझे मेरे परिवार का साथ मिला. यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. मेरे पूरे ससुराल वालों ने मेरा साथ दिया और कीमोथेरेपी के दौरान मेरे स्कूल के शिक्षकों और छात्रों का भी सहयोग मुझे मिला.

उन्होंने बताया कि आज जब वह पूरी तरह सामान्य हैं तो वह उन सभी को धन्यवाद देना चाहती हैं. बीना कहती हैं कि उनके पति ने उनका सहयोग देने के लिए अपनी जॉब छोड़ दी और हमेशा उनके साथ रहे.

कैंसर सरवाइवर कंचन की कहानी
40 वर्षीय लखनऊ निवासी कंचन रावत गृहिणी हैं. वह कहती हैं कि मेरे परिवार में कभी किसी ने कैंसर शब्द का नाम भी नहीं सुना था. एक वर्ष पहले जांच के दौरान जब मुझे पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है तो मुझे एक तगड़ा झटका लगा. इलाज के दौरान मैं सोचती थी कि मुझे यह बीमारी कैसे हो गई जबकि मेरे परिवार में किसी को भी ऐसी कोई बीमारी नहीं है. अब मैं ठीक हूं और आम लोगों की तरह सामान्य जीवन जी रही हूं.

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