लखनऊ : हाल के दिनों में प्रदेश में दो ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने यह सोचने पर विवश कर दिया कि गुरु-शिष्य के रिश्तों की डोर कहीं न कहीं कमजोर जरूर हुई है. इसके पीछे के क्या कारण हैं, क्यों इन रिश्तों में ह्रास हुआ है, यह समझना और इस पर चिंतन करना भी जरूरी हो गया है. दूसरी ओर कुलपति जैसे शीर्ष ओहदे पर पहुंचने के बाद किसी शिक्षक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना और भी चिंता की बात है. पहला वाकया मेरठ है का है, जहां नाबालिग स्कूली छात्रों ने अपनी शिक्षक पर छींटाकशी करके मर्यादा तोड़ी है, तो दूसरी ओर कानपुर के छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक (Vice Chancellor Vinay Pathak) पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने न सिर्फ पेशे की गरिमा गिराई है, बल्कि शिक्षा में बड़े स्तर पर पनप रहे भ्रष्टाचार की ओर इशारा भी किया है.
हाल ही में सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो को लेकर खूब चर्चा रही. यह वीडियो था मेरठ के एक विद्यालय में छात्र द्वारा अपनी शिक्षक पर अभद्र और अश्लील टिप्पणी का. यह वीडियो दो हिस्सों में था. पहले हिस्से में छात्र कक्षा में अपने दोस्तों के साथ बैठा दिखाई देता है. इस दौरान वह पढ़ाई करा रहीं अपनी टीचर के पर भद्दी छींटाकशी करता है, जिस पर टीचर अपना मुंह किताब से छिपा लेती हैं और कक्षा के बाकी छात्र और छात्राएं हंसते रहते हैं. वीडियो के दूसरे हिस्से में यही तीन छात्र राह से निकल रही अपनी टीचर पर फिर भद्दी और अश्लील फब्तियां कसते हैं और टीचर सिर झुकाकर चली जाती हैं. बताया जा रहा है कि छात्र और टीचर एक ही गांव के रहने वाले हैं. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है. हालांकि यह सवाल अब भी बना हुआ है कि ऐसी वारदातें होती क्यों हैं? जब छात्र ने पहली बार ऐसी हरकत की थी, यदि टीचर ने उसी वक्त सख्त रुख अपनाया होता तो शायद आगे से उसकी ऐसी हिम्मत नहीं पड़ती. कई बार बात टालना भी महंगा पड़ जाता है और यह हौसला बढ़ाने का काम करता है. यदि छात्र की शिकायत उसके माता-पिता और प्राचार्य से की जाती तो शायद यह घटना न होती. वैसे अभिभावकों को भी अपने बच्चों को अच्छे आचरण देने चाहिए. गुरुजनों का आदर करने की शिक्षा तो घर से ही मिलनी चाहिए. यह माता-पिता, समाज और गुरुओं का सामूहिक दायित्व है कि बच्चों में अच्छे संस्कार हों और वह अपने बड़ों और शिक्षकों का आदर करना सीखें.